प्रचार का शोर थमा, नक्सलियों के फरमान से प्रत्याशी परेशान

जमुई से दीपक कुमार मिश्र प्रचार का शोर थमते ही मतदान की उल्टी गिनती शुरू हो गयी है. प्रत्याशी व उनके समर्थक अब डोर टू डोर संपर्क में जुट गये हैं. प्रत्याशियों के सामने सबसे बड़ी परेशानी नक्सलियों के वोट बहिष्कार का फरमान है. इस फरमान से मतदाता खामोश हैं. यही खामोशी प्रत्याशियों को परेशान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 9, 2014 5:44 AM

जमुई से दीपक कुमार मिश्र

प्रचार का शोर थमते ही मतदान की उल्टी गिनती शुरू हो गयी है. प्रत्याशी व उनके समर्थक अब डोर टू डोर संपर्क में जुट गये हैं. प्रत्याशियों के सामने सबसे बड़ी परेशानी नक्सलियों के वोट बहिष्कार का फरमान है. इस फरमान से मतदाता खामोश हैं. यही खामोशी प्रत्याशियों को परेशान कर रहा है. जमुई लोक सभा क्षेत्र में चित्तोड़गढ़ उपनाम से चर्चित जमुई विधान सभा क्षेत्र में मंगलवार को देर रात तक डोर टू डोर जनसंपर्क चला. साथ ही मठाधीशों को अपने खेमे में लाने की कोशिश होती रही.

ये मठाधीश मतदान को बहुत हद तक प्रभावित करते हैं. इस क्षेत्र के चार सौ से अधिक बूथ नक्सलियों के प्रभाववाले क्षेत्र में हैं और यहां के मतदाता नक्सलियों के रहमोकरम पर हैं. प्रशासन की ओर से मतदाताओं में विश्वास पैदा करने का दावा तो किया जा रहा है लेकिन उसका कोई खास असर मतदाताओं पर देखने को नहीं मिल रहा है.

मंगलवार को जमुई और नवादा जिला की सीमा पर रोपावेल के आगे नक्सलियों व सुरक्षा बलों के बीच हुई मुठभेड़ ने मतदाताओं की चिंता और बढ़ा दी है. मंगलवार को प्रचार का अंतिम दिन था लेकिन नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के गांवों में मतदान को लेकर कोई खास चर्चा नहीं हो रही थी. चुनाव के सारे मुद्दे गौण हो गये हैं, बस एक ही चर्चा है कि नक्सलियों का क्या रुख रहेगा. प्रत्याशी, प्रशासनिक महकमा और मतदाता तीनों नक्सलियों के फरमान से चिंतित हैं. चुनावी रेस के तीन प्रमुख प्रत्याशी अब यह रणनीति बना रहे हैं कि जहां पर नक्सलियों का प्रभाव नहीं है, वैसे क्षेत्रों में अधिक से अधिक मतदाताओं को मतदान केंद्र तक लाया जाये.

ताकि नक्सलियों के प्रभाववाले क्षेत्र में जहां मतदान कम होने की आशंका है उसकी भरपाई की जा सके. मंगलवार को कई प्रमुख नेताओं ने अपने-अपने प्रत्याशियों के समर्थन में की गयी चुनावी सभा में मतदाताओं से अपील किया की वे अधिक से अधिक संख्या में बूथ पर जायें और मतदान करें. इससे साफ जाहिर होता है कि वो भी नक्सलियों के वोट बहिष्कार के एलान से चिंतित हैं. जमुई लोक सभा क्षेत्र का चकाई, झाझा, जमुई, सिकंदरा और तारापुर विधान सभा क्षेत्र का एक बड़ा इलाका नक्सलियों का गढ़ माना जाता है. दुर्गम व जंगली इलाके की पूरी भौगोलिक स्थिति की जानकारी रहने की वजह से वे सुरक्षा बलों पर बीस पड़ जाते हैं.

हालांकि प्रशासन ने भी नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब देने की पूरी तैयारी कर रखी है. नक्सल प्रभावित क्षेत्र के सारे बूथ अर्धसैनिक बलों के हवाले हैं. अर्धसैनिक बल लगातार फ्लैग मार्च कर रहे हैं. इसके बावजूद आम मतदाताओं में विश्वास नहीं उत्पन्न हो रहा है. खैरा प्रखंड के गोली, हरखार, हरणी, विशनपुर आदि के कई मतदाताओं ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि आज अगर वोट दे देंगे तो कल फिर उनका आक्रोश झेलना पड़ेगा. इन लोगों ने बताया कि न तो हमलोगों के गांव में कोई प्रत्याशी आया है और न कोई प्रशासनिक पदाधिकारी ही.

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