रांची में क्यों उतरवाई जा रही है लोगों की लुंगी?

‘वे शौच करके आ रहे थे. तब उ लोग (नगर निगम के) रास्ता में पकड़ा और बोला कहां गया था बाबू? उ बोल दिए- शौच करके आ रहे हैं. सुबह का छह बज रहा था. तो बोला कि खुले में काहे शौच किया. फिर नदी की तरफ ले गए और उठक-बैठक कराया. 100 रुपया का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 27, 2017 6:49 AM
  • ‘वे शौच करके आ रहे थे. तब उ लोग (नगर निगम के) रास्ता में पकड़ा और बोला कहां गया था बाबू?
  • उ बोल दिए- शौच करके आ रहे हैं. सुबह का छह बज रहा था. तो बोला कि खुले में काहे शौच किया.
  • फिर नदी की तरफ ले गए और उठक-बैठक कराया. 100 रुपया का जुर्माना लिया. फोटो भी खींचा, तब छोड़ दिया और लड़का लोग भी आ रहा था.
  • उ सबको पकड़ा और पैसा लिया. कुछ लोगों की लुंगी भी खुलवा लिया. सबलोग डर की वजह से जुर्माना दे दिए.’

रांची के नामकुम बस्ती की बबीता मुंडा बिना रुके इतनी बातें कह जाती हैं.

लुंगी खोल अभियान

रांची नगर निगम की इन्फोर्समेंट टीम ने बबीता के पति भीम मुंडा को रविवार की सुबह पकड़ा था. तब वे शौच के बाद अपने घर लौट रहे थे. इसके बाद उन्हें नदी किनारे ले जाकर सार्वजनिक तौर पर अपमानित किया गया.

भीम की तस्वीर उतारी गई और 100 रुपये का जुर्माना भी वसूला गया. निगम की तरफ से कई और लोगों को भी खुले में शौच करते पकड़े जाने का दावा किया जा रहा है.

नगर निगम द्वारा मीडिया के लिए बनाए गए व्हाट्सएप ग्रुप में ऐसे लोगों की तस्वीरें भी पोस्ट की गईं.

ये तस्वीरें स्थानीय अखबारों में प्रमुखता से छापी गईं. इन तस्वीरों को पोस्ट करने वाले अधिकारियों ने इस अभियान को ‘हल्ला बोल, लुंगी खोल’ नाम दिया था.

क्यों करते हैं खुले में शौच?

बबिता मुंडा ने बीबीसी से कहा,

  • ‘मेरे घर में शौचालय नहीं है. पति दैनिक मजदूर हैं. कमाई इतनी नहीं है कि शौचालय बनवा लें.
  • कभी-कभी तो पूरे दिन की मेहनत के बाद 100 रुपये की भी कमाई नहीं होती.
  • जब नगर निगम के लोगों ने जुर्माना लिया, तब भी पैसे नहीं थे.
  • काफी विनती करने के बाद भी वे लोग नहीं माने और जुर्माना वसूल लिया और तो और उनका फोटो भी इंटरनेट पर दे दिया.’

क्या नगर निगम ने आपको शौचालय बनवाने के लिए पैसे नहीं दि हैं?

मेरे इस सवाल के जवाब में बबीता मुंडा ने कहा, ‘केतारी बगान की इस बस्ती में 14 घर हैं. इनमें से एक-दो घरों में ही शौचालय बना हुआ है. कई लोगों को नगर निगम ने आधा पैसा (छह हजार रुपये) दिया. इस कारण शौचालय नहीं बन सका. ऐसे में हम लोग खुले में शौच करने को विवश हैं. यह हम लोगों को खुद ही ठीक नहीं लगता.’

इसी बस्ती के दुखवा मुंडा की बेटी ने बताया, ‘मां ने शौचालय बनवाने के लिए दो-दो बार आवेदन किया. इस बीच मां का देहांत हो गया लेकिन शौचालय नहीं बना. ऐसे में हम कहां जाएं. हम लोग तो मजबूरी में अंधेरा रहते ही शौच के लिए जाते हैं.’

नाराज़गी

झारखंड फाउंडेशन के अध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार विष्णु राजगढ़िया नगर निगम के इस अभियान की आलोचना करते हैं.

उन्होंने बीबीसी से कहा, ‘स्वच्छता अभियान ठीक बात है लेकिन जिस तरीके से लोगों की लुंगी खुलवाई जा रही हैं या फिर उन्हें घर से काफी दूर ले जाकर छोड़ा जा रहा है. यह निंदनीय है. ऐसा करके आप देश की तरक्की नहीं कर सकते.’

रांची की महापौर आशा लकड़ा ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि ‘हल्ला बोल-लुंगी खोल अभियान’ पर रोक लगा दी गई है, यह सिर्फ एक दिन के लिए चलाया गया था.

आशा कहती हैं, ‘अब हम स्वच्छता का अभियान तो चलाते रहेंगे लेकिन लुंगी खोल जैसे तरीके नहीं अपनाए जाएंगे.’

उन्होंने बताया कि कई जगहों पर सार्वजनिक शौचालय भी बनवाए गए हैं, लोगों को इनका इस्तेमाल करना चाहिए.

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