शत्रु जी को जिताने के लिए 12 ज्योतिर्लिगों के दर्शन
पटना: कहते हैं, अगर इनसान ठान ले, तो फिर सब कुछ आसान हो जाता है. कुछ ऐसा ही वादा इन दिनों पूनम सिन्हा ने खुद से कर रखा है. घर में पति के हेल्थ पर ध्यान और बाहर चुनावी प्रचार में कदम-से-कदम मिला कर चलना उनका रूटीन है. पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र से खड़े भाजपा […]
पटना: कहते हैं, अगर इनसान ठान ले, तो फिर सब कुछ आसान हो जाता है. कुछ ऐसा ही वादा इन दिनों पूनम सिन्हा ने खुद से कर रखा है. घर में पति के हेल्थ पर ध्यान और बाहर चुनावी प्रचार में कदम-से-कदम मिला कर चलना उनका रूटीन है. पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र से खड़े भाजपा प्रत्याशी शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा चुनाव प्रचार का एक भी मौका छोड़ना नहीं चाहतीं.
कभी महिलाओं के बीच, तो कभी क्षेत्र के लोगों के बीच खुद पहुंच कर वोट की अपील कर रही हैं. इतना ही नहीं, उन्होंने पति के लोकसभा पहुंचने के लिए देश के 12 ज्योतिर्लिगों का दर्शन करना भी ठान लिया है. आठ के दर्शन कर लौटीं पूनम सिन्हा ने बताया कि अभी तक मैंने आठ के दर्शन पूरे कर लिये हैं, बाकी के दर्शन 17 अप्रैल को वोटिंग हो जाने के बाद करने जाऊंगी. उनकी जीत के लिए तो यह काफी कम है.
शत्रु जी की फेवरेट आलू की भुजिया बनाती हूं : सुबह 5 बजे उठना और 12 बजे रात तक घर से लेकर बाहर तक का सारा प्लानिंग करना, पूनम सिन्हा का डेली रूटीन है. धूल भरी गरमी का असर कहीं हेल्थ पर न पड़े, इसके लिए पति को सुबह में ऑर्गेनिक फूड ही देना पसंद करती हैं. उन्होंने बताया कि तुलसी, बादाम, लहसुन आदि शत्रु जी के नाश्ते में रहता ही है. इसके अलावा उनकी फेवरेट आलू की भूजिया देना नहीं भूलती हैं. उन्होंने बताया कि बिहारी व्यंजन बनाना मैंने अपनी अम्मा (सास) से सीखा. नवरात्र में पूरी तरह वेजिटेरियन होने के कारण अभी पूनम सिन्हा शत्रु जी की फेवरेट डिश सरसों मसालावाली मछली नहीं खिला पा रही हैं. बिहारी व्यंजन की तारीफ करते हुए पूनम सिन्हा ने बताया कि शत्रु जी को मेरे हाथ का सिंधी कड़ी और सरसों मसालावाली मछली काफी पसंद है. लेकिन, अभी नवरात्र होने के कारण मैं नहीं बना पा रही हूं. लेकिन, जब भी समय मिलता है, शत्रु जी के लिए खुद ही खाना बनाती हूं.
मंदिर में माथा टेकना नहीं भूलतीं : कभी पति शत्रुघ्न सिन्हा के साथ, तो कभी अकेले ही कार्यकर्ता के साथ चुनावी मैदान में पूनम सिन्हा प्रचार अभियान में चल देती हैं. ऐसे में वह मंदिर जाना नहीं भूलतीं. उन्होंने बताया कि पटना में कई ऐसे मंदिर हैं, जहां जब भी आती हूं, एक बार जरूर जाती हूं. ऐसे में अभी तक कंकड़बाग गायत्री मंदिर, सांईं बाबा मंदिर, मानस मंदिर में माथा टेक चुकी हूं. अब गुरुद्वारा, चित्रगुप्त मंदिर के साथ कई और मंदिर जाने का प्लान है. 1965 में पहली बार पटना आयी पूनम सिन्हा ने बताया कि पटना में बहुत परिवर्तन हो गया है. काफी फैल गया है.
सीखने के बाद राजनीति में काम करना चाहता हूं : शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे लव को राजनीति काफी पसंद है. लेकिन, इस क्षेत्र में लव अपनी किस्मत तभी आजमाना चाहते हैं, जब राजनीति की हर चीज को जान लें. इस संबंध में लव ने बताया कि मैंने अभी फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा है. अभी तो वहीं काम करूंगा. पापा की मदद के लिए अभी यहां पर हूं. मुङो लगता है कि राजनीति को अच्छी तरह से समझने के बाद ही इसमें कदम रखना चाहिए. मैं जब पूरी तरह से राजनीति को जान लूंगा और सारी चीजें सीख लूंगा तभी इस फील्ड में कदम रखूंगा.