वे रजनीकांत की बेटी हैं, लेकिन उनके सरल और सामान्य लिबास और लिहाज से इसका अनुमान लगाना कठिन है कि वे सुपरस्टार की बेटी हैं. उन्होंने अभिनय का नहीं, बल्कि निर्देशन का क्षेत्र चुना, वह भी एनिमेशन की दुनिया. जल्द ही वह रजनीकांत स्टारर फिल्म कोचादइयां लेकर आ रही हैं, जो सिर्फ दक्षिण की नहीं, बल्कि भारत की पहली मोशन फोटो रियलिस्टिक 3डी फिल्म है. पेश हैं अनुप्रिया अनंत की सौंदर्य रजनीकांत से हुई बातचीत के मुख्य अंश.
यह आपकी पहली फिल्म है और पहली फिल्म में ही सुपरस्टार रजनीकांत को फिल्माने का मौका मिला है. यह आपके लिए कैसा रहा?
जी हां, पहली फिल्म है और मेरे लिए यह सुनहरा मौका था कि मुङो पापा को फिल्माने का मौका मिला. हर क्रिएटिव पर्सन का यह सपना होता है कि उन्हें रजनीकांत को फिल्माने का मौका मिले और हां, मैं खुद को खुशनसीब मानती हूं. शुरुआती दौर में पापा को मनाना मुश्किल था. पूरे भारत में मेरे अन्य टीम के सदस्यों को भी यह फिल्म समझाना मुश्किल था कि आखिर मैं इस फिल्म से क्या करने की कोशिश कर रही हूं. मुङो याद है कि शूटिंग के छह महीने के बाद जब पापा ने मुझसे पूछा कि मुङो फिल्म का एक गीत तो दिखाओ, तो मैंने कहा- अभी पूरा नहीं हुआ है. उन्होंने मुङो तिरछी नजरों से देखा कि छह महीने में एक गाना नहीं हुआ! लेकिन धीरे-धीरे वह समझते गये कि इस तकनीकी फिल्म में कितनी मेहनत और वक्त की जरूरत है. भारत में यह बिल्कुल अलग तरह की तकनीक होगी. इस तरह की फिल्म को विदेश में बनाने में कम से कम छह साल लग जाते हैं. हमने इसे दो साल में ही पूरा किया है. यह भारत की पहली मोशन कैप्चर फोटो रियलिस्टिक 3डी एनिमेटेड फिल्म है. इसकी तकनीक ही इस फिल्म की यूएसपी है. यह कमर्शियली पैक्ड फिल्म है.
पापा रजनीकांत ने क्या फिल्म के लिए तुरंत ‘हां’ कह दिया था?
नहीं, दरअसल हमने पहले राणा फिल्म बनाने की शुरुआत की थी. लेकिन उस वक्त पापा बीमार पड़ गये और पूरे परिवार को लगा कि उन्हें उस तरह की किसी फिल्म में फिलहाल काम नहीं करना चाहिए, जिसमें काफी एक्शन हों. उस वक्त ख्याल आया कि मैं यह फिल्म शुरू करूं. राणा पीरियड फिल्म थी और उसमें काफी फिजिकल स्ट्रेंथ की जरूरत होती, तो आप कह सकते हैं कि राणा की प्रीक्वल है यह फिल्म. कोचादइयां राणा के पिता हैं और मैंने राणा में कोचादइयां का जिक्र किया ही था. लेकिन बाद में उसे फुल फेलेज्ड स्टोरी का रूप दिया. मैंने तय किया कि मैं कोई ऐसी फिल्म बनाऊं, जिसमें पापा को बहुत काम न करना पड़े. सो, मैंने तकनीक के माध्यम से पूरी फिल्म बना ली.
दीपिका भी फिल्म का हिस्सा हैं. फिल्म में उनका कितना योगदान रहा?
दीपिका की सभी फिल्में तो मैंने नहीं देखी, लेकिन जानती हूं कि लगातार वे अच्छा काम कर रही हैं. मुङो दीपिका के साथ दो दिनों तक शूटिंग का मौका मिला. उनकी खूबी है कि वह आज की लड़की हैं और वे जानती थीं कि उन्हें किसी मेकअप की जरूरत नहीं. कोई क्लोज अप्स नहीं लिये जा रहे. चूंकि फिल्म तो तकनीक से बननी है. शूटिंग के वक्त तो कोई कैमरा नहीं. चूंकि 360 डिग्री पर शूट होना है, लेकिन बाकी काम तो पोस्ट प्रोडक्शन में होना है. दीपिका इन बातों को फटाफट समझ ले रही थीं और उसी अनुसार शूटिंग में सहयोग भी कर रही थीं.
अभी भारत एनिमेटेड फिल्मों के लिए कितना तैयार है?
भारत में हर एनिमेटेड फिल्म को काटरून फिल्म समझ लिया जाता है या फिर सिर्फ बच्चों के लिए. यह सही नहीं है. एनिमेशन फिल्मों की अपनी दुनिया है, जिसमें तकनीक की मदद से फिल्में बनती हैं. भारत में इस सोच को बदलना होगा. कोचादइयां जैसी फिल्में तकनीकी रूप से भारतीय सिनेमा के परिदृश्य को बदलेगी. मुङो लगता है कि भारत में तकनीशियन, बजट, वक्त की कमी के कारण एनिमेशन में स्तरीय फिल्में नहीं बन पाती हैं. लोगों को अब भी एनिमेशन माध्यम को समझने में वक्त लगेगा. यहां हर सेकेंड में 24 फ्रेम्स होते हैं और किस तरह का टाइम कंज्यूमिंग वर्क है.
आप हमेशा से चाहती थीं कि एनिमेशन की दुनिया में ही जायें?
हां, मैं हमेशा कैमरे के पीछे की दुनिया को लेकर पैशिनेट रही हूं. सो, मेरे पेरेंट्स ने सपोर्ट किया और मैं आगे बढ़ी.
आप सुपरस्टार की बेटी हैं, तो कभी इसका खामियाजा भी उठाना पड़ा?
यह ईश्वर की ब्लेंसिंग है कि मैं ‘द रजनीकांत’ की बेटी हूं. माता-पिता ने आम बच्चों की तरह परवरिश की. खामियां तो कुछ नहीं पर बचपन में दोस्तों के साथ कहीं जाती थी, तो फोटोग्राफर घेर लेते थे. घर पर तो हम आम जिंदगी ही जीते थे. फिर हर बार लोग सवाल पूछते हैं कि पिता की तरह एक्टिंग में क्यों नहीं गयी. मेरी अपनी आइडेंटिटी है. हर बार पापा से इसका कंपैरिजन हो, यह पसंद नहीं.