म्यांमार में रोहिंग्या उग्रवादियों से संघर्ष में 12 सुरक्षाकर्मी समेत 89 मरे
माउंगदाव : उत्तरी म्यांमार के राखिन राज्य में रोहिंग्या उग्रवादियों द्वारा सीमा चौकियों को घेर लेने के बाद हुए संघर्ष में 12 सुरक्षाकर्मियों सहित कम से कम 89 लोगों की मौत हुई है. म्यांमार के अधिकारियों ने कहा कि पिछले कुछ महीने में हुई यह सबसे भीषण हिंसा है. दूरस्थ गांवों में सक्रिय संदिग्ध समूहों […]
माउंगदाव : उत्तरी म्यांमार के राखिन राज्य में रोहिंग्या उग्रवादियों द्वारा सीमा चौकियों को घेर लेने के बाद हुए संघर्ष में 12 सुरक्षाकर्मियों सहित कम से कम 89 लोगों की मौत हुई है. म्यांमार के अधिकारियों ने कहा कि पिछले कुछ महीने में हुई यह सबसे भीषण हिंसा है. दूरस्थ गांवों में सक्रिय संदिग्ध समूहों द्वारा लगभग रोज की जा रही हत्याओं की वजह से राज्य में हाल के हफ्तों में तनाव व्याप्त है. म्यांमार की सेना ने कहा कि शुक्रवार तड़के अनुमानित 150 विद्रोहियों ने 20 से ज्यादा चौकियों पर हमला कर दिया. कुछ विद्रोही बंदूकों से लैस थे और देसी विस्फोटकों का इस्तेमाल कर रहे थे.
सेना ने कहा, ‘कयार गाउंग ताउंग और नाट चाउंग गांवों में स्थित पुलिस चौकियों पर लड़ाई चल रही है. सेना और पुलिस के सदस्य मिलकर चरमपंथी बंगाली आतंकवादियों से लड़ रहे हैं.’ मयांमार सरकार रोहिंग्या उग्रवादियों को ‘बंगाली आतंकवादी’ कहता है. वस्तुत: देश की नेता आंग सान सू की के कार्यालय ने कहा कि 77 उग्रवादियों के साथ ही 12 सुरक्षा अधिकारी मारे गये हैं. उत्तरी राखिन के प्रमुख शहर माउंगदाव के एक निवासी ने बताया कि पूरी रात गोलीबारी की आवाजें सुनी जा सकती थीं.
नाम न उजागर करने की शर्त पर निवासी ने फोन पर बताया, ‘हम अब भी गोलीबारी की आवाज सुन रहे हैं. हमारी घरों से बाहर जाने की हिम्मत नहीं है.’ वर्षों के दमन के बाद भी रोहिंग्या बड़े पैमाने पर हिंसक गतिविधि को अंजाम देते हैं. पहले अज्ञात एक उग्रवादी समूह पिछले अक्तूबर में अराकान रोहिंग्या सालवेशन आर्मी (एआरएसए) के तौर पर उभरा जो बांग्लादेश की सरहद से लगते दूरस्थ मे यू पर्वत में विद्रोह का नेतृत्व करने का दावा करता है.
समूह को लेकर कथित तौर पर पोस्ट किये जानेवाले एएआरएसए ऑफिशल नाम के ट्विटर अकाउंट ने शुक्रवार की सुबह पुष्टि की कि उसके लड़ाके राथेडाउंग टाउनशिप में म्यांमार की सेना के साथ लड़ रहे हैं. इसने हाल के हफ्तों में क्षेत्र में सेना पर अत्याचार करने का आरोप लगाया. हिंसा की वजह से और कई रोहिंग्या लोगों को देश छोड़ना पड़ा और दो नौकाओं पर करीब 150 महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों ने सवार होकर नफ नदी के जरिये बांग्लादेश में प्रवेश करने की कोशिश की. लेकिन, उन्हें वापस भेज दिया गया. बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश के एक अधिकारी ने कहा, ‘वे डरे हुए थे. हमें उन्हें वापस भेजते हुए दुख हुआ.’