””साराह”” ने बदल दी सऊदी अरब की सूरत, पहले महिलाएं ”अबाया” पहन कर घूमतीं थी अब पहनेंगी बिकनी..

मनुष्य शुरू से ही अनजान और अजीब स्थानों के प्रति आकर्षित होता रहा है. खासकर उन स्थानों के बारे जहां के बारे में लोगों को जानकारियां कम है. ऐसी ही एक जगह है – सऊदी अरब. यहां के बंद दरवाजों के पीछे क्या चल रहा है, जानने के लिए दुनिया जितनी रोमांचित है, उससे अधिक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 24, 2017 9:16 AM
मनुष्य शुरू से ही अनजान और अजीब स्थानों के प्रति आकर्षित होता रहा है. खासकर उन स्थानों के बारे जहां के बारे में लोगों को जानकारियां कम है. ऐसी ही एक जगह है – सऊदी अरब. यहां के बंद दरवाजों के पीछे क्या चल रहा है, जानने के लिए दुनिया जितनी रोमांचित है, उससे अधिक रोमांच लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज की छात्रा नूर के अंदर भरा हुआ था, जो 20 साल की होने के बावजूद अबतक कई देशों की यात्रा कर चुकी हैं.
इसबार वह निकलीं सऊदी अरब की यात्रा पर. लौटकर उन्होंने अपने अनुभव पाकिस्तान के प्रमुख अखबार ‘डॉन’ के साथ साझा किया.
21 वीं शताब्दी में भी सऊदी अरब एक ऐसा राष्ट्र है जिसके बारे में अभी भी लोगों की जानकारी बहुत कम है. महिलाएं और सऊदी अरब दो ऐसी चीजें हैं जो कभी एक साथ अच्छी तरह से नहीं चल सकती. बेशक, यहां महिलाओं के लिए जीवन मुश्किल है पर असंभव नहीं है. समय के साथ-साथ यहां की महिलाओं के रहन-सहन और स्थिति में परिवर्तन आया है, जो एक सकारात्मक संकेत है. हालांकि महिलाओं के ऊपर अब भी अनेकों प्रतिबंध हैं, लेकिन चीजों का रातों रात बदल जाना तो संभव नहीं है.
सऊदी में महिलाओं को ‘ड्रेस कोड’ का बड़ी सख्ती से पालन करना पड़ता है. वे चाहे जैसे भी कपड़े पहनें लेकिन उसके ऊपर उन्हें काले रंग का एक लंबा कोट जैसा वस्त्र पहनना जरूरी होता है जिसे ‘अबाया’ कहते हैं. महिलाओं को बाहर निकलने पर अबाया पहनना पड़ता है.
इसके बिना वे फोटो भी नहीं खिंचवा सकतीं. इसमें भी दिलचस्प बात यह है कि सऊदी में रहनेवाली महिलाएं जो मुस्लिम नहीं हैं उन्हें सिर्फ अपना सिर ढ़ंकना पड़ता है, वहीं मुस्लिम महिलाओं को सिर के साथ-साथ अपना चेहरा भी ढ़ंकना पड़ता है. सिर्फ सिर ढ़ंकने वालें अबाया को ‘हिजाब’ कहते हैं जबकि सिर के साथ-साथ चेहरा ढ़ंकने वाले अबाया को ‘निकाब’ कहते हैं.
सऊदी की धार्मिक पुलिस जिसे ‘मुताववा’ कहते हैं, वह वैसी महिलाओं को भी अपने बालों को कवर करने के लिए परेशान करती है जो मुस्लिम नहीं है. वहीं, विदेशी महिलाओं को इससे छूट दी जाती है. लेकिन यह तब बहुत खराब लगा जब लड़के नये फैशन के कपड़े पहने दिख जायें. यह देख कर बहुत निराशा होती है.
