वो पानी के अंदर बिना ऑक्सीजन दो दिन ज़िंदा रहा

क्या आपने कभी सपना देखा है कि आप गहरे पानी में फंस गए हैं और सांस लेने के लिए ऑक्सीजन भी नहीं मिल रही. दम घोटने वाले इस सपने को हम जल्दी से जल्दी आंखें खोलकर तोड़ देना चाहते हैं. सिस्को ग्रेसिया के साथ तीन महीने पहले यह डरावना सा दिखने वाला सपना हक़ीक़त में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 17, 2017 2:01 PM

क्या आपने कभी सपना देखा है कि आप गहरे पानी में फंस गए हैं और सांस लेने के लिए ऑक्सीजन भी नहीं मिल रही. दम घोटने वाले इस सपने को हम जल्दी से जल्दी आंखें खोलकर तोड़ देना चाहते हैं.

सिस्को ग्रेसिया के साथ तीन महीने पहले यह डरावना सा दिखने वाला सपना हक़ीक़त में हुआ. वह 15 अप्रैल, शनिवार का दिन था. ग्रेसिया अपनी रूटीन डाइव के लिए मल्लोर्का के पानी में गए, पेशे से जियोलॉजिकल टीचर ग्रेसिया हफ्तों अंडरवाटर गुफाओं को देखने और परखने में गुज़ारते हैं.

ग्रेसिया बताते हैं कि मल्लोर्का जितना ऊपर से खूबसूरत दिखता है उससे कई गुना सुंदर वह पानी के अंदर है.

ग्रेसिया और उनके साथी डाइवर गुल्लियम मस्कारो ने सा-पिक्वेटा नाम की अंडरवाटर गुफा में जाने का फैसला लिया था. इस गुफा में बहुत से चैंबर हैं, इन्हीं की खोज में ग्रेसिया और मस्कारो लगभग 1 घंटे तैरते हुए पानी की गहराई तक पहुंचे.

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जब टूट गई गाइडिंग तार

ग्रेसिया जहां एक तरफ रॉक सैम्पल इक्ट्ठा करने लगे वहीं मस्कारो तैरते हुए नज़दीकी चैंबर तक पहुंच गए. अपने काम में लगे दोनों साथी भूल गए कि उनकी गाइडलाइन के लिए लगी एक पतली सी नायलॉन तार जाने कब टूट गई.

54 साल के ग्रेसिया बताते हैं कि यह पतला तार आपको पानी के अंदर रास्ता दिखाने का काम करता है, अगर हम कहीं भटक जाएं तो इस तार के सहारे वापिस बाहर आ सकते हैं.

गाइडिंग तार के टूटने पर ग्रेसिया चिंतित हो गए, उन्हें महसूस हुआ कि वे अपने साथ लाई ऑक्सीजन भी लगभग ख़त्म कर चुके हैं. ग्रेसिया को याद था कि चैंबर में भी एयर पॉकेट होते हैं, लेकिन उस एयर पॉकेट से ग्रेसिया और मस्कारो में कोई एक ही सांस ले सकता था.

ग्रेसिया बताते हैं वह वक़्त ऐसा था जैसे हम किसी धुंध भरी सड़क पर कार चला रहे हों, हमें रास्ता नहीं दिख रहा था और हम बस चले जा रहे थे. मस्कारो ने तय किया कि वे बिना गाइडलाइन के बाहर निकलने की कोशिश करेंगे.

जब बढ़ने लगा कार्बन डाइऑक्साइड का लेवल

मस्कारो के जाने के बाद ग्रेसिया ने चैंबर को अच्छे से जांचना शुरू किया, वह 80 मी लंबा और 20 मी चौड़ा चैंबर था. उन्हें महसूस हुआ कि चैंबर की ऊपरी सतह पर पीने लायक पानी था और वहां एक पत्थर भी मौजूद था जिससे कुछ देर के लिए ख़ुद को बाहर किया जा सकता था.

ग्रेसिया के पास अब उस चैंबर की सतह पर इंतज़ार करने का ही विकल्प बचा था. वे बताते हैं कि शुरुआती 7-8 घंटों तक उन्हें उम्मीद थी कि मस्कारो बाहर निकलकर उनके लिए मदद भिजवा देंगे, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया उनकी उम्मीद टूटती गई. ग्रेसिया अपने 15 साल के बेटे और 9 साल की बेटी को याद करने लगे.

धीरे-धीरे कार्बन डाइऑक्साइड के बढ़ते लेवल का असर उन्हें होने लगा. सामान्य तौर पर जिस हवा में हम सांस लेते हैं उसमें 0.04% कार्बन डाइऑक्साइड होती है जबकि ग्रेसिया जहां मौजूद थे वहां उसकी मात्रा 5% हो गई थी.

ग्रेसिया को ऑक्सीजन की कमी के कारण सिरदर्द होने लगा. उन्हें जब भी कोई ज़ोर की आवाज़ सुनाई देती वह सोचते कि शायद उनके साथी उन्हें खोजते हुए पहुंचने वाले हैं, लेकिन अगले ही पल वह आवाज़ शांत हो जाती और ग्रेसिया की उम्मीद की किरण फिर अंधेरों में खो जाती.

अपना रेस्क्यू देखकर आंसू आ गए

ग्रेसिया ने आखिरी कोशिश करते हुए एक बार फिर उसी जगह जाने की सोची जहां वे अपना सामान छोड़ आए थे. वहां पहुंचने पर ग्रेसिया को पानी में एक रोशनी दिखाई दी, यह रोशनी किसी डाइवर के टॉर्च जैसी थी. ग्रेसिया ने देखा कि एक हेलमेट उनके करीब आ रहा है. यह बर्नेट क्लेमर थे, ग्रेसिया के पुराने साथी.

ग्रेसिया बताते हैं कि उस अंडरवाटर गुफा से निकलने में उन्हें 8 घंटे और लगे लेकिन वह 8 घंटे सुकून भरे थे. ग्रेसिया लगभग 17 अप्रैल को पानी से बाहर निकले. उनकी हालत बेहद नाज़ुक हो चुकी थी, उनके शरीर का तापमान 32 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था. उन्हे पूरी रात शुद्ध ऑक्सीजन दी गई.

अगले दिन टीवी पर अपने रेस्क्यू का वीडियो देखते हुए ग्रेसिया की आंखे भर आई. इस भयानक हादसे के बाद भी ग्रेसिया ने डाइविंग से अपना प्यार नहीं छोड़ा.

वे दोबारा सा-पिक्वेटा में डाइव करने गए. यहां तक कि वे उस चैंबर में भी गए जहां वे फंस गए थे. ग्रेसिया कहते हैं कि वे मल्लोर्का की अंडरवाटर गुफाओं में जाते रहेंगे, क्योंकि पानी के अंदर के रहस्य खोजना उनके ख़ून में शामिल है.

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