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अमेरिका को विश्व शक्ति बनाया

।। रवि दत्त बाजपेयी ।। करिश्माई नेता एफडी रूसवेल्ट इतिहास में कई ऐसे नेता हुए हैं, जो अपने करिश्माई नेतृत्व से अमर हो गये. ऐसे ही एक नेता थे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूसवेल्ट. रूसवेल्ट ने अपने कार्यकाल में अमेरिका को चौतरफा आर्थिक मंदी और सारी दुनिया को द्वितीय विश्व युद्ध से घिरा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 9, 2014 6:52 AM

।। रवि दत्त बाजपेयी ।।

करिश्माई नेता एफडी रूसवेल्ट

इतिहास में कई ऐसे नेता हुए हैं, जो अपने करिश्माई नेतृत्व से अमर हो गये. ऐसे ही एक नेता थे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूसवेल्ट. रूसवेल्ट ने अपने कार्यकाल में अमेरिका को चौतरफा आर्थिक मंदी और सारी दुनिया को द्वितीय विश्व युद्ध से घिरा पाया. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अमेरिका को न सिर्फ आर्थिक मंदी से बाहर निकाला, बल्कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अपने देश विश्व की महाशक्ति बना डाला.

भारत भी बहुत मुश्किल दौर से गुजर रहा है. इसे एक ऐसे नेतृत्व की जरूरत है, जो देश को चौतरफा संकट से बाहर निकाल सके. आज पढ़िए वैश्विक नेतृत्व सीरीज की पांचवी कड़ी.

अब्राहम लिंकन अमेरिका के महानतम राष्ट्रपति अवश्य हैं, लेकिन एफडीआर अमेरिका के सबसे चहेते राष्ट्रपति हैं. अमेरिका अपने राष्ट्रपति के लिए महामहिम जैसे अतिरंजित विशेषण नहीं बल्कि‘मिस्टर प्रेसिडेंट’ जैसे औपचारिक संबोधन से संबोधित करता है, इसके एकमात्र अपवाद फ्रैंकलिन डेलानो रूसवेल्ट को आज भी प्यार से छोटे नाम से पुकारा जाता है. अपने कार्यकाल के आरंभ में राष्ट्रपति फ्रैंकलिन रूसवेल्ट ने अमेरिका को चौतरफा आर्थिक मंदी से घिरा पाया, अपने कार्यकाल के बीच में उन्होंने सारी दुनिया को चौतरफा संहार या द्वितीय विश्व युद्ध से घिरा पाया, एफडीआर के नेतृत्व में अमेरिका न सिर्फ आर्थिक मंदी से बाहर आया, बल्किद्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया का सबसे शक्तिशाली राष्ट्र बन गया.

अपने अलावा बाकी दुनिया से उदासीन अमेरिका को विश्व से जोड़ने में एफडीआर की अहम भूमिका थी, विश्व शांति के लिए बहुआयामी, बहुराष्ट्रीय संस्था के रूप में संयुक्त राष्ट्र की कल्पना करने वाले एफडीआर पहले व्यक्ति थे. 1882 में न्यूयॉर्क के एक धनी व संभ्रांत परिवार में जन्मे फ्रैंकलिन रूसवेल्ट ने अमेरिका के प्रतिष्ठित हार्वर्ड और फिर कोलंबिया विवि में अध्ययन किया. कानून की पढ़ाई करने के बाद रूसवेल्ट राजनीति में आये और 1910 में डेमोक्रेट पार्टी से न्यूयॉर्ककी प्रांतीय सीनेट के लिए चुने गये. 1912 में न्यूयॉर्कके गवर्नर वुडरो विल्सन के राष्ट्रपति बनने पर फ्रैंकलिन रूसवेल्ट को नौसेना प्रशासन में जिम्मेदारी मिली, पहले विश्व युद्ध में अमेरिकी तैयारी का श्रेय रूसवेल्ट को दिया जाता है.

1920 में रूसवेल्ट ने डेमोक्रेट पार्टी की ओर से उप राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा, लेकिन चुनाव हार गये. 1921 में रूसवेल्ट पर उस समय की असाध्य बीमारी पोलियो का हमला हुआ और उनके पैर बेकार हो गये. इस बीमारी के दौरान फ्रैंकलिन रूसवेल्ट की पत्नी एलेनोर रूसवेल्ट ने सामाजिक-राजनीतिक क्षेत्र में हिस्सा लिया. 1928 में फ्रैंकलिन रूसवेल्ट न्यूयॉर्क प्रांत के गवर्नर बने, लेकिन इसी बीच 1929 में पूरे अमेरिका में घोर आर्थिक मंदी छा गयी. प्रांतीय गवर्नर रूसवेल्ट ने पहले इस मंदी को हल्के में लिया लेकिन इसकी गंभीरता भांपते ही उन्होंने बेरोजगारी भत्ता, वृद्धावस्था पेंशन, लोक-निर्माण योजनाओं से इस मंदी से निबटने के उपाय किये. 1932 के राष्ट्रपति चुनावों तक यह आर्थिक मंदी और गहरा गयी, न्यूयॉर्क में आर्थिक सुधारों के लिए मशहूर एफडीआर इस चुनाव में भारी बहुमत से निर्वाचित हुए.

