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पैदल, साइकिल और जीप से प्रचार करते थे भजोहरि बाबू

।। अनुज कुमार सिन्हा ।। जमशेदपुर सीट के पहले सांसद भजोहरि महतो 1952 के पहले लोकसभा चुनाव के दौरान हुए प्रचार और आज के चुनाव प्रचार में बहुत फर्क आ गया है. अधिकतर प्रत्याशी पैदल या साइकिल से प्रचार करते थे. संपन्न प्रत्याशी गाड़ियों का भी प्रयोग करते थे. जमशेदपुर (तब यह मानभूम दक्षिण धालभूम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 8, 2014 5:44 AM

।। अनुज कुमार सिन्हा ।।

जमशेदपुर सीट के पहले सांसद भजोहरि महतो

1952 के पहले लोकसभा चुनाव के दौरान हुए प्रचार और आज के चुनाव प्रचार में बहुत फर्क आ गया है. अधिकतर प्रत्याशी पैदल या साइकिल से प्रचार करते थे. संपन्न प्रत्याशी गाड़ियों का भी प्रयोग करते थे. जमशेदपुर (तब यह मानभूम दक्षिण धालभूम कहलाता था) के पहले सांसद थे भजोहरि महतो.

1952 का चुनाव उन्होंने मानभूम लोक सेवक संघ के टिकट पर जीता था. 2003 में मुङो यह पता चला था कि पहले सांसद जीवित हैं और पुरूलिया में रहते हैं. पूर्व विधायक-मंत्री घनश्याम महतो (अब दिवंगत) को लेकर बंगाल के जितान गांव गया, जहां भजोहरि महतो से मुलाकात हुई थी. उस समय 90 साल से अधिक उनकी उम्र हो गयी थी. बहुत प्रयास के बाद थोड़ा बोल पाते थे. इसी दौरान 1952 के चुनाव के बारे में बात हुई थी.

भजोहरि महतो ने कहा था-लोक सेवक संघ के टिकट पर चुनाव लड़ा था.

कांग्रेस की ओर से माइकल जान (मशहूर लेबर लीडर) प्रत्याशी थे. माइकल जान को हरा कर सांसद बना था. तब इस सीट से दो सांसद चुने जाने थे. दूसरे सांसद भी लोक सेवक संघ के चैतन माझी थे. 1957 के चुनाव में इस सीट का बड़ा हिस्सा बंगाल में चला गया और भजोहरि बाबू बंगाल से सांसद बने. मुलाकात में उन्होंने बताया था-अब तो हवाई जहाज, हेलीकॉप्टर का जमाना आ गया है. उन दिनों ऐसी बात नहीं थी. साधन था नहीं. तामझाम भी नहीं था.

पैदल ही प्रचार करता था. कभी साइकिल और एक पुरानी जीप से भी प्रचार करता था. कुछ प्रत्याशी बैलगाड़ी का भी उपयोग करते थे. वैसे बहुत प्रचार की जरूरत नहीं थी. 1942 में आंदोलन में सक्रिय था. पकड़ लिये गये थे. जेल में थे. जब देश आजाद हुआ, तब जा कर रिहा किया गया था. उन्होंने बताया था कि चुनाव में प्रत्याशी एक-दूसरे के प्रति आदर रखते थे. आज वाली स्थिति नहीं थी. अभी तो एक-दूसरे को मात देने के लिए किसी हद तक जा सकते हैं.

1952 में यह क्षेत्र बहुत ही पिछड़ा था. लोकसभा के तुरंत बाद विधानसभा के चुनाव हुए थे, जिसमें रामगढ़ राजा ने हेलीकॉप्टर का प्रयोग किया था. लोकसभा चुनाव में ही देश के अन्य हिस्सों में जवाहरलाल नेहरू की तसवीर लगा कर कांग्रेस प्रत्याशी पुराने मॉडल की गाड़ियों से प्रचार किया करते थे. कांग्रेस का चुनाव चिह्न् था, जोड़ा बैल. कांग्रेस प्रचार में जोड़ा बैल को उतार देती थी (बैलगाड़ी में). अन्य दल भी कभी ऊंट का तो कभी घोड़ा गाड़ी से प्रचार करते थे.

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