डोभाल के दौरे के बीच ”ड्रैगन” ने भारत को फिर दी धमकी- डोकलाम पर पीछे हटो नहीं तो कश्मीर में देंगे दखल

बीजिंग: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ब्रिक्स के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के साथ गुरुवार से शुरू हुई बैठक में भाग लेने के लिए चीन में हैं. सिक्किम सीमा के पास स्थित डोकलाम में जारी तनाव के बीच डोभाल ने यहां अपने चीनी समकक्ष यांग जिची से मुलाकात की. ऐसे कयास लगाये जा रहे हैं कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 28, 2017 11:04 AM

बीजिंग: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ब्रिक्स के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के साथ गुरुवार से शुरू हुई बैठक में भाग लेने के लिए चीन में हैं. सिक्किम सीमा के पास स्थित डोकलाम में जारी तनाव के बीच डोभाल ने यहां अपने चीनी समकक्ष यांग जिची से मुलाकात की. ऐसे कयास लगाये जा रहे हैं कि डोभाल शुक्रवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात कर सकते हैं.

इस बार राखी डोकलाम के नाम
भारत के अजीत राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डोभाल चीन में हैं, इस बीच चीनी मीडिया ने एक बार फिर डोकलाम मुद्दा छेड़ दिया है. ग्लोबल टाइम्स में लिखा गया है कि चीन डोकलाम के मुद्दे पर किसी तरह का समझौता नहीं करने जा रहा है. लेख में कहा गया है कि अजीत डोभाल के चीन दौरे से कोई खास फर्क नहीं पड़ने जा रहा है. चीन अपने रुख से बिल्कुल भी पीछे नहीं हटेगा. चीन का कहना है कि वह अभी भी अपनी बात पर कायम है. पहले भारत को अपनी सेना को डोकलाम से पीछे हटाना चाहिए, उसके बाद ही शांति की कोई पहल हो पाएगी.

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यही नहीं चीन ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर के मामले पर अड़ंगा डाला है. चीन ने कहा है कि यदि भारत डोकलाम मुद्दे पर पीछे नहीं हटेगा तो चीन जम्मू-कश्मीर के मुद्दे में दखल देगा. आपको बता दें कि इससे पहले भी चीन कश्मीर के मसले में दखल देने की धमकी दे चुका है. चीन का कहना है कि भारत चीन और भूटान के मसले में तीसरी पार्टी के तौर पर दखल दे रहा है. जब भारत तीसरी पार्टी बन सकता है कि तो पाकिस्तान की अपील पर चीन भी इसी तरह से जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर दखल देगा.

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चीन का कहना है कि भूटान की ओर से भारत से कोई मदद नहीं मांगी गयी थी, लेकिन भारत फिर भी इस मुद्दे में अपना टांग अड़ा रहा है. गौर हो कि चीन के साथ सिक्किम क्षेत्र में सैन्य गतिरोध को तकरीबन एक महीने से ज्यादा हो गये हैं. इस बीच भाजपा सरकार के तीन मंत्री भी चीन जा चुके हैं, लेकिन सैन्य गतिरोध पर कोई असर नहीं पड़ा.

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