बर्न : स्विस बैंकों में कालाधन रखनेवालों के खाते की पूरी सूची भारत सरकार को अब जल्दहीउपलब्ध होगी. स्विट्जरलैंड सरकार ने सूचना के स्वतः आदान-प्रदान समझौते के लिए भारत के डाटा सुरक्षा व गोपनीयता कानूनों को पर्याप्त बताया है. इस समझौते से कभी पूरी तरह गोपनीय रहनेवाले स्विस बैंकों में जमा कालेधन का पता चल जायेगा. स्विट्जरलैंड सरकार ने अपने राजकीय गजट में इस संबंध में एक विस्तृत अधिसूचना में और तथ्य प्रकाशित किये हैं. पर्याप्त डाटा सुरक्षा देनेवाले देशों में भारत को मान्यता देने के लिए स्विट्जरलैंड ने अमेरिकी इंटरनल रेवेन्यू सर्विस (आइआरएस) का भी हवाला दिया है.
स्विट्जरलैंड ने भारत समेत40 देशों के साथ अपने यहां उनके नागरिकों के खाते से संबंधित सूचनाओं के आदान-प्रदान की व्यवस्था को इसी साल जून में मंजूरी दी थी. स्विट्जरलैडकी ओर से काले धन की जानकारी के आदान-प्रदान के लिए गोपनीयता की शर्त लगायी गयी थी. अपने इसी निर्णय पर आगे बढ़ते हुए स्विट्जरलैंड ने इसे अधिसूतिच किया है. फिलहाल इसे अगले साल तक लागू किये जाने की योजना है.
स्विट्जरलैंड ने अन्य वित्तीय केंद्र लिंचेस्टाइन और बहमास का भी उदाहरण दिया है जो इसी तरह का समझौता करेंगे. सरकार ने यह जानकारी जर्मन भाषा में प्रकाशित की है और साथ ही भारतीय बाजार में अपनी संभावनाएं तलाशने के बारे में भी उसने इसमें बात की है जिसमें पुनर्बीमा और वित्तीय सेवा क्षेत्र शामिल है.
ज्ञात हो, कालेधन का मुद्दा भारत में चर्चा का एक बड़ा विषय बना हुआ है. लंबे समय से यह धारणा है कि बहुत से भारतीयों ने अपनी काली कमाई स्विट्जरलैंड के बैंकों में छुपा रखी है. भारत विदेशी सरकारों, स्विट्जरलैंड जैसे देशों के साथ अपने देश के नागरिकों के बैंकिंग सौदों के बारे में सूचनाओं के आदान-प्रदान की व्यवस्था के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मंचों पर जोरदार प्रयास करता आ रहा है. इससे विदेश के रास्ते कालेधन को खपाने और मनी लांउंडरिंग पर अंकुश लग सकेगा.