संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट : मजबूत हो रहा अलकायदा, आइएस को अब भी धन मुहैया करा रहा

संयुक्त राष्ट्र: सैन्य दबाव और राजस्व में गिरावट के बावजूद आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट अब भी अपने समर्थकों को धन भेजने और यूरोप तथा अन्य जगहों पर हमलों को प्रेरित करने में सक्षम है, जबकि खास तौर से पश्चिम अफ्रीका, पूर्वी अफ्रीका और अरब प्रायद्वीप में अल कायदा अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है. संयुक्त […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 11, 2017 3:08 PM

संयुक्त राष्ट्र: सैन्य दबाव और राजस्व में गिरावट के बावजूद आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट अब भी अपने समर्थकों को धन भेजने और यूरोप तथा अन्य जगहों पर हमलों को प्रेरित करने में सक्षम है, जबकि खास तौर से पश्चिम अफ्रीका, पूर्वी अफ्रीका और अरब प्रायद्वीप में अल कायदा अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों की एक रिपोर्ट में यह बात कही गयी है. आतंकवादी संगठनों के खिलाफ प्रतिबंधों की निगरानी करनेवाले विशेषज्ञों ने कहा कि इस्लामिक स्टेट और अल कायदा के बीच स्पर्धा जारी है, लेकिन आतंकवादियों के ‘एक-दूसरे गुटों में जाने’ और विभिन्न क्षेत्रों में नीतिगत स्तर पर सहयोग ने भी उन्हें विभिन्न आतंकवादी संगठनों में जाने दिया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण पूर्व एशिया में आतंकवादी खतरा लगातार बढ़ रहा है और यहां आइएस अपने पैर जमाना चाहता है. दक्षिण फिलिपींस में हालिया घटनाक्रम इसका सबूत है. दक्षिणी फिलिपींसन के मरावी शहर में दो महीने से ज्यादा समय से आइएस से जुड़े आतंकवादियों का कब्जा है. विशेषज्ञों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में दी रिपोर्ट में कहा कि इस्लामिक स्टेट का मुख्य ध्यान स्थानीय कमांडरों को निर्णय लेने की जिम्मेदारी सौंप कर इराक और सीरिया में सैन्य दबाव की स्थिति बदलना और कूट भाषा में संचार करना है. कई सदस्य देशों ने इराक और सीरिया में आइएस द्वारा ड्रोन के बढ़ते इस्तेमाल को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि आतंकवादी संगठन बड़े ड्रोन बनाने और डिजाइन करने की क्षमता विकसित कर रहा है जिससे वह ड्रोन को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने में सक्षम हो जायेगा तथा इससे दूर से हमला करने की उसकी क्षमता भी बढ़ेगी.

रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र के एक सदस्य देश के हवाले से कहा गया है कि आइएस दुनियाभर में अपने आतंकवादियों को धन भेज रहा है और जब तक संगठन को वित्त पोषण मिलेगा वह ऐसा करता रहेगा. विशेषज्ञों ने कई सदस्य देशों के हवाले से कहा कि घर लौटनेवाले आइएस लड़ाके तीन श्रेणियों में आते हैं : वो जिनका आतंकवादी संगठनों और ‘विचारधारा के तौर पर आतंकवाद’ से मोहभंग हो जाता है और उनकी कट्टर सोच को बदला जा सकता है, ‘आतंकवादी हमले’ करने के उद्देश्य से लौटनेवाले लड़ाके और आइएस से संबंध खत्म करनेवाले, लेकिन किसी दूसरे आतंकवादी संगठन में शामिल होने के लिए तैयार रहनेवाले लड़ाके.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इराक में अमेरिका के नेतृत्ववाले गंठबंधन के समर्थन से इराकी सेना के हमलों से पहले आइएस के मुख्य नेताओं ने मोसुल छोड़ दिया, लेकिन मोसुल में आइएस की लड़ाई ‘यह दिखाती है कि उसका कमांड और नियंत्रण ढांचा पूरी तरह टूटा नहीं है तथा यह आतंकवादी संगठन अब भी एक बड़ा सैन्य खतरा है.’ इसमें कहा गया है कि सीरिया में संभावित हमलों और हवाई हमलों के मद्देनजर आइएस के मुख्य आतंकवादी भी अपने गढ़ रक्का को छोड़ चुके हैं. रिपोर्ट के अनुसार, यमन में अलकायदा और आइएस से अरब प्रायद्वीप ‘बड़े खतरे’ का सामना कर रहा है. क्षेत्र में आइएस से जुड़ी 30 से अधिक आतंकवादी हमले की योजनाओं को नाकाम किया गया है.

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