आर्थिक मंदी को युद्ध के समान मान कर, राष्ट्रपति एफडीआर ने अपने कार्यकाल के पहले 100 दिनों में ही अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए संसद में अनेक विधेयक पारित किये. एफडीआर प्रशासन द्वारा 1933 में पारित ‘ग्लास-स्टेगाल अधिनियम’ बैंकिंग व्यवस्था में मील का पत्थर माना जाता है, जिसके द्वारा वाणिज्य बैंक और निवेश बैंक अलग-अलग किये गये. इस नियम के तहत कोई भी बैंक, आम लोगों की बचत के धन से जोखिम भरे निवेश नहीं कर सकता था.

(वर्ष 1999 में यह नियम निरस्त कर दिया गया, ग्लास-स्टेगाल नियम का रद्द हो जाना 2008 की वैश्विक आर्थिक संकट का एक कारण माना जाता है) अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए एफडीआर ने कुछ बेहद साहसी निर्णय लिए, अमेरिका को स्वर्ण मानक पद्धति (गोल्ड स्टैंडर्ड) से हटाना, शेयर बाजार को नियंत्रित करने के लिए सिक्योरिटीज व एक्सचेंज कमीशन का गठन, बैंकिंग व्यवस्था में सुधार अधिनियम पारित करना. एफडीआर प्रशासन ने श्रम संगठनों को सामूहिक समझौते करने का अधिकार दिया.

1938 में श्रम कानून के जरिये न्यूनतम मजदूरी, काम के अधिकतम घंटे, अतिरिक्त काम का अधिक पारिश्रमिक, बाल श्रम का निवारण जैसे विषयों पर नियम पारित किये. एफडीआर ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था व कृषि में सुधार के लिए आर्थिक अनुदान शुरू किये इसके साथ ही अफ्रीकी मूल के अमेरिकी नागरिकों, धार्मिक व नस्ली अल्प संख्यकों और नये प्रवासियों को अमेरिकी सरकार के बेरोजगारी भत्ते व अन्य सुविधाओं से बहुत राहत पहुंचायी.

1940 में द्वितीय विश्व युद्ध में नाजी जर्मनी के ज्यादा शक्तिशाली और बहुत आक्रमक होने के बीच अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव आ गये. एफडीआर, अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंग्टन के समय से स्थापित परंपरा तोड़ कर तीसरी बार राष्ट्रपति चुनाव में उतरे और भारी बहुमत से निर्वाचित हुए. युद्ध के लिए अनिच्छुक अमेरिका पर 1941 में जापान ने पर्ल हारबर पर आक्र मण कर दिया, इस हमले के बाद अमेरिका भी मित्र देशों के साथ इस युद्ध में शामिल हो गया. युद्ध में भी एफडीआर एक बेहद योग्य रणनीतिकार साबित हुए और 1943 तक अमेरिका की सैन्य मदद से मित्र सेनाओं ने जर्मनी-जापान को पीछे धकेलने में सफलता पायी. 1944 में एफडीआर चौथी बार अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गये, अप्रैल 1945 में जर्मन सेनाओं के आत्म समर्पण से कुछ दिनों पहले ही मस्तिष्क में रक्तस्राव से उनकी मृत्यु हो गयी.

एफडीआर की पत्नी एलेनोर रूसवेल्ट मानवाधिकारों, अफ्रीकी-अमेरिकन लोगों के अधिकारों, महिलाओं की समानता और बच्चों के अधिकारों की मुखर समर्थक थीं. एलेनोर रूसवेल्ट को अमेरिकी राष्ट्रपति निवास का सबसे सक्रि य व संपूर्ण प्रथम महिला (फर्स्‍टलेडी) माना जाता है. एफडीआर ने आर्थिक मंदी और विश्व युद्ध के सबसे संकटपूर्ण समय में अमेरिकी जनता को आशा और विश्वास देने का काम किया, एफडीआर ने अपने सार्वजनिक रेडियो उदबोधनों से आम लोगों और राष्ट्रपति के बीच सीधा संवाद स्थापित किया. वर्ष 1942 में एफडीआर ने इंग्लैंड के साथ मिल कर अटलांटिक चार्टर बनाया जिसमें युद्ध के बाद की वैश्विक व्यवस्था की रूपरेखा थी. अनेक देश इस चार्टर में शामिल हुए, एफडीआर ने इस समूह को ‘संयुक्त राष्ट्र’ का नाम दिया. एफडीआर ने अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को एक नयी दिशा और ऊंचाई दी, उनके दूरगामी निर्णयों के चलते ही द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका एक वैश्विक महाशक्ति बन कर उभरा.

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