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यूं ही नहीं उत्तर कोरिया के निशाने पर गुआम द्वीप
उत्तर कोरिया हमेशा गु्आम पर हमले की धमकी देता है, तो इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि यह द्वीप अमेरिका का सैन्य सेंटर है. यहां अमेरिका ने गोला-बारुद का विशाल भंडार जमा कर रखा है. कहा तो यह भी जाता है कि यहां अमेरिका ने जितने हथियार और गोला-बारुद जमा कर रखे हैं, उससे […]
उत्तर कोरिया हमेशा गु्आम पर हमले की धमकी देता है, तो इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि यह द्वीप अमेरिका का सैन्य सेंटर है. यहां अमेरिका ने गोला-बारुद का विशाल भंडार जमा कर रखा है. कहा तो यह भी जाता है कि यहां अमेरिका ने जितने हथियार और गोला-बारुद जमा कर रखे हैं, उससे वह कई हफ्तों तक युद्ध लड़ सकता है.
इस हफ्ते मंगलवार को उत्तर कोरिया ने एक मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल का परिक्षण किया. यह प्योंगयांग के सुनान प्रक्षेपण स्थल से जापान के केप एरिमो और ओशिमा प्रायद्वीप पर से होती हुई उसके समुद्री क्षेत्र में जा गिरा. इसके प्रक्षेपित होते ही जहां जापान ने अपनी जनता को जे-अलर्ट प्रणाली के माध्यम से सचेत किया, तो अमेरिका और उत्तर कोरिया में तनातनी युद्ध की धमकी तक जा पहुंची. उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने प्रशांत महासागर स्थित अमेरिकी सैनिक अड्डे गुआम का नाम लेकर मिसाइल परीक्षण की धमकी दी थी.
अमेरिका और दक्षिण कोरिया के संयुक्त सैन्य अभ्यास से बौखलाये उत्तर कोरिया ने कहा है कि मंगलवार को नॉर्थ कोरिया के द्वारा किया गया मिसाइल परीक्षण गुआम के लिए ही था. तो गुआम में आखिर ऐसा क्या है, जिसके कारण उत्तर कोरिया बार-बार इस पर हमले की धमकी दे रहा है?
दरअसल, गुआम उत्तर कोरिया के करीब का अमेरिकी इलाका है. दोनों के बीच की दूरी 3427 किलोमीटर है. यह प्रशांत महासागर में एक अलग-थलग पड़ा हुआ द्वीप है. इसकी पहचान अमेरिकी सैन्य ठिकाने के रूप में है.
यहां अमेरिकी नेवी और जंगलों के बीच बसा एयरफोर्स का विशाल एंडरसन एयरफोर्स बेस भी है. इस एयरबेस के रनवे पर बी1 बमवर्षकों का एक बेड़ा हर समय तैयार रहता है, ताकि उत्तर कोरिया के दक्षिण कोरिया पर हमला बोलने की स्थिति में कभी भी जवाब दिया जा सके. नेवी बेस पर परमाणु हमले के लिए पनडुब्बियों का बेड़ा तैनात है. लेकिन इससे भी खास जगह गुआम के दक्षिण में पहाड़ी के नीचे छिपी हुई है.
गुआम के गवर्नर एडी केल्वो के अनुसार, गुआम में इतना गोला-बारूद जमा है कि जितना अमेरिका में किसी भी जगह पर जमा नहीं है. यहां इतना गोला-बारूद और मिसाइलें मौजूद है कि अमेरिका कई हफ्तों तक युद्ध लड़ सकता है. समाचार एजेंसी एपी के अनुसार, करीब सात हजार अमेरिकी सैनिक अपने परिवार के साथ यहां रहते हैं. यहां का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल ट्यूमोन दो सैन्य ठिकानों के बीच में है.
राष्ट्रपति चुनाव में नहीं देते वोट
ऐसा नहीं है कि गुआम शुरू से ही अमेरिकी इलाका रहा है. वास्तव में पुर्तगाली खोजकर्ता फर्डिनेंड मैगेलन के आने के 40 साल बाद 1565 में स्पेन ने गुआम पर अपना दावा पेश किया था. 1898 में स्पेन-अमेरिका युद्ध तक गुआम पर स्पेन का शासन रहा. इसके बाद स्पेन ने पेरिस संधि के तहत गुआम को अमेरिका को सौंप दिया. 1941 में पर्ल हार्बर हमले के बाद गुआम पर जापान का अस्थायी रूप से नियंत्रण रहा.
हालांकि तीन साल बाद मित्र राष्ट्रों ने फिर से गुआम को अपने नियंत्रण में ले लिया. गुआम 1950 में आधिकारिक रूप से अमेरिकी क्षेत्र बना और अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ नेवी के अंतर्गत आ गया. 1950 में ही अमेरिकी कांग्रेस ने ऑर्गेनिक एक्ट ऑफ गुआम पास किया.
इस एक्ट के पास होने से वहां के नागरिकों को अमेरिकी नागरिकता तो मिल गयी लेकिन गुआम के लोगों को अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में वोट डालने का अधिकार नहीं मिला. आज भी गुआम के लोग अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं डालते हैं. 1970 में पहली बार गुआम में एक गवर्नर चुना गया. 1972 के बाद से अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में गुआम के एक नॉनवोटिंग डेलिगेट की नियुक्ति की जाती रही है.
पांच जून 2015 को गुआम पहला अमेरिकी क्षेत्र बना जहां समलैंगिक विवाह को मान्यता दी गयी. गुआम में यह लागू होने के 15 दिन बाद अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने भी समलैंगिक विवाह को पूरे अमेरिका में मान्यता दे दी थी.
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