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अमेरिका ने दिये संकेत: उत्तर कोरिया के जल्द आयेंगे बुरे दिन

वाशिंगटन : अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया पर कार्रवाई के संकेत दे दिये हैं. यदि ऐसा होता है तो उत्तर कोरिया के बुरे दिन जल्द आयेंगे क्योंकि वह लगातार एक के बाद एक बमों का परीक्षण करके अमेरिका और अन्य देशों को चुनौती दे रहा है. अमेरिकी प्रशासन ने उत्तर कोरिया के हाइड्रोजन […]

वाशिंगटन : अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया पर कार्रवाई के संकेत दे दिये हैं. यदि ऐसा होता है तो उत्तर कोरिया के बुरे दिन जल्द आयेंगे क्योंकि वह लगातार एक के बाद एक बमों का परीक्षण करके अमेरिका और अन्य देशों को चुनौती दे रहा है. अमेरिकी प्रशासन ने उत्तर कोरिया के हाइड्रोजन बम का परीक्षण करने के दावे को खारिज नहीं किया है. वहीं, देश के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोहराया कि उत्तर कोरिया के खिलाफ सैन्य कार्रवाई ‘ ‘निश्चित तौर पर ‘ ‘ एक विकल्प है.

क्या अब उत्तर कोरिया पर हमला कर देगा अमेरिका ?

एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने कहा कि अमेरिका पिछले सप्ताहांत जमीन के नीचे हुए विस्फोट का अब भी आकलन कर रहा है लेकिन अभी तक उसे उत्तर कोरिया के दावे को गलत ठहराने वाला कुछ नहीं मिला है. अगर इस परीक्षण की पुष्टि हो जाती है कि तो यह उच्च क्षमता वाले परमाणु हथियार के क्षेत्र में उत्तर कोरिया की बडी बढत को दर्शाएगा. हाइड्रोजन बम उन सरल विखंडन बमों के मुकाबले कहीं अधिक शक्तिशाली होते हैं जिनका इस्तेमाल द्वितीय विश्वयुद्ध के अंत में अमेरिका ने जापान के शहर हिरोशिमा और नागासाकी में किया था.

वर्ष 2006 के बाद से यह उत्तर कोरिया का छठा परमाणु परीक्षण है. जुलाई में अंतमर्हाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण करने के कुछ समय बाद ही उसने हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया. ट्रंप ने कुवैत के नेता से मुलाकात के बाद व्हाइट हाउस में संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल के जवाब में कहा, ‘ ‘सैन्य कार्वाई निश्चित तौर पर एक विकल्प होगी. मैं सैन्य विकल्प के रास्ते पर नहीं जाना चाहूंगा लेकिन ऐसा हो सकता है. ‘ ‘

उ. कोरिया को कौन से देश आर्थिक ताकत देते हैं

यह पूछे जाने पर कि क्या वह ऐसी स्थिति स्वीकार करेंगे जहां उत्तर कोरिया के पास परमाणु हथियार तो रहे लेकिन वह ‘ ‘नियंत्रित रहे और अपने आप को रोककर रखें ‘, इस पर ट्रंप ने कहा, कि मैं पिछली सरकारों की तरह केवल बातचीत नहीं करता। मैं उनके बारे में बात नहीं करता लेकिन मैं आपको बता सकता हूं कि उत्तर कोरिया बुरी तरह व्यवहार कर रहा है और उसे रोकना होगा.’ ‘ एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर संवाददाताओं को बताया कि अमेरिका बातचीत करने के बजाय उत्तर कोरिया पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.

अमेरिका परमाणु परीक्षण के जवाब में सभी प्रकार के तेल और प्राकृतिक गैस निर्यात को लेकर उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध समेत संयुक्त राष्ट्र में नए तथा और कडे प्रतिबंधों का अनुरोध कर रहा है. अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि ऐसे प्रतिबंधों से उत्तर कोरिया की सैन्य और औद्योगिक अर्थव्यवस्था पर बडा असर पडेगा क्योंकि वह अपने तेल संसाधनों की कमी से जूझ रहा है. हालांकि उत्तर कोरिया को तेल का सबसे बडा निर्यातक चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ऐसे प्रतिबंधों का विरोध कर सकता है.

इस बीच एएफपी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन और रुस के विरोध के बावजूद अमेरिका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उत्तर कोरिया के खिलाफ और नए कडे प्रतिबंध लगाने के लिए सोमवार को मतदान कराने को लेकर प्रतिबद्ध है. संयुक्त राष्ट्र में राजनयिकों ने बताया कि अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र में उत्तर कोरिया पर तेल प्रतिबंध लगाने, कपडों पर प्रतिबंध लगाने और दूसरे देशों में काम रहे उत्तर कोरिया के कामगारों को भुगतान ना करने के प्रस्ताव का मसौदा पेश किया.

उत्तर कोरिया की ढाल बनकर क्यों खड़ा है चीन?

राजनयिकों ने इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया कि चीन या रुस वीटो का इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिकी प्रशासन ने प्रस्ताव पास कराने के लिए दबाव बनाया है. संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत लियू जिएयी ने अदीस अबाबा में अफ्रीकी संघ मुख्यालय की यात्रा को जल्दी समाप्त कर दिया है ताकि वह न्यूयॉर्क लौटकर प्रस्ताव के मसौदे पर बातचीत में हिस्सा ले सकें. संयुक्त राष्ट्र राजनयिकों ने कहा कि 19 सितंबर को शुरू हो रही महासभा की उच्च स्तरीय चर्चा के दौरान उत्तर कोरिया के मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की मंत्री स्तरीय बैठक हो सकती है.

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