उनके अनुसार, किताब पुलिसकर्मियों के लिए एक गाइड है, जिसे उन्होंने अपने अनुभवों के आधार पर लिखा है. मोहनन की इच्छा है कि विभाग के युवा इसे पढ़ें. इससे उन्हें काम में मदद मिलेगी.
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लोग गलती नहीं करें, इसलिए लिखी किताब
56वर्ष के सी मोहनन 36 साल तक केरल पुलिस में रहे. वह सब इंस्पेक्टर के पद से सेवानिवृत्त हुए . मोहनन को पुलिसिंग के अलावा दूसरे किसी काम की जानकारी नहीं है. इसलिए, उन्होंने काम के दौरान ही भविष्य के पुलिसकर्मियों के लिए एक किताब लिखी है – कन्नडी (मिरर). विधानसभा के डिप्टी स्पीकर रविवार […]
56वर्ष के सी मोहनन 36 साल तक केरल पुलिस में रहे. वह सब इंस्पेक्टर के पद से सेवानिवृत्त हुए . मोहनन को पुलिसिंग के अलावा दूसरे किसी काम की जानकारी नहीं है. इसलिए, उन्होंने काम के दौरान ही भविष्य के पुलिसकर्मियों के लिए एक किताब लिखी है – कन्नडी (मिरर). विधानसभा के डिप्टी स्पीकर रविवार (दो जुलाई) को किताब का विमोचन करेंगे. मोहनन के अनुसार उनकी किताब न आत्मकथा है और न इसमें पुलिस की आलोचना की गयी है.
किताब में 18 चैप्टर हैं, जिसमें बताया गया है कि पुलिस को किसी घटना की जांच को कैसे आगे बढ़ाना चाहिए. एक घटना का जिक्र करते हुए मोहनन ने बताया कि वर्ष 2011 मेंमर्डर का एक मामला सामने आया था. शव 24 दिसंबर को मिला था. इसके अगले दिन छुट्टी थी. इसलिए हमलोगों ने एक दिन देरी से एफआइआर दर्ज की. इस बात को लेकर अभियोजन के वकील ने हमारी खूब खिंचाई की. उन्होंने कहा – अदालत वही होती है जहां जज होते हैं. इसलिए हमलोगों को छुट्टी के दिन मजिस्ट्रेट के घर चले जाना चाहिए था. इसके बाद मोहनन ने कहा कि इस तरह की छोटी – छोटी बातों को नये लोगों को जानना चाहिए. मोहनन को उनके काम के लिए कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं. उन्हें दो बार राज्य के मुख्यमंत्री और एक बार भारत के राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार मिल चुका है.
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