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भारत-चीन सीमा विवाद का जी-20 में भी दिखेगा असर, मोदी से नहीं मिलेंगे जिनपिंग

बीजिंग : चीन ने गुरुवार को कहा कि जर्मनी के हैम्बर्ग में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनिफंग की द्विपक्षीय वार्ता के लिए ‘ ‘माहौल सही नहीं है. ‘ ‘ गौरतलब है कि दोनों देशों की सेना के बीच सिक्किम सेक्टर में गतिरोध चल रहा है. हैम्बर्ग में शुक्रवार […]

बीजिंग : चीन ने गुरुवार को कहा कि जर्मनी के हैम्बर्ग में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनिफंग की द्विपक्षीय वार्ता के लिए ‘ ‘माहौल सही नहीं है. ‘ ‘ गौरतलब है कि दोनों देशों की सेना के बीच सिक्किम सेक्टर में गतिरोध चल रहा है. हैम्बर्ग में शुक्रवार से शुरू हो रहे जी20 शिखर सम्मेलन से पहले चीनी विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘ ‘राष्ट्रपति शी और प्रधानमंत्री मोदी के बीच द्विपक्षीय वार्ता के लिए माहौल सही नहीं है. ‘

पीएलए की निर्माण शाखा द्वारा सडक बनाने का प्रयास किये जाने के बाद चीन और भारत के बीच पिछले 19 दिनों से भूटान-चीन-भारत सीमा पर डोकलाम क्षेत्र में गतिरोध चल रहा है. इस क्षेत्र का भारतीय नाम डोक ला है जबिक भूटान इसे डोकलाम और चीन इसको डोंगलांग कहता है. खबरें थीं कि गतिरोध को खत्म करने के लिए दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व के बीच हैम्बर्ग में बैठक हो सकती है.

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क्‍यों है तनाव
पिछले दिनों सिक्किम सेक्टर के डोंगलांग में चीन की ओर से सड़क बनाने का भारतीय सैनिकों ने विरोध किया जिसके बाद चीनी सैनिकों ने सिक्किम सेक्टर में भारत के दो बंकरों को तोड़ दिए. चीन इसे अपनी सीमा में बता रहा है. भारतीय सैनिकों ने चीनी सेना की इस कार्रवाई की विरोध किया. तब से अबतक दोनों देशों के हजारों सैनिक आमने-सामने खड़े हैं.

क्या है चीन की दलील
चीन ने भारत पर पंचशील सिद्धांतों के ‘कुचल देने’ का आरोप लगाया है और कहा है कि नयी दिल्ली जितना जल्दी हो सके, उतना जल्दी अपने सैनिक वापस बुला कर अपनी गलतियां सुधारे. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेन शुआंग ने कहा कि भारत का यह कदम संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों (पंचशील) का उल्लंघन है. भारतीय पक्ष ने दूसरे देश की सीमा में गैरकानूनी ढंग से दाखिल होकर अंतरराष्ट्रीय संबंधों को आगे बढ़ानेवाले मौलिक नियमों को कुचलने का काम किया है, जिन्हें खुद उसने प्रस्तावित किया था. शुआंग ने कहा कि 1890 की चीन-ब्रिटिश संधि की अवमानना करते हुए भारतीय पक्ष ने कहा कि डोक ला तीन देशों के तिराहे के क्षेत्र में स्थित है, यह जनता को गुमराह करना है. इस घटना का चीन, भारत और भूटान के बीच तिराहे से कुछ लेना-देना नहीं है.

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क्या है जी-20 ?
जी-20 यानी ग्रुप ऑफ ट्वेंटी दुनिया की 20 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का अंतरराष्ट्रीय मंच है, जिसमें 19 देश- अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन और अमेरिका के अलावा यूरोपीय संघ सदस्य हैं.

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कब और क्यों हुआ था गठन ?
वर्ष 1999 में एशियाई वित्तीय संकट के बाद इसे बनाया गया था. तब विभिन्न वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों ने माना था कि आर्थिक स्थिरता के लिए मिलजुल कर काम करने की जरूरत है. लेकिन, 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट ने इस पहल की कमजोरियों को भी उजागर कर दिया, तब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश की पहल पर 20 अर्थव्यवस्थाओं के नेता पहली बार इस मंच पर एक साथ आये. वर्ष 2011 से जी-20 शिखर सम्मेलन हर साल आयोजित किया जाता है.

विश्व व्यापार में भागीदारी?
जी-20 देशों में दुनिया की दो-तिहाई आबादी निवास करती है तथा दुनिया के सकल घरेलू उत्पादन में 85 हिस्सा इनका है. विश्व व्यापार में जी-20 देशों की भागीदारी 80 फीसदी है.

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