बेनजीर हत्याकांड मामले में पाकिस्तान की अदालत आज सुना सकती है फैसला

इस्लामाबाद : पाकिस्तान में गुरुवार को एक आतंकवाद निरोधक अदालत करीब एक दशक पुराने बेनजीर भुट्टो हत्याकांड मामले में फैसला सुना सकती है. दो बार पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रह चुकीं बेनजीर भुट्टो की 27 दिसंबर 2007 में रावलपिंडी में नृशंस हत्या कर दी गयी थी. हत्या के तत्काल बाद मामला दर्ज किया गया था जिसकी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 31, 2017 12:53 PM

इस्लामाबाद : पाकिस्तान में गुरुवार को एक आतंकवाद निरोधक अदालत करीब एक दशक पुराने बेनजीर भुट्टो हत्याकांड मामले में फैसला सुना सकती है. दो बार पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रह चुकीं बेनजीर भुट्टो की 27 दिसंबर 2007 में रावलपिंडी में नृशंस हत्या कर दी गयी थी. हत्या के तत्काल बाद मामला दर्ज किया गया था जिसकी सुनवाई बुधवार को रावलपिंडी में खत्म हुई. सुनवाई के दौरान कई उतार चढाव आये.

आतंकवाद निरोधक अदालत तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान आतंकी समूह के पांच आतंकियों तथा दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों पर फैसला सुनाएगी. एटीसी के जज असगर अली खान ने शहर की अदियाला जेल में मामले की सोमवार से दिन प्रतिदिन सुनवाई की तथा अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

बेनज़ीर भुट्टो की हत्या से जुड़े 7 सवालों के जवाब

जब बेनजीर की हत्या की गयी थी तब परवेज मुशर्फ पाकिस्तान के राष्ट्रपति थे और वह भी बेनजीर मामले में एक आरोपी हैं. उनके पाकिस्तान लौटने पर उनके खलाफ सुनवाई अलग से होगी. बेनजीर की हत्या के बाद गिरफ्तार किये गए पांचों संदिग्ध..रफाकत हुसैन, हसनैन गुल, शेर जमान, ऐतजाज शाह और अब्दुल राशिद जेल में हैं. आरोपियों में रावलपिंडी के तत्कालीन पुलिस प्रमुख सउद अजीज तथा एसएसपी कुर्म शहजाद भी शामिल हैं और इस मामले में उनके भाग्य का फैसला होगा. दोनों को ही शुरु में गिरफ्तार कर लिया गया था लेकिन 2011 में जमानत पर छोड़ दिया गया था.

फैसले के समय सभी आरोपी अदालत में मौजूद रहेंगे. पांचों संदिग्धों के खिलाफ मुख्य सुनवाई जनवरी 2008 में शुरू हुई जबकि मुशर्फ, अजीज तथा शहजाद के खिलाफ सुनवाई फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी की नई जांच के बाद 2009 में शुरू की गयी. इस अवधि में आठ अलग अलग न्यायाधीशों ने मामले की सुनवाई की जिन्हें विभिन्न कारणों से बदला भी गया. बेनजीर की हत्या के लिए शुरू में टीटीपी के प्रमुख बैतुल्ला मेहसूद को जिम्मेदार ठहराया गया. मुशर्फ की सरकार ने मेहसूद की एक अन्य व्यक्ति के साथ बातचीत का टेप जारी किया जिसमें वह हत्या के लिए व्यक्ति को बधाई दे रहा है.

तीन गोलियां और एक धमाका… बेनज़ीर यूं फ़ना हो गईं

बहरहाल, अपनी समापन जिरहों में एफआईए के मुख्य अभियोजक मोहम्मद अजहर चौधरी ने ऑडियो रिकॉर्ड के प्रमाण तथा फोन पर हुई बातचीत के ब्यौरे को बतौर प्रमाण खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि मुशर्फ ने जांचकर्ताओं को गुमराह करने और अपने आपको बचाने के लिए यह कहानी गढ़ी है.

Next Article

Exit mobile version