मॉस्को : रूस और अमेरिका के बीच शुक्रवार को एक बार फिर से राजनयिक खींचतान शुरू हो गयी. इसकी शुरुआत उस वक्त हुई जब अमेरिका ने सैन फ्रांसिस्को स्थित रूस के वाणिज्य दूतावास और दो राजनयिक एनेक्सियों को बंद करने के आदेश दिये. अमेरिका ने यह जवाबी कार्रवाई ऐसे समय में की है जब रूस स्थित अमेरिकी राजनयिक मिशन में कर्मियों की संख्या घटाने की क्रेमलिन की मांग पर वॉशिंगटन द्वारा अमल करने की समयसीमा एक सितंबर को पूरी हो गयी. परमाणु शक्ति संपन्न दोनों देशों के बीच इस तनातनी से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से रिश्ते सुधारने की कोशिशों को एक और झटका लगा है.
वॉशिंगटन ने कहा कि बुधवार को ‘समानता की भावना’ के तहत उसने सैन फ्रांसिस्को स्थित रूस के वाणिज्यिक दूतावास और वॉशिंगटन एवं न्यू यॉर्क स्थित दो राजनयिक एनेक्सियों को बंद करने के आदेश दिये थे. यह आदेश तब दिये गये जब मॉस्को ने जुलाई में मांग की कि वह अपने कूटनीतिक कर्मियों की संख्या में कमी लाये. विदेश विभाग की प्रवक्ता हीथर नॉअर्ट ने एक बयान में कहा, ‘रूस में हमारे मिशन का आकार घटाने के रूसी फेडरेशन की सरकार के फैसले पर अमेरिका ने पूरी तरह अमल किया है.’
अमेरिका ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि दोनों पक्ष ‘बदले की भावना से की जानेवाली और कार्रवाइयों से परहेज कर सकते हैं’ और संबंधों में सुधार कर सकते हैं, लेकिन उसने चेतावनी भी दी कि वह ‘जरूरत पड़ने पर और कार्रवाई करने के लिए तैयार है.’ रूस के विदेश मंत्रालय ने ‘तनाव बढ़ने पर अफसोस’ जताया और कहा कि वह अमेरिका की ओर से उठाये गये कदमों का विश्लेषण करने के बाद अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करेगा. हालांकि, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने ताजा तनाव के लिए ट्रंप प्रशासन को जिम्मेदार ठहराने से परहेज किया और सारा ठीकरा उनके पूर्ववर्ती बराक ओबामा पर फोड़ दिया. लावरोव ने कहा, ‘रूस के हितों का जवाब जहां मिलेगा, वहां रचनात्मक सहयोग के लिए हम आज भी तैयार हैं. लेकिन, ताली दो हाथों से बजती है और अब तक हमारा साझेदार बार-बार अकेले ही ब्रेक डांस कर रहा है.’ रूसी विदेश मंत्री सितंबर में न्यू यॉर्क में अपने अमेरिकी समकक्ष से मिलनेवाले हैं.