अमेरिका जलवायु समझौता से दोबारा जुड़े : संयुक्त राष्ट्र संघ

संयुक्त राष्ट्र: अमेरिका द्वारा वर्ष 2015 के ऐतिहासिक पेरिस जलवायु समझौते से जितनी जल्दी संभव हो, उतनी जल्दी हटने का इरादा जताते हुए संयुक्त राष्ट्र को औपचारिक दस्तावेज सौंपने के बावजूद संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव ने आज उससे समझौते से दोबारा जुड़ने की अपील की. प्रवक्ता ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 5, 2017 2:46 PM

संयुक्त राष्ट्र: अमेरिका द्वारा वर्ष 2015 के ऐतिहासिक पेरिस जलवायु समझौते से जितनी जल्दी संभव हो, उतनी जल्दी हटने का इरादा जताते हुए संयुक्त राष्ट्र को औपचारिक दस्तावेज सौंपने के बावजूद संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव ने आज उससे समझौते से दोबारा जुड़ने की अपील की. प्रवक्ता ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस को अमेरिका से एक अधिसूचना मिली जिसमें उसने पेरिस समझौते से हटने का इरादा जताया है. संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की स्थायी प्रतिनिधि निकी हेली ने कल संयुक्त राष्ट्र को यह अधिसूचना सौंपी.

संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजार्कि ने कहा, ‘ ‘महासचिव ने पेरिस समझौते के अमानतदार की अपनी क्षमता में अमेरिका की स्थायी प्रतिनिधि से यह दस्तावेज हासिल किया जिसमें अमेरिका ने दोबारा जुड़ने का उपयुक्त आधार पाने तक समझौते के तहत जितनी जल्दी वह पात्रता रखता है, उतनी जल्दी, उससे हटने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करने का इरादा जाहिर किया. ‘ ‘ पेरिस समझौते का उद्देश्य औद्योगिक युग की शुरुआत से वैश्विक तापमान में बढोत्तरी कोदो डिग्री सेल्सियस के भीतर सीमित करना है.

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प्रवक्ता ने कहा कि महासचिव ‘ ‘पेरिस समझौते से दोबारा जुड़ने के अमेरिका के किसी भी तरह के प्रयास का स्वागत करते हैं. ‘ ‘ यह अधिसूचना राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के समझौते से हटने के अपने इरादे की घोषणा करने के दो महीने बाद आयी.

पेरिस समझौते के अनुच्छेद 28 के तहत कोई पक्ष अपने लिए प्रभाव में आए समझौते की तारीख से तीन साल के बाद किसी भी समय उससे हट सकता है. इस तरह से किसी का हटना, अमानतदार को समझौते से उस पक्ष के हटने के संबंध में मिली अधिसूचना की तारीख से एक साल गुजरने पर प्रभाव में आता है. अमेरिका ने तीन सितंबर, 2016 को समझौते को स्वीकार किया था और उसके लिए यह समझौता चार नवंबर, 2016 से प्रभाव में आया. इसका मतलब है कि अमेरिका को कम से कम 2019 तक समझौते में बने रहना होगा.

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