पांच साल में भारत छोड़ पाकिस्तान में बस गये 298 लोग, अकेले 2016 में 69 व्यक्तियों ने त्याग दिया देश
इस्लामाबादः इसे भारत में बदलते सामाजिक आैर राजनीतिक परिवेश का नतीजा कहा जाये या फिर कुछ आैर… भारत के लोग पड़ोसी देश पाकिस्तान की नागरिकता लेकर वहीं बसने लगे हैं. हालांकि, पाकिस्तान की नागरिकता पाना मुश्किल माना जाता है, लेकिन पिछले 5 साल में पाक ने 298 भारतीयों को अपने मुल्क की नागरिकता दी है. […]
इस्लामाबादः इसे भारत में बदलते सामाजिक आैर राजनीतिक परिवेश का नतीजा कहा जाये या फिर कुछ आैर… भारत के लोग पड़ोसी देश पाकिस्तान की नागरिकता लेकर वहीं बसने लगे हैं. हालांकि, पाकिस्तान की नागरिकता पाना मुश्किल माना जाता है, लेकिन पिछले 5 साल में पाक ने 298 भारतीयों को अपने मुल्क की नागरिकता दी है. पाकिस्तान के गृह मंत्रालय की ओर से शनिवार को जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया कि 2012 से 14 अप्रैल 2017 तक 298 प्रवासी भारतीयों को पाकिस्तान की नागरिकता दी गयी है.
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एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह बयान सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के सांसद शेख रोहेल असगर की ओर से नेशनल असेंबली में इस संबंध में पूछे प्रश्न के जवाब में आया है. पाकिस्तान में 2012 में 48 भारतीय प्रवासियों को नागरिकता दी गयी, जो 2013 में बढ़कर 75 और 2014 में 76 हो गयी थी.
बयान में कहा गया कि 2015 में केवल 15 भारतीयों को नागरिकता दी गयी. 2016 में 69 लोगों को नागरिकता दी गयी है. पाकिस्तान को ऐसे देश के रूप में जाना जाता है, जहां नागरिकता पाना हमेशा मुश्किल काम रहा है. इसके बावजूद बड़ी संख्या में भारत, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और वर्मा जैसे देशों से अवैध प्रवासी यहां रह रहे हैं.
हाल ही में, भारतीय मूल के एक व्यक्ति को पाकिस्तान की नागरिकता देने का मामला भी सबको ज्ञात है. एक भारतीय महिला जिसके पति की मौत वर्षों पहले हो चुकी थी, उसे भी पूर्व गृह मंत्री चौधरी निसार अली खां के आदेश पर पिछले वर्ष मार्च में पाकिस्तान की नागरिकता दी गयी थी.
पाकिस्तान के गृह मंत्री निसार खान की ओर से मानवीय आधार पर जम्मू कश्मीर की जेल में बंद एक महिला को इसी साल मार्च में नागरिकता दी गयी थी. यह खबर ऐसे वक्त में आयी है, जब पाकिस्तान में रह रहे सैकड़ों हिंदू भारत में शरण लिये हुए हैं और यहां की नागरिकता पाने की कोशिश में हैं.
इस मामले में भारत सरकार भी सकारात्मक रवैया अपनाते हुए उन्हें नागरिकता देने पर विचार कर रही है. साथ ही, सीमा पार से कई लोग भारत में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के चलते यहां इलाज कराने आ रहे हैं और भारत सरकार भी उन्हें मेडिकल वीजा देने में बाधा नहीं बन रही है.