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म्यांमार हिंसाः 100 से अधिक लोगों की जान गयी, पढ़ें क्या है इस हिंसा के पीछे की कहानी

यंगून :म्यांमार में जारी हिंसा के बाद हजारों लोगों ने अपना घर छोड़ दिया. कई लोग अपनी जान बचाकर भारत- बांग्लादेश सीमा की तरफ भाग रहे हैं. बांग्लादेश ने कई लोगों को वापस भेज दिया. म्यांमार की नेता आंग सान सू ची ने आज रोहिंग्या लडाकों पर संकटग्रस्त राखिन प्रांत में हालिया हिंसा के दौरान […]

यंगून :म्यांमार में जारी हिंसा के बाद हजारों लोगों ने अपना घर छोड़ दिया. कई लोग अपनी जान बचाकर भारत- बांग्लादेश सीमा की तरफ भाग रहे हैं. बांग्लादेश ने कई लोगों को वापस भेज दिया. म्यांमार की नेता आंग सान सू ची ने आज रोहिंग्या लडाकों पर संकटग्रस्त राखिन प्रांत में हालिया हिंसा के दौरान घरों को जलाने और बाल सैनिकों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है.

उग्रवादियों ने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया. राखिन राज्य में शुक्रवार से एक बार फिर हिंसा तेज हो गई जब उग्रवादियों ने घात लगा कर ताजा हमले किए. सबसे ग़रीब प्रांत रख़ाइन में दस लाख से अधिक रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं. कई रिपोर्ट में इस पर चिंता जतायी गयी कि इन पर लगे प्रतिबंध के कारण यह समुदाय कट्टरता की तरफ बढ़ रहा है.


अबतक 100 से अधिक लोगों की जान गयी

हिंसा में 80 उग्रवादियों सहित 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और हजारों रोहिंग्या नागरिकों ने समीपवर्ती बांग्लादेश की ओर पलायन किया है. कुछ स्थानीय बौद्यों और हिंदुओं ने अन्य शहरों और मठों में शरण ली है.
एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं दोनों पक्ष
तेज हुई हिंसा के लिए दोनों पक्ष एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराते हैं. आरोपों की पुष्टि करना मुश्किल है क्योंकि हिंसा कई ऐसे गांवों में हो रही है जहां पहुंच पाना बहुत मुश्किल है. सू ची द्वारा सीधे संचालित सरकारी विभाग ‘ ‘स्टेट काउंसेलर्स ऑफिस ‘ ‘ ने अपने फेसबुक अकाउंट के जरिये कई बयान जारी किए हैं जिनमें उन नागरिकों के तस्वीरें भी हैं जिन्हें उग्रवादियों ने कथित तौर पर गोली मारी.
बयानबाजी और आरोप प्रत्यारोप
सोमवार को नवीनतम बयान में कार्यालय ने कहा, आतंकी बच्चों को आगे कर सुरक्षा बलों से लड रहे हैं तथा अल्यसंख्यक बहुत गांवों में आग लगा रहे हैं. ‘ ‘ लडाई के पीछे मौजूद उग्रवादी समूह अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (एआरएसए) ने आज पलटवार करते हुए अपने ट्विटर अकाउंट एएआरएसएंऑफिशियल के माध्यम से आरोप लगाया, ‘ ‘रोहिंग्या गांवों पर छापा मारने के दौरान बर्मा के क्रूर सैनिकों के साथ राखिन (बौद्ध) चरमपंथियों ने रोहिंग्या गांवों पर हमला किया, रोहिंग्याओं की संपत्ति लूट ली और बाद में रोहिंग्याओं के घरों को जला दिया. ‘ ‘
क्या है पूरा मामला
म्यांमार ने रोहिंग्या मुसलमानों को बांग्लादेश का बताकर नागरिकता देने से इनकर कर दिया. पिछले साल सेना ने इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की थी. 87 हजार से ज्यादा रोहिंग्या बांग्लादेश चले गये. बौद्ध- रोहिंग्‍या मुस्लिमों के बीच हिंसा रह- रह कर भड़कती है. एक रिफ्यूजी ने बताया अभी भी रोहिंग्‍या का बर्मा में रहना मुश्किल हो रहा है.
बर्मा में रोहिंग्‍या मुस्लिमों की करीब 40 लाख की आबादी थी. कत्‍लेआम में करीब एक लाख लोगों को मार दिया. बौद्ध रोहिंग्‍या मुस्लिमों से कहते हैं कि तुम बांग्‍लादेश के हो. तुम्‍हारे पुरखे 600 साल पहले बांग्‍लादेश से गुलाम बनाकर यहां (बर्मा) लाए गए थे. तुम भी गुलाम हो. बांग्‍लादेश जाओ, भारत जाओ. कई शरणार्थी जो भारत, बांग्लादेश सहित दूसरे जगहों पर हैं वह बताते हैं, रोहिंग्‍या मुस्लिमों को जो आईडी कार्ड दिए गए हैं वे टैम्‍पररी हैं. उनमें लिखा है कि वे यहां मेहमान हैं, यहां के नागरिक नहीं हैं. रोहिंग्‍या को वहां कोई सरकारी नौकरी नहीं देता.

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