चीन के नोबेल पुरस्कार विजेता लियू शियाओबो का हिरासत में निधन

शेनयांग : नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और चीन सरकार के मुखर विरोधी लियू शियाओबो कागुरुवारको 61 साल की उम्र में निधन हो गया. जीवन के आखिरी पल तक वह हिरासत में थे और चीन सरकार ने उनको रिहा करने और विदेश जाने देने के अंतरराष्ट्रीय आग्रह की उपेक्षा की थी. लोकतंत्र के प्रबल समर्थक शियाओबो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 13, 2017 10:05 PM

शेनयांग : नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और चीन सरकार के मुखर विरोधी लियू शियाओबो कागुरुवारको 61 साल की उम्र में निधन हो गया. जीवन के आखिरी पल तक वह हिरासत में थे और चीन सरकार ने उनको रिहा करने और विदेश जाने देने के अंतरराष्ट्रीय आग्रह की उपेक्षा की थी. लोकतंत्र के प्रबल समर्थक शियाओबो कैंसर से जूझ रहे थे और एक महीने पहले उनको कारागार से अस्पताल में स्थानांतरित किया गया था. शेनयांग शहर के विधि ब्यूरो ने उनके निधन की पुष्टि की है. वह इसी शहर के एक ‘फर्स्ट हाॅस्पिटल आॅफ चाइना मेडिकल यूनिवर्सिटी’ के गहन चिकित्सा कक्ष में भर्ती थे.

इस लेखक के निधन के साथ ही चीन की सरकार की आलोचना करनेवाली आवाज हमेशा के लिए खामोश हो गयी. वह कई दशकों से चीन में विरोध के प्रतीक बने हुए थे. शियाओबो दूसरे ऐसे नोबेल शांति पुरस्कार विजेता बन गये हैं जिनका हिरासत में निधन हुआ. इससे पहले 1938 में जर्मनी में नाजी शासन के दौरान कार्ल वोनल ओसीत्जकी का निधन एक अस्पताल में हुआ था और वह भी हिरासत में थे.

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों, पश्चिम की सरकारों और स्थानीय कार्यकर्तओं ने प्रशासन से आग्रह किया था कि शियाओबो को रिहा किया जाये और उनकी आखिरी इच्छा के मुताबिक उपचार के लिए विदेश जाने की इजाजत दी जाये. जर्मनी ने शियाओबो को चीन से ‘मानवता का संकेत’ करार देते हुए उनका उपचार करने की पेशकश की थी. अमेरिका ने भी उनके उपचार की इच्छा जतायी थी. चीन के अधिकारियों का कहना था कि शियाओबो को यहां के सर्वश्रेष्ठ चिकित्सकों से उपचार मिल रहा है.

पिछले साल मई में शियाओबो के कैंसर की चपेट में आने का पता चला था और इसके बाद मेडिकल पैरोल दे दी गयी थी. शियाओबो को 2008 में ‘चार्टर08’ के सह-लेखन की वजह से गिरफ्तार किया गया था. ‘चार्टर-8’ एक याचिका थी जिसमें चीन में मौलिक मानवाधिकारों की रक्षा करने और राजनीतिक व्यवस्था में सुधार का आह्वान किया गया था. दिसंबर, 2009 में उनको 11 साल की सजा सुनायी गयी थी. साल 2010 में उनको शांति का नोबेल मिला. नोबेल पुरस्कार समारोह में उनकी कुर्सी खाली छोड़ दी गयी थी. उनको बीजिंग में 1989 में थेनआनमन चौक के प्रदर्शनों में भूमिका के लिए भी जाना जाता है. शियाओबो की पत्नी लियू शिया को साल 2010 में नजरबंद कर दिया गया था, लेकिन उन्हें अस्पताल में पति को देखने की इजाजत दी गयी थी.

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