कंधारः दक्षिणी अफगानिस्तान के हेलमंद प्रांत में बुधवार को एक सैन्य काफिले को निशाना बनाकर किये गये एक तालिबान आत्मघाती कार बम हमले में कम से कम सात लोगों की मौत हो गयी. एक प्रांतीय अधिकारी ने यह जानकारी दी. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अफगानिस्तान के लिए अपनी नयी रणनीति की घोषणा की थी कि वह युद्धग्रस्त देश में अनिश्चितकाल के लिए अमेरिकी सैनिक भेजने के लिए प्रतिबद्ध है. इसके बाद आतंकवादियों का यह पहला बड़ा हमला है.
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हेलमंद प्रांत के गवर्नर के प्रवक्ता उमर जवाक ने कहा ककि लश्कर गाह में यह विस्फोट किया गया, जिसमें 42 लोग घायल हो गये और जिनमें ज्यादातर नागरिक शामिल हैं. जवाक ने कहा कि प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार मृतकों में एक बच्ची, दो महिलाएं और चार सैनिक शामिल हैं. उन्होंने मृतकों की संख्या और बढ़ने की आशंका जतायी हैं.
उन्होंने कहा कि यह हमारी प्रारंभिक रिपोर्टों के आधार पर हैं. अंतिम रिपोर्ट मिलने के बाद हताहतों की संख्या बढ़ने की आशंका है. पुलिस प्रमुख के मुख्यालय के समीप पार्किंग क्षेत्र में यह हमला हुआ. तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने अपने ट्वीटर एकाउंट पर एक पोस्ट में हमले की जिम्मेदारी लीं.
वरिष्ठ अफगान सरकारी अधिकारियों ने मंगलवार को ट्रंप की रणनीति का स्वागत किया था. वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि ट्रंप 3,900 और सैनिकों को भेज सकते हैं और इनमें से कुछ की तैनाती का काम जल्द ही शुरू हो सकता हैं. ट्रंप ने पाकिस्तान के लिए भी कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए आरोप लगाया था कि इस्लामाबाद आतंकवादियों को सुरक्षित पनाह देता है, जबकि अफगानिस्तान में वे अमेरिकी सैनिकों को मारते है.
उन्होंने कहा था कि वह तत्काल परिणाम चाहते है. वर्ष 2014 के अंत में युद्धग्रस्त देश से विदेशी लड़ाकू सेनाओं को वापस बुलाये जाने के बाद से पूरे अफगानिस्तान में तालिबान ने अपने हमलों को बढ़ा दिया हैं. इस महीने की शुरुआत में तालिबान ने ट्रंप को लिखे एक खुले पत्र में अपनी मांग को दोहराते हुए कहा था कि बाकी बचे अमेरिकी सैनिकों को वापस बुला लिया जाये. अमेरिका के अफगानिस्तान में लगभग 8,400 सैनिक तैनात हैं, जो देश में आतंकवाद विरोधी अभियानों को चलाने में स्थानीय सैनिकों की मदद कर रहे हैं.