लेकिन इन सबके इतर सऊदी अरब में एक नयी दुनिया भी विकसित हो रही है- टेक्नोलॉजी की दुनिया. इसका सबसे ताजा उदाहरण दिखा हाल ही में विकसित और चर्चित हुई ऐप ‘साराह’ के प्रयोग में. लोगों के बीच साराह एक ‘ईमानदारी ऐप’ के रूप में चर्चित है.
साराह ने इंटरनेट पर जंगल में आग की तरह काम किया है. वहीं सरकार ने व्हाट्सएप और अन्य सोशल सादराज्य में हालिया घटनाएं, जैसे ‘ईमानदारी ऐप’ साराह ने इंटरनेट पर जंगल की आग की तरह काम किया, वहीं व्हाट्सएप और अन्य लोकप्रिय सोशल साइटों पर से प्रतिबंध उठाने के सरकार के फैसले ने युवाओं को और भी टेक्नोलॉजी का दीवाना बना दिया है. सऊदी अरब के राजकुमार सलमान ने तो अब हर उस प्रतिबंध को उठाने का फैसला कर लिया है जिससे दुनिया में देश की इमेज खराब होती हो. हाल ही में उन्होंने देश में समुद्र तटीय रिसॉर्ट बनाने की योजनाएं पेश की जहां महिलाएं बिकनी पहन कर घुमेंगी.
इसके अलावा एक सऊदी लड़की का स्कर्ट पहन कर रेगिस्तान में टहलने के वीडियो ने भी इंटरनेट पर धूम मचा दी. इससे पता चलता है कि लोग अब हिम्मती हो रहे हैं.
वहीं महिलाओं ने भी अबाया को नये फैशन के अनुसार ढ़ालकर फैशन स्टेटमेंट बना दिया है. डिजाइनरों इसे लोगों की पसंद के अनुसार आकर्षक रंगों से कस्टमाइज कर रहे हैं. इस कस्टमाइजेशन के लिए लोगों से 1000 रियाल तक लिए जा रहे हैं. बाजार अब रंग-बिरंगे दिखने लगे हैं.
औरतों के ड्राइविंग पर प्रतिबंध, जैसे मुद्दे पर बात करना यहां के लोगों को बहुत पसंद है. यह उनकी मूर्खता से ज्यादा नहीं है. अपने दौरे पर वह एक समुद्र तट के पास रहीं. यहां अधिकांश तटों पर लोगों के लिए जॉगिंग ट्रैक है. इसके साथ-साथ बाइक और स्केटिंग ट्रैक भी विकसित किये गये हैं. साथ ही सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था भी विकसित हो गयी है.
सऊदी अरब में लोगों के मनोरंजन के लिए फिल्म थिएटर भी खुल गये हैं. मॉल ‘केवल परिवारों’ के लिए खुले हैं जहां जीन्स खरीदना झुंझलाहट का सबब है क्योंकि पहली ही कोशिश में सही फिट खोजना असंभव है.
इससे बचाव का तरीका था कि आप मॉल के सार्वजनिक बाथरूम में जाएं, जीन्स आजमाएं, और ठीक न लगे तो वापस लौट कर 20 मिनट बाद लौटा दें. रेस्तरां और कैफे में पुरुष और महिलाओं के लिए अलग-अलग सेक्शन होते हैं, जबकि परिवार के लिए हिस्सा अलग होता है.
कुछ विदेशियों ने अपने घर पर ही शराब बनाना शुरू कर दिया है, इसे यहां चांदनी कहा जाता है. अंत में नूर कहती हैं कि एक आप्रवासी क रूप में सऊदी अरब में उन्हें ज्यादा परेशानी नहीं हुई. हाइस्कूल के एक कार्यक्रम में सऊदी राजकुमारी के साथ भाग लेना बहुत ही दिलचस्प था.
रनिया नशर हैं सीइओ
बदलते सऊदी अरब की पहचान हैं रनिया नशर. वे एक बैंकिंग फर्म संबा फाइनेंशियल ग्रुप की सीइओ हैं. महिलाओं पर कई तरह की पाबंदियों के बीच किसी महिला का इस मुकाम पर पहुंचना काफी बड़ी बात है.

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