पनामा पेपर मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी, मुश्किल में पड़ सकता है नवाज शरीफ का पूरा परिवार
इस्लामाबाद : पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने पनामा पेपर्स मामले में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनके परिवार के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार मामले में सुनवाई आज पूरी कर ली लेकिन अपना फैसला सुरक्षित रखा जो शरीफ का राजनीतिक भविष्य खतरे में डाल सकता है. जस्टिस एजाज अफजल की अध्यक्षता में तीन न्यायाधीशों की पीठ ने […]
इस्लामाबाद : पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने पनामा पेपर्स मामले में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनके परिवार के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार मामले में सुनवाई आज पूरी कर ली लेकिन अपना फैसला सुरक्षित रखा जो शरीफ का राजनीतिक भविष्य खतरे में डाल सकता है. जस्टिस एजाज अफजल की अध्यक्षता में तीन न्यायाधीशों की पीठ ने अपना फैसला सुनाने के लिए तुरंत कोई तारीख मुकर्र नहीं की. पीठ में जस्टिस शेख अजमत सईद और जस्टिस एजाजुल अहसन शामिल हैं. मालूम हो कि कल पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने नवाज शरीफ के परिवार के सदस्यों को चेतावनी दी थी कि पनामा पेपर मामले में गलत दस्तावेज सौंपे जाने के मामले में उन्हें सात की सजा हो सकती है.
जस्टिस सईद ने कहा कि अदालत अपना फैसला सुनाते हुए किसी कानून से विचलित नहीं होगी. ‘ ‘ हम याचिकाकर्ताओं और प्रतिवादियों के मौलिक अधिकारों के प्रति सचेत हैं. ‘ ‘ उच्चतम न्यायालय ने दस खंडों वाली रिपोर्ट का अंतिम हिस्सा भी खोला जिसे संयुक्त जांच दल (जेआईटी) ने दाखिल की थी. उच्चतम न्यायालय ने शरीफ और उनके परिवार पर लगे धनशोधन के आरोपों की जांच के लिए जेआईटी गठित की थी.
जेआईटी ने कहा था कि रिपोर्ट का दसवां खंड गोपनीय रखा जाए क्योंकि इसमें दूसरे देशों के साथ पत्राचार का ब्योरा है. शरीफ के वकीलों की टीम ने इसपर एतराज जताया था.
अदालत ने अधिकारियों को आदेश दिया कि खंड की एक प्रति शरीफ के वकील ख्वाजा हारिस को सौंपी जाए. बचाव पक्ष की दलीलों का जवाब देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए याचिकाकर्ताओं ने अपनी संक्षिप्त टिप्पणी में अदालत से आग्रह किया कि कथितरूप से संपत्ति छिपाने और अपने बच्चों के कारोबार स्थापित करने में इस्तेमाल हुए आय के स्रोत उजागर नहीं करने पर शरीफ को अयोग्य करार दिया जाए.
शरीफ के खिलाफ याचिकाकर्ताओं में शामिल पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के प्रमुख इमरान खान के वकील ने दलील दी, ‘ ‘धनशोधन के आरोपों का संतोषजनक जवाब देने में प्रधानमंत्री नाकाम रहे हैं और उन्हें अयोग्य करार देना चाहिए. ‘ ‘