आत्मा की आवाज सुनें वोट करें : नामधारी

मेदिनीनगर: राज्य के वरिष्ठ राजनेता इंदर सिंह नामधारी इस बार चुनावी मैदान से दूर हैं, दूसरे दल के लिए भी मोरचाबंदी नहीं कर रहे हैं. पूर्व स्पीकर श्री नामधारी ने अब तक किसी भी दल का समर्थन करने की घोषणा नहीं की है. लोकसभा चुनाव के बाद राजनीतिक परिस्थिति देख कर पत्ता खोलेंगे. लोकसभा चुनाव […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 5, 2014 12:25 PM

मेदिनीनगर: राज्य के वरिष्ठ राजनेता इंदर सिंह नामधारी इस बार चुनावी मैदान से दूर हैं, दूसरे दल के लिए भी मोरचाबंदी नहीं कर रहे हैं. पूर्व स्पीकर श्री नामधारी ने अब तक किसी भी दल का समर्थन करने की घोषणा नहीं की है. लोकसभा चुनाव के बाद राजनीतिक परिस्थिति देख कर पत्ता खोलेंगे. लोकसभा चुनाव में किसी दल विशेष को समर्थन देने से इनकार करते हैं.

पिछले कई दिनों से श्री नामधारी दिल्ली में थे. शुक्रवार को पलामू पहुंचे. कार्यकर्ताओं से मिले, समर्थन किसे करना है, इस सवाल पर उन्होंने कार्यकर्ताओं से सिर्फ इतना ही कहा कि अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनें और मतदान करें. इस चुनाव में उनकी भूमिका सीमित है. श्री नामधारी का मानना है कि चुनाव पूरे सबाब पर है, ऐसे में बीच में किसी प्रकार का कोई निर्णय लेना उचित नहीं होगा. श्री नामधारी का कहना है कि लोकसभा चुनाव के बाद वे सक्रिय भूमिका में आयेंगे. झारखंड को बचाने के लिए बेहतर राजनीतिक वातावरण तैयार करना जरूरी है. विधानसभा चुनाव में योग्य और कर्मठ लोग चुने जायें, यही कोशिश होगी. वह कहते हैं कि राज्य में ईमानदार सरकार बने. राज्य गठन के बाद अब तक जो भी सरकारें बनीं, उसमें लूट-खसोट हावी रहा. लोकसभा चुनाव के बाद झारखंड को बचाने के लिए एक अभियान की जरूरत है और इसमें लगेंगे.

नहीं लड़ेंगे विधानसभा, अभियान में सक्रिय होंगे
श्री नामधारी ने विधानसभा चुनाव लड़ने से भी इनकार किया. उन्होंने कहा कि ऐसा कदापि नहीं करेंगे. जो किसी चीज की सुधार के लिए लगता है, वह खुद उसका पात्र नहीं होता. कैसे लोगों का मोरचा बनेगा, इस पर वह कहते हैं, जो झारखंड की बेहतरी चाहते हैं वह इससे जुड़ सकते हैं. लोकसभा चुनाव के बाद वह इस अभियान में सक्रिय हो जायेंगे.

इधर, राजनीति से दूर हैं अरुण उरांव
आइपीएस अधिकारी रहे डॉ अरुण उरांव का मोबाइल नॉट रिचेबल है. डॉ उरांव लोहरदगा से भाजपा के दावेदार थे. बात नहीं बनी, तो फिलहाल राजनीति से दूर हैं. चुनाव में डॉ उरांव की सक्रियता नहीं देखी जा रही है. जिस लोहरदगा के चुनावी अखाड़े में उतरना चाहते थे, वहां से सुदर्शन भगत जोर लगा रहे हैं. डॉ उरांव ने पार्टी से भी दूरी बना ली है. वह भाजपा के लिए खुल कर सामने नहीं आये हैं. हालांकि आधिकारिक रूप से उन्होंने भाजपा की सदस्यता नहीं ली थी. राजनीतिक सक्रियता को लेकर पहले वे बातचीत में भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की तारीफ करते नहीं थकते थे.

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