नयी दिल्ली/इस्लमाबादः पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी अगले सप्ताह सोमवार से शुरू हो रहे न्यू यॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 72वें सत्र में अपने देश के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे. सोमवार से शुरू हो रहे सत्र के अतिरिक्त इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी), जी-77, आर्थिक सहयोग संगठन, दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन ( दक्षेस), राष्ट्रमंडल, डेवलपिंग-8 और अन्यों जैसे कई क्षेत्रीय और उप क्षेत्रीय संगठनों की मंत्री स्तरीय बैठकें भी होंगी.
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इस बीच कयास यह भी लगाया जा रहा है कि आतंकवादियों को पनाहगाह मुहैया कराने को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना आैर भारत के साथ चल रहे राजनीतिक आैर भौगोलिक तनाव के बीच क्या पाकिस्तान दक्षेस के देशों के साथ अपने संबंधों को सुधारने की दिशा में कदम उठायेगा. एेसा इसलिए भी कयास लगाया जा रहा है, क्योंकि पिछले साल पाकिस्तान में होने वाली दक्षेस की बैठक टाल दी गयी थी. इसका कारण यह था कि पाकिस्तान में होने वाली दक्षेस की बैठक पर भी आतंकवाद का काला साया पड़ गया था.
इसके साथ ही, अभी हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आतंकवादियों को पनाहगाह मुहैया कराने के लिए पाकिस्तान की आलोचना की थी. इसके बाद महासभा के सत्र में शामिल होने के लिए अब्बासी की अमेरिकी यात्रा न केवल प्रधानमंत्री के तौर पर उनकी पहली यात्रा है, बल्कि पाकिस्तान की ओर से अमेरिका की पहली उच्च स्तरीय यात्रा है.
विदेश कार्यालय ने बताया कि प्रधानमंत्री महासभा सत्र के इतर कई विश्व नेताओं और संयुक्त राष्ट्र महासचिव के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे. उसने बताया कि अब्बासी विदेश संबंधों की परिषद को संबोधित करेंगे और अमेरिका पाकिस्तान व्यापार परिषद के सदस्यों से बातचीत करेंगे. बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री अंतरराष्ट्रीय मीडिया के साथ विस्तार से बातचीत भी करेंगे.
विदेश कार्यालय ने बताया कि जम्मू कश्मीर पर ओआईसी संपर्क समूह की बैठक भी होगी. उसने कहा कि पाकिस्तान बहुलवाद का बड़ा समर्थक है और वैश्विक शांति, सुरक्षा और विकास की बहुआयामी चुनौतियों का मिलकर सामना करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के कदमों का समर्थन करता है.
विदेश कार्यालय ने कहा कि हम जम्मू-कश्मीर, सुरक्षा परिषद में सुधारों, आतंकवाद विरोध, मानवाधिकारों, शांति रक्षा और विकासात्मक तथा अन्यों जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों समेत हमारे राष्ट्रीय हितों की रक्षा और उसका प्रचार करने के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र में रचनात्मक भूमिका निभाते रहेंगे. महासभा के वार्षिक सत्र की खास महत्ता होती है, क्योंकि बड़ी संख्या में देश और सरकारों के प्रमुख इसमें भाग लेते हैं.