संयुक्त राष्ट्र में उत्तर कोरिया पर और कड़े प्रतिबंध वाले प्रस्ताव पर होगा मतदान
संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका के उस प्रस्ताव के मसौदे पर मतदान होगा जिसमें उत्तर कोरिया पर और कड़े प्रतिबंध लगाने की बात कही गयी है. राजदूतों का कहना है कि कुछ चीजों के निर्यात पर इस प्रस्तावित प्रतिबंध से उत्तर कोरिया को वार्षिक राजस्व में एक अरब डॉलर का नुकसान […]
संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका के उस प्रस्ताव के मसौदे पर मतदान होगा जिसमें उत्तर कोरिया पर और कड़े प्रतिबंध लगाने की बात कही गयी है. राजदूतों का कहना है कि कुछ चीजों के निर्यात पर इस प्रस्तावित प्रतिबंध से उत्तर कोरिया को वार्षिक राजस्व में एक अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है.
अमेरिका कई महीनों की बातचीत के बाद, उत्तर कोरिया के मिसाइल और परमाणु परीक्षणों को रोकने के लिए उस पर दबाव बनाने के मकसद से चीन के साथ एक समझौते पर पहुंचा है. चीन, उत्तर कोरिया का मुख्य व्यापारिक साझेदार और सहयोगी है. राजदूतों ने इस बात की पुष्टि की कि सुरक्षा परिषद में नये प्रतिबंधों पर स्थानीय समयानुसार दोपहर तीन बजे मतदान होना है. जानकारी के अनुसार, प्रस्ताव में नकदी पर निर्भर देश से मछलियों और सीफूड के साथ-साथ कोयला, लौह, लौह अयस्क के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया गया है.
बातचीत से जुडे एक राजदूत के अनुसार, अगर सभी देश इस प्रतिबंध को लागू कर देते हैं तो इससे उत्तर कोरिया को हर साल निर्यात से होनेवाली तीन अरब डॉलर की कमाई में एक तिहाई आय कम होगी. राजदूत ने मसौदे के बारे में संवाददाताओं से कहा कि उसे इस बात ‘पूरा विश्वास’ है कि चीन और रुस प्रस्तावित प्रतिबंधों का समर्थन करेंगे. अपने यूरोपीय सहयोगियों जापान और दक्षिण कोरिया के समर्थन से अमेरिका संयुक्त राष्ट्र पर इस बात को लेकर जोर दे रहा है कि उत्तर कोरिया पर चार जुलाई को उसके अंतर्महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल के परीक्षण के जवाब में और कड़े प्रतिबंध लगाये जायें.
इस प्रस्ताव के पारित होने पर उत्तर कोरिया विदेशों में अपने कामगारों की संख्या नहीं बढ़ा पायेगा जिससे नये उद्योग स्थापित करने और मौजूदा संयुक्त कंपनियों में नया निवेश करने पर प्रतिबंध लग जायेगा. प्रस्ताव के मसौदे में कहा गया है कि उत्तर कोरिया अपने दुर्लभ संसाधनों का परमाणु हथियारों का विकास करने और महंगी बैलिस्टिक मिसाइल बनाने में इस्तेमाल करने का जिम्मेदार है. ये नये प्रतिबंध संयुक्त राष्ट्र द्वारा उत्तर कोरिया पर वर्ष 2006 में पहली बार परमाणु परीक्षण करने के बाद से लेकर अब तक के सातवीं बार लगाये जानेवाले प्रतिबंध होंगे. हालांकि, इन प्रतिबंधों से उत्तर कोरिया के व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया.
नये प्रस्ताव के तहत उत्तर कोरिया के जो जहाज संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का उल्लंघन करते हुए पाये जायेंगे उन्हें सभी देशों के बंदरगाहों में प्रवेश करने से वर्जित कर दिया जायेगा. चीन की तरह संयुक्त राष्ट्र में वीटो का अधिकार रखनेवाले रूस ने चेतावनी दी है कि वह ऐसे प्रतिबंधों का समर्थन नहीं करेगा जिससे उत्तर कोरिया का मानवीय संकट और खराब हो. अमेरिका और उसके सहयोगियों की दलील है कि कड़े प्रतिबंध आवश्यक हैं, ताकि उत्तर कोरिया को उसके सैन्य कार्यक्रमों पर रोक लगाने के वास्ते बातचीत के लिए मजबूर किया जा सके. इस बीच, चीन और रूस ने कहा कि केवल प्रतिबंधों से उत्तर कोरिया के व्यवहार में बदलाव नहीं आयेगा और इस समस्या से निपटने के लिए बातचीत जरूरी है. संयुक्त राष्ट्र में बातचीत के अंतिम चरण पर पहुंचने पर अमेरिका के विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने घोषणा की कि अमेरिका यह नहीं चाहता कि उत्तर कोरिया में सरकार बदले और वह उत्तर कोरिया से बातचीत करने का इच्छुक है.