वॉशिंगटन : रिपब्लिकन पार्टी के एक पूर्व सीनेटर का कहना है कि अमेरिका को पाकिस्तान के साथ भी उत्तर कोरिया की तरह ही ‘दुराग्रही देश’ जैसा व्यवहार करना चाहिए और कट्टरपंथ से निबटने के लिए भारत के साथ एक ‘वृहद गंठबंधन’ करना चाहिए, क्योंकि इस्लामाबाद आतंक से निबटने के नाम पर आर्थिक मदद को लेकर अमेरिका को ‘ब्लैकमेल’ कर रहा है और उसके बावजूद वह आतंकियों को पाल रहा है.
साउथ डकोटा के पूर्व अमेरिकी सीनेटर लेरी प्रेसलर ने अपनी किताब ‘नेबर्स इन आर्म्स : एन अमेरिकन सीनेटर्स क्वेस्ट फॉर डिसआर्ममेंट इन न्यूक्लियर सब कॉनटिनेंट’ में लिखा है, ‘आतंकवाद को लेकर अगर पाकिस्तान अपने तरीकों में बदलाव नहीं करता है तो उसे आतंकी देश घोषित कर देना चाहिए. मेरे अलावा विदेश नीति के कई अग्रणी विशेषज्ञों ने भी जोर देकर यह बात कही है.
बुश प्रशासन ने भी अपने पहले कार्यकाल में वर्ष 1992 में इस बारे में गंभीरता से विचार किया था.’ प्रेसलर (75 वर्ष) ने लिखा, ‘पाकिस्तान के साथ भी उत्तर कोरिया की तरह ‘दुराग्रही देश’ जैसा व्यवहार किया जाना चाहिए. पाकिस्तान पूरी तरह से नाकाम देश नहीं है क्योंकि चीन और अमेरिका जैसे देशों ने विदेशी सहायता के रूप में उसे भारी-भरकम आर्थिक सहायता देना जारी रखा है.’ सीनेट आर्म्स कंट्रोल सब-कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर प्रेसलर ने प्रेसलर संशोधन की वकालत की जिसे वर्ष 1990 में लागू किया गया था. इसके तहत पाकिस्तान को सहायता तथा सैन्य बिक्री बंद कर दी गयी थी जिसके बाद से पाकिस्तान और भारत के साथ अमेरिकी संबंधों का स्वरूप पूरी तरह बदल गया था. इसके तहत पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमानों के खेप पर भी रोक लगा दी गयी थी.
प्रेसलर की यह किताब अमेरिका के बाजार में शुक्रवार को ही आयी है. इसमें खुलासा किया गया है कि जब प्रेसलर संशोधन प्रभाव में था उन वर्षों में परदे के पीछे क्या कुछ घटा था. वर्ष 1979 से 1997 तक अमेरिकी सीनेट का हिस्सा रहे प्रेसलर ने कहा, ‘पाकिस्तान के नेताओं ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मदद के लिए हमें निश्चित रूप से ब्लैकमेल किया था और धमकी दी थी कि अफगानिस्तान में आतंकियों को जड़ से उखाड़ फेंकने में वह मदद देना बंद कर देगा.’