महिला बाइकर जिसे है मोदी से मुलाकात का इंतजार

बात कुछ साल पहले की है. 41 साल की एक महिला और दो बच्चों की मां सारिका अफ़्रीका की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो पर विजय पताका फ़हराकर अपने घर सूरत लौटी थीं. सारिका को इस उपलब्धि के लिए सम्मान मिलना लाज़मी था. ये बाइकर नहीं, बाइकरनी हैं! सर आंखों पर ली चुनौती सारिका मेहता के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 7, 2017 7:09 AM

बात कुछ साल पहले की है. 41 साल की एक महिला और दो बच्चों की मां सारिका अफ़्रीका की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो पर विजय पताका फ़हराकर अपने घर सूरत लौटी थीं.

सारिका को इस उपलब्धि के लिए सम्मान मिलना लाज़मी था.

ये बाइकर नहीं, बाइकरनी हैं!

सर आंखों पर ली चुनौती

सारिका मेहता के सम्मान समारोह में शामिल हुए एक पुरुष बाइकर ने उनसे एक चुभने वाली बात कह दी.

इस पुरुष बाइकर ने सारिका से कहा, "आप पहाड़ भले ही चढ़ लें लेकिन एक महिला होने के नाते आप बाइक नहीं चला पाएंगी."

सारिका ने उसी दिन ठान लिया कि वह भी एक बाइकर बनेंगी. और, इसी बात ने बाइकर्स क्वींस समूह को जन्म दिया.

सारिका ने न सिर्फ खुद बाइक चलना सीखा, बल्कि बाइक चलाने वाली लड़कियों और महिलाओं की एक फ़ौज खड़ी कर दी.

इस समय सारिका अपनी 45 दोस्तों के साथ बाइकों पर सवार होकर भारत के गाँवों में पहुंच रही हैं.

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सारिका अपनी यात्रा के दौरान मिलने वाले लोगों को लड़कियों की शिक्षा और नारी सशक्तिकरण के बारे में बता रही हैं.

कानपुर पहुंचा बाइकिंग क्वींस समूह

सारिका समेत 45 महिला बाइकर्स खेत खलिहानों से गुजरते हुए शुक्रवार रात कानपुर पहुंचती हैं.

बाइकिंग क्वींस समूह ने कानपुर के एक होटल में डेरा डाला था. शनिवार सुबह इस दल को आगरा के लिए निकलना था.

औसत कद काठी की सारिका सबसे पहले उठती हैं और बाइकिंग क्वींस की पोशाक – नीली टीशर्ट और काली ट्रैक पैंट में तैयार हो जाती हैं.

अलख़ जगातीं बाकइर लड़कियां

कानपुर में सारिका ने बीबीसी को बताया, "हम लोगों ने अपना सफर सूरत से 19 जुलाई को कन्याकुमारी के लिए शुरू किया. रास्ते में पड़ने वाले जितने भी गाँवों में जाना मुमकिन था, वहां हम गए और लोगों को लड़कियों की शिक्षा का महत्व समझाने का प्रयास किया."

कन्याकुमारी से बाइकिंग क्वींस का दाल आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र के गाँवों में गया और मध्य प्रदेश होते हुए उत्तर प्रदेश में आया है.

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"आगरा के रास्ते हम चंडीगढ़ जाएंगे और फिर वहां से लद्दाख. भारत की सबसे ऊंची सड़क लद्दाख में है जो खारडूंगला नाम के गाँव से गुज़रती है. 15 अगस्त को हम वहां तिरंगा फहराएंगे," सारिका ने कहा.

बाइकिंग क्वींस समूह वहां से देश के बाकी हिस्सों में घूमते हुए सितंबर के महीने में वापस सूरत लौटेगा.

सारिका ने कहा, "तब तक हम बाइक से 12 हजार किलोमीटर का सफर तय कर चुके होंगे."

पग-पग पर चुनौती का सामना

सारिका कहती हैं कि जब दो साल पहले उन्होंने बाइक चलाना शुरू किया और बाइकिंग क्वींस की स्थापना की तो लड़कियां दल में शामिल होने लगीं.

उनके अनुसार भारत के लोगों को अभी भी ताज्जुब होता है कि बाइक चलाने वाली औरतों का भी एक समूह भी हो सकता है.

"एक-दो महिला बाइकर तो आप को मिल जाएंगी. पर इतना बड़ा दल! लोगों को ये बात समझने में थोड़ा समय लग रहा है. हम लोग हैलमेट पहनते हैं. तो लोग समझते हैं कि हम लोग पुरुष हैं." सारिका ने कहा.

वे एक किस्सा सुनाती हैं, "हम लोग महाराष्ट्र में थे. एक आदमी ने मेरे कंधे पर अपना बाज़ू रख दिया और मुझसे सट कर खड़ा हो गया. मैंने जैसे ही हेलमेट उतारा तो वह मुझसे माफ़ी मांगने लगा. और, मैंने उसे माफ़ कर दिया."

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उनके अनुसार गुलाबी रंग लड़कियों और महिलाओं का माना जाता है. "इसीलिए हमारे दल के सभी सदस्य अब गुलाबी रंग का हैलमेट पहनती हैं."

परिवार ने दिया समर्थन

सूरत शहर हीरों के व्यापार के लिए मशहूर है और सारिका के पति भी हीरे के व्यापारी हैं.

सारिका बताती हैं कि वे समाज के लिए कुछ काम कर रही हैं इसीलिए पूरा परिवार उनका साथ देता है.

समूह की एक अन्य सदस्य जीनल भी बताती हैं, "मेरी भी फैमिली है, दो बच्चे हैं. लेकिन हम लोग किसी तरह से समय निकाल लेते हैं. परिवार को जब पता चलता है कि हम किसी सामाजिक कार्य से जुड़े हैं तो वह भी हमें बढ़ावा देते हैं."

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सारिका कहती हैं कि सफर के दौरान उनको कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.

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वो बताती हैं, "ट्रैफिक तो भारत में हर जगह पर ही खराब है. और भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे कि मौसम, लेकिन हम लोग हमेशा बढ़ते रहते हैं," सारिका ने कहा.

वे कहती हैं उन लोगों ने कई तरह के गाँव देखे हैं. "गाँव जहाँ बिजली नहीं आती. गाँव जहाँ एक पेड़ के नीचे पूरा स्कूल चल रहा है. हम लोग अपनी एक रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं. जब हम लोगों का सफर पूरा हो जाएगा तो अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री को सौंपेंगे जिससे कि वो कुछ करें और गाँवों का भला हो."

सारिका 41 साल की हैं और बाइकिंग क्वींस की सबसे उम्रदराज़ बाइकर हैं.

समूह में सबसे कम उम्र की दो लड़कियां हैं – सोना मकवानी और कीर्ति केहेमानी. दोनों 19 साल की हैं.

शनिवार सुबह दल की सभी सदस्यों ने जल्दी-जल्दी उपमा और सेव का नाश्ता किया और हेलमेट और राइडिंग गियर्स पहन कर चलने को तैयार हो गये.

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