बिहार ऑपरेशन से अमेरिका है गदगद, अमेरिकी थिंक टैंक हुआ नरेंद्र मोदी का मुरीद
वाशिंगटन : अमेरिकी थिंक टैंक ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है. भारत-अमेरिका के एक शीर्ष थिंक टैंक का कहना है कि पिछले सप्ताह बिहार की राजनीति में जिस प्रकार से भारतीय जनता पार्टी ने वापसी की है और सत्ता पर अपनी पकड़ बनायी है उससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा […]
वाशिंगटन : अमेरिकी थिंक टैंक ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है. भारत-अमेरिका के एक शीर्ष थिंक टैंक का कहना है कि पिछले सप्ताह बिहार की राजनीति में जिस प्रकार से भारतीय जनता पार्टी ने वापसी की है और सत्ता पर अपनी पकड़ बनायी है उससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा के स्वर्ण काल का प्रारंभ किया है.
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‘कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस ‘ में दक्षिण एशिया कार्यक्रम के निदेशक एवं वरिष्ठ फेलो मिलान वैष्णव ने एक संपादकीय में कहा, ‘ ‘ताजा उथल-पुथल इस बात का संकेत है कि नेहरु-गांधी परिवार की कांग्रेस पार्टी द्वारा लंबे समय से नियंत्रित देश में अब भाजपा राजनीति का नया केंद्र है.
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संपादकीय में कहा गया है कि 2019 में देश में होने वाले चुनावों के लिए भाजपा न केवल एक बड़ी पार्टी है बल्कि वह शक्तिशाली राज्यों में अपनी पकड मजबूत करने की दिशा में भी ‘बेहद तेज गति ‘ से आगे बढ़ रही है. उन्होंने लिखा, ‘ ‘यद्यपि भाजपा सरकार के लगातार मजबूत होने से नीतिगत स्थिरता एवं राजनीतिक मजबूती के संकेत मिल रहे हैं लेकिन इसके साथ ही भारत में लोकतांत्रिक संतुलन को लेकर भी चिंताएं पैदा हो रहीं हैं.
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वैष्णव ने कहा कि उनकी व्यापार-अनुकूल नीतियां, राष्ट्रवादी बयानबाजी और उनकी आकांक्षा से भरी अपील युवाओं में उत्साह भरती है और इसके जरिए मोदी अपनी पार्टी को ऐतिहासिक चुनावी जीत की ओर ले गए हैं. उन्होंने कहा, ‘ ‘ तीन दशक में बहुमत हासिल करने वाली पहली पार्टी बन मोदी ने भाजपा के लिए स्वर्णकाल का प्रारंभ कर दिया है. ‘ ‘ इस बात का उल्लेख करते हुए कि भाजपा की गति ने पार्टी के लिए ‘ ‘अभूतपूर्व अवसरों ‘ ‘ के द्वार खोल दिये हैं उन्होंने लिखा कि इस क्रम में बिहार के जुड जाने से राज्यसभा में भाजपा जल्द ही बहुमत में आ जाएगी और यह काम 2018 के अंत तक हो सकता है.
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उन्होंने लिखा, ‘ ‘दोनों सभाओं में नियंत्रण होने के साथ भाजपा अपने विधायी एजेंडे को कुछ मुश्किलों के साथ ही सही ,आगे बढा सकेगी. ‘ ‘ इसके साथ ही उन्होंने इस बात को लेकर चिंता भी जाहिर की कि सत्ता के इस केंद्रीकरण के नकारात्मक पहलू भी हैं.