चीनी चेतावनी से बेखौफ अमेरिकी युद्धपोत गुजरा कृत्रिम द्वीप के पास से, पढ़ें फिर क्या हुआ
बीजिंग : विवादित दक्षिण चीन सागर में चीन के कृत्रिम द्वीप के पास से अमेरिकी युद्धपोत गुजरा जिससे चीन नाराज है. अमेरिका के इस कदम के बाद चीन की नौसेना ने अमेरिकी युद्धपोत को वापस लौटने की चेतावनी दी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेग शुआंग ने कहा कि यूएसएस जॉन एस मैक्केन युद्धपोत ने चीन […]
बीजिंग : विवादित दक्षिण चीन सागर में चीन के कृत्रिम द्वीप के पास से अमेरिकी युद्धपोत गुजरा जिससे चीन नाराज है. अमेरिका के इस कदम के बाद चीन की नौसेना ने अमेरिकी युद्धपोत को वापस लौटने की चेतावनी दी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेग शुआंग ने कहा कि यूएसएस जॉन एस मैक्केन युद्धपोत ने चीन और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया है और देश की संप्रभुता तथा सुरक्षा को ‘ ‘गंभीर ‘ ‘ रुप से नुकसान पहुंचाया है.
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जेंग ने कहा, कि चीन इस कदम से बेहद नाखुश है. उन्होंने कहा कि चीन, अमेरिका के समक्ष आधिकारिक विरोध दर्ज कराएगा. वहीं अमेरिका के एक अधिकारी ने कहा कि यूएसएस जॉन एस मैक्केन ‘ ‘नौवहन की स्वतंत्रता ‘ ‘ के तहत मिसचीफ रीफ से छह समुद्री मील के भीतर से कल गुजरा था. चीन ने इस कृत्रिम द्वीप का निर्माण किया है. मिसचीफ रीफ दक्षिण चीन सागर में विवादित स्प्रैटली द्वीपों का हिस्सा है जिस पर चीन और पडोसी देश अपना-अपना दावा जताते हैं.
नाम गोपनीय रखने की शर्त पर अमेरिका के एक अधिकारी ने एएफपी से कहा कि चीनी युद्धपोत ने यूएसएस मैक्केन को कम से कम 10 बार रेडियो चेतावनी भेजी. अधिकारी ने कहा, कि उन्होंने कहा ‘कृपया मुड जाइए, आप हमारे जल क्षेत्र में हैं. ‘ हमने उन्हें बताया कि यह अमेरिकी पोत है जो अंतरराष्ट्रीय समुद्र में नियमित अभियान पर है. अधिकारी ने कहा कि करीब छह घंटे तक चले अभियान के साथ सभी बातचीत ‘ ‘सुरक्षित और पेशेवर ‘ ‘ तरीके से की गयी लेकिन जेंग ने कहा कि ऐसे अभियानों से ‘ ‘जान को गंभीर जोखिम ‘ ‘ रहता है. ‘ ‘
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आपको बता दें कि जनवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पद संभालने के बाद से अब तक नौवहन की स्वतंत्रता अभियान की यह तीसरी घटना है.
डोकलाम मुद्दे पर वार्ता के पक्ष में है अमेरिका
इधर , अमेरिका ने कहा है कि वह चाहता है कि सिक्किम सेक्टर के डोकलाम में चल रहे गतिरोध पर भारत और चीन आपस में बातचीत करें. भारतीय सेना द्वारा चीनी सेना को डोकलाम क्षेत्र में सडक बनाने से रोकने के कारण शुरु हुआ यह गतिरोध 50 दिन से ज्यादा वक्त से जारी है. विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीथर नोर्ट ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, कि यह ऐसी स्थिति है जिस पर हम करीब से नजर रख रहे हैं. उन्होंने कहा, कि जैसा कि आप जानते हैं, हमारे संबंध दोनों सरकारों के साथ हैं. हम दोनों पक्षों को साथ बैठने और बातचीत करने को प्रोत्साहित कर रहे हैं. तब तक इसे अपने हाल पर छोड दें.