Loading election data...

नज़रिया: अहमद पटेल की सीट बीजेपी-कांग्रेस दोनों के लिए अहम का सवाल क्यों?

Getty Imagesकांग्रेस नेता अहमद पटेल भी हैं उम्मीदवारगुजरात में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए आज चुनाव होना है. इस चुनाव पर सबकी नज़रें इसलिए हैं, क्योंकि यह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अहमद पटेल की प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है. तीन सीटों पर कुल चार उम्मीदवारों के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 8, 2017 9:51 AM
undefined
नज़रिया: अहमद पटेल की सीट बीजेपी-कांग्रेस दोनों के लिए अहम का सवाल क्यों? 6
Getty Images
कांग्रेस नेता अहमद पटेल भी हैं उम्मीदवार

गुजरात में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए आज चुनाव होना है. इस चुनाव पर सबकी नज़रें इसलिए हैं, क्योंकि यह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अहमद पटेल की प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है.

तीन सीटों पर कुल चार उम्मीदवारों के बीच मुक़ाबला है. इनमें तीन भाजपा और एक कांग्रेस से हैं. भाजपा की तरफ़ से राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और हाल ही में कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए बलवंत सिंह राजपूत चुनाव मैदान में हैं.

कांग्रेस की तरफ़ से अहमद पटेल चुनाव लड़ रहे हैं और भाजपा पूरा ज़ोर लगा रही है कि पटेल यह चुनाव न जीतने पाएं.

कांग्रेस विधायकों को किसी तरह के ‘असर’ से बचाने के लिए कई दिनों तक बेंगलुरु के एक रिसॉर्ट में रखा गया और सोमवार तड़के ही वे अहमदाबाद के लिए रवाना हुए.

यह चुनाव क्यों और कैसे राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का चुनाव बन गया है और इससे जुड़ी क्या राजनीतिक संभावनाएं हैं, इस पर बीबीसी संवाददाता हरिता काण्डपाल ने वरिष्ठ पत्रकार आरके मिश्रा से बात की.

आगे पढ़िए आरके मिश्रा की राय.

बागी बलवंत बनाम अहमद पटेल

नज़रिया: अहमद पटेल की सीट बीजेपी-कांग्रेस दोनों के लिए अहम का सवाल क्यों? 7
AFP
शंकर सिंह वाघेला

पहले मामला बहुत सीधा सादा था. तीन सीटों पर तीन उम्मीदवार थे. भाजपा की तरफ से अमित शाह और स्मृति ईरानी और कांग्रेस से अहमद पटेल.

लेकिन इसने नया मोड़ लिया, जब कांग्रेस के नेता विपक्ष शंकर सिंह वाघेला ने इस्तीफ़ा दे दिया. उनके साथ छह और कांग्रेस विधायकों ने पार्टी छोड़ी, जिनमें से तीन भाजपा में चले गए. इनमें गुजरात विधानसभा में कांग्रेस के चीफ़ व्हिप बलवंत सिंह राजपूत भी थे.

बलवंत सिंह राजपूत को भाजपा ने राज्यसभा के लिए अपना तीसरा उम्मीदवार बना दिया और यहीं से शतरंज की बिसात पलट गई.

अमित शाह और स्मृति ईरानी की जीत तय

नज़रिया: अहमद पटेल की सीट बीजेपी-कांग्रेस दोनों के लिए अहम का सवाल क्यों? 8
Getty Images
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह

यह भाजपा की एक रणनीतिक चाल है. अगर वह किसी भी तरह अहमद पटेल को हराने में कामयाब हो गई तो यह बड़ी कामयाब होगी. बलवंत सिंह राजपूत की जीत अपने आप में मायने नहीं रखती, लेकिन अहमद पटेल की हार बहुत मायने रखती है.

इसी साल नवंबर-दिसंबर में गुजरात में चुनाव होने हैं, जहां कई वजहों से भाजपा बैकफुट पर है. 2019 के लोकसभा चुनावों में भी ये सब चीज़ें बड़ी अहम हो जाती हैं. इस वजह से इस चुनाव का महत्व बढ़ गया है.

अमित शाह और स्मृति ईरानी आसानी से राज्यसभा पहुंच जाएंगे. इसमें 45-45 यानी 90 विधायकों के वोटों की ज़रूरत होगी. लेकिन इसके बाद भी भाजपा के पास 31 वोट बचते हैं, जो वे बलवंत सिंह राजपूत के लिए इस्तेमाल करेंगे. भाजपा की परेशानी ये है कि अहमद पटेल को हराने के लिए उन्हें बाक़ी के 14 वोट लाने हैं.

‘वाघेला के लोग अब भी कांग्रेस में’

नज़रिया: अहमद पटेल की सीट बीजेपी-कांग्रेस दोनों के लिए अहम का सवाल क्यों? 9
Getty Images

अहमद पटेल को जीतने के लिए 46 वोट चाहिए. स्थिति ये है कि कांग्रेस के 57 विधायक थे. छह साथ छोड़ गए तो 51 बचे. माना ये जाता है कि इन 51 में से अंदर अब भी वाघेला के लोग हैं. ख़ुद वाघेला और उनके बेटे महेंद्र सिंह भी विधानसभा के सदस्य हैं.

बाज़ी इस पर निर्भर है कि कांग्रेस के भीतर बैठे हुए वाघेला के समर्थन वाले विधायक क्रॉस वोटिंग करते हैं या नहीं.

हालांकि कांग्रेस को उम्मीद है कि इस स्थिति से वह अहमद पटेल की सीट बचाकर ले जाएंगे. लेकिन भाजपा पूरी ताकत लगा रही है और साम-दाम-दंड-भेद सब इस्तेमाल कर रही है.

गुजरात चुनाव से पहले के संकेत

नज़रिया: अहमद पटेल की सीट बीजेपी-कांग्रेस दोनों के लिए अहम का सवाल क्यों? 10
Getty Images

गुजरात विधानसभा में दो एनसीपी और एक जेडीयू विधायक भी हैं. एनसीपी ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन चूंकि वो यूपीए का हिस्सा हैं तो कांग्रेस को उनसे साथ आने की उम्मीद है.

अगर अहमद पटेल अपनी सीट बचा भी ले गए, तब भी उसके बहुत राजनीतिक असर होंगे. यहां से गुजरात में निकट भविष्य की राजनीति के लिए एक बड़ा संकेत मिलेगा.

शंकर सिंह वाघेला चाहते थे कि कांग्रेस ने जिस तरह अमरिंदर सिंह को पंजाब में पहले से कमान दे दी थी, वैसा ही गुजरात में भी करना चाहिए. लेकिन पार्टी ने एक तरह से उन्हें किनारे कर दिया.

‘वाघेला की अनदेखी करना कांग्रेस की भूल’

यहां के नेता दिल्ली में यह बताते रहे कि अगर वाघेला चले भी जाएंगे तो ज़्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. लेकिन जब से वो गए हैं, पार्टी में एक तरह से भूकंप सा आ गया है.

कांग्रेस ग़लत आकलन का ख़ामियाज़ा चुका रही है और आगे भी चुकाएगी. वाघेला का भी नरेंद्र मोदी की तरह गुजरात में जनाधार है. हाल ही में वह बाढ़ प्रभावित जगहों के दौरे पर निकले थे तो उन्हें अच्छा जनसमर्थन मिला था.

उनके असर से अगर कांग्रेस विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की तो अहमद पटेल ख़तरे में आ जाऐंगे.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)

Next Article

Exit mobile version