।। दक्षा वैदकर ।।
पिछले साल ऑफिस की एनुअल मीटिंग में राघव को उसकी टीम की तरफ से एक प्रेजेंटेशन देना था. उसने प्रेजेंटेशन में कुछ क्रिएटिव चीजें डालने की सोची और उसका प्रेजेंटेशन थोड़ा अजीब हो गया. या कह सकते हैं कि बिगड़ गया. कंपनी की मीटिंग में लोग उस पर हंसे भी. राघव ने इस बात को दिल से लगा लिया. वह अपने आप को सालभर कोसता रहा.
खुद को ही डांटता रहा कि उसने इतनी बड़ी बेवकूफी कैसे की. जब भी प्रेजेंटेशन का कोई नाम लेता, वह आत्मग्लानि से भर जाता कि मेरी वजह से टीम का नुकसान हो गया. पूरा साल उसने वैसे ही बीता दिया. अब इस बार जब दोबारा प्रेजेंटेशन के लिए उसे कहा गया, तो उसने अपना नाम वापस ले लिया. राधव ने अपने जूनियर को प्रेजेंटेशन बनाने का कह दिया और खुद को सीमित कर लिया.
हम में से ऐसे कई लोग हैं, जो इसी तरह की हरकतें करते हैं. हम दूसरों को तो गलतियां करने पर माफ कर देते हैं, लेकिन खुद के साथ कठोर हो जाते हैं. हम अपनी छोटी-से-छोटी गलती पर भी खुद को सजा देते हैं. अपने आप को कोसते हैं और इस कदर तक कोसते हैं कि अपनी सेहत ही खराब करते हैं. इतना ही नहीं, हम उस काम को दोबारा करने से भी डरने लगते हैं. हम खुद को अपनी गलती सुधारने का दूसरा मौका ही नहीं देते. हमें लगता है कि कहीं दोबारा गलती न हो जाये और खासा नुकसान न हो जाये. ऐसा करके हम एक बड़ी गलती करते हैं.
दोस्तों, हमें दूसरों को माफी देने के साथ ही खुद को भी माफ करना आना चाहिए. ऐसा नहीं है कि आप अपनी हर गलती पर बेशर्मी से कहें कि ‘इससे क्या फर्क पड़ता है.’ हमें चाहिए कि अपनी गलती से सबक लें और दोबारा उस गलती को न करने का वादा कर आगे बढ़ें. उस काम को दोबारा शुरू कर, उसे अंजाम तक पहुंचायें. यदि आप ऐसा नहीं करेंगे, तो आप डरने लगेंगे. नये कामों को करने से डरेंगे, कोई भी क्रिएटिव काम नहीं कर पायेंगे, जिंदगी में रिस्क नहीं ले पायेंगे. इस तरह तो आप खुद के ही दुश्मन बन जायेंगे.
बात पते की..
– गलती कौन नहीं करता है. जो व्यक्ति काम करता है, वही गलतियां भी करता है. इसलिए खुद पर विश्वास बनाये रखें और सतर्क रहें.
– जब भी गलती हो, उसका विश्लेषण करें कि कहां और क्यों गलती हो गयी. एक बार वजह पता चल जाये, तो उसे नोट कर लें और उस पर ध्यान दें.