17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मर्चेट बैंकर की नियुक्ति रोका विनिवेश मंत्रालय ने

आसनसोल: पूर्व सांसद व कोलियरी मजदूर सभा (एटक) के महासचिव आरसी सिंह ने कहा कि कोल इंडिया लिमिटेड में सक्रिय केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के विरोध के दबाव में केंद्र सरकार ने कंपनी के विनिवेशीकरण की प्रक्रिया फिलहाल स्थगित कर दी है. यह श्रमिकों के जीत का प्रतीक है. लेकिन भविष्य में ऐसा न हो, इसके […]

आसनसोल: पूर्व सांसद व कोलियरी मजदूर सभा (एटक) के महासचिव आरसी सिंह ने कहा कि कोल इंडिया लिमिटेड में सक्रिय केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के विरोध के दबाव में केंद्र सरकार ने कंपनी के विनिवेशीकरण की प्रक्रिया फिलहाल स्थगित कर दी है. यह श्रमिकों के जीत का प्रतीक है. लेकिन भविष्य में ऐसा न हो, इसके लिए दबाव बनाये रखना होगा.

जैक संयोजक श्री सिंह ने कहा कि पहले ही कंपनी के 11 फीसदी शेयर निजी कंपनियों को बेचे जा चुके हैं. इधर सरकार ने दस फीसदी और शेयरों की बिक्री की योजना बनायी है ताकि बीस हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि जुटायी जा सके. सीआईएल व इससे संबंधित अधिसंख्य कंपनियां लाभ अजिर्त कर रही है. इसके बाद भी इसके शेयरों की बिक्री के पीछे मुख्य कारण लाभकारी कंपनियों को पूंजीपतियों को सौंपने की है.

उन्होंने कहा कि यदि निजी क्षेत्र को इन कंपनियों की जरूरत है तो वह रुगA कंपनियों को अपने प्रभार में क्यों नहीं लेती हैं. श्री सिंह ने कहा कि सीआईएल में सक्रिय यूनियनों ने संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखा था. इसमें कहा गया था कि यदि विनिवेशीकरण की प्रक्रिया जारी रही तो यूनियनों के पास अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं रह जायेगा. उन्होंने कहा कि बीते सप्ताह ही रांची में यूनियनों की बैठक हुई है. जून में फिर से कन्वेंशन होना है.

इस कन्वेंशन में हड़ताल की तिथि घोषणा की जायेगी. उन्होंने कहा कि संसदीय चुनाव से पहले कोयला श्रमिकों के आंदोलन को देखते हुये सरकार ने इस प्रक्रिया को फिलहाल स्थगित करने का संकेत दिया है. उन्होंने कहा कि विनिवेशीकरण के लिए विनिवेश मंत्रलय ने मर्चेट बैंकों की नियुक्ति के लिए टेंडर जारी किया था. लेकिन मंत्रलय ने फिलहाल इस टेंडर को स्थगित कर दिया है. उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया को सिर्फ स्थगित किया गया है. इसे रद्द नहीं किया गया है.

इस स्थिति में केंद्रीय सरकार पर दबाब बनाये रखना होगा. उन्होंने कहा कि सरकार वायदा करके भी मुकर जाती है. वर्ष 2010 में तत्कालीन वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने संसद में घोषणा की थी कि 11 फीसदी शेयर बेचने के बाद सीआईएल का विनिवेशीकरण नहीं किया जायेगा. लेकिन नये सिरे से इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. उन्होंने कहा कि सरकार को निजीकरण से रोकने के लिए एकता बनाकर संघर्ष को तेज करना होगा. उन्होंने कहा कि ठेका श्रमिकों के मुद्दे पर प्रबंधन का रवैया पूरी तरह से उदासीन बना हुआ है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें