न्यू याॅर्क : पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने स्वीकार किया है कि मुंबई आतंकवादी हमले का मुख्य षड्यंत्रकर्ता हाफिज सईद, हक्कानी नेटवर्क और लश्करे तैयबा देश के लिए बोझ हैं, लेकिन इनसे छुटकारा पाने के लिए उसके पास जरूरी संसाधन नहीं हैं. आसिफ ने कहा है कि पाकिस्तानी धरती से संचालित होनेवाले आतंकवादी समूहों से निपटने के लिए पाकिस्तान पर दबाव डालनेवाले अमेरिका के लिए ये 20 से 30 वर्ष पहले चहेते थे. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गत महीने पाकिस्तान की आतंकवादी समूहों का समर्थन करने के लिए आलोचना की थी और कहा था कि उसे अरबों की अमेरिकी सहायता मिलती है, लेकिन इसके बावजूद वह आतंकवादियों को आश्रय देता है.
ख्वाजा आसिफ ने मंगलवार को यहां एशिया सोसाइटी मंच पर कहा, हमें हक्कानी नेटवर्क के लिए जिम्मेदार नहीं ठहरायें और हमें जमात उद दावा प्रमुख हाफिज सईद के लिए जिम्मेदार नहीं ठहरायें. पाकिस्तान की सरकारी संवाद समिति एसोसिएटेड प्रेस आॅफ पाकिस्तान ने आसिफ के हवाले से कहा, ये वे लोग हैं जो 20 से 30 वर्ष पहले आपके चहेते थे. उन्हें व्हाइट हाउस में खाना-पीना कराया जाता था और अब आप कह रहे हैं कि पाकिस्तान भाड़ में जाओ क्योंकि तुम इन लोगों को परवान चढ़ा रहे हो. उन्होंने कहा कि यह कहना बहुत आसान है कि पाकिस्तान हक्कानी नेटवर्क, हाफिज सईद और लश्करे तैयबा को सहारा दे रहा है. ये बोझ हैं. उन्होंने कहा, मैं यह स्वीकार करता हूं कि ये बोझ हैं, हमें इनसे छुटकारा पाने के लिए समय दीजिये, क्योंकि हमारे पास इनसे मुकाबले के लिए संसाधन नहीं हैं और आप हमारे बोझ को बढ़ा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आतंकवादियों की घुसपैठ रोकने एवं अफगानिस्तान में एक शांतिपूर्ण समाधान के वास्ते अफगानिस्तान सीमा के प्रभावी प्रबंधन के लिए अमेरिका के साथ काम करने को तैयार है. आसिफ ने कहा, अफगानिस्तान में सभी गड़बड़ियों के लिए पाकिस्तान को बलि का बकरा बनाना न ही उचित है और न सही. इससे केवल उन ताकतों को मदद मिलेगी जिनसे हम सामूहिक रूप से लड़ना चाहते हैं. उन्होंने पाकिस्तान के भारत के साथ संबंधों, कश्मीर मुद्दा, आतंकवाद निरोधक उपायों और देश के आर्थिक प्रगति की बात की.
उन्होंने भारत के साथ पाकिस्तान के खराब होते संबंधों के बारे में बात करते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान को बातचीत की मेज पर लाने के लिए एक नयी पहल की जरूरत है. उन्होंने कहा कि दशकों पुराने एवं दोनों देशों के बीच तनाव का मुख्य मुद्दा कश्मीर मुद्दे के साथ ही सभी मुद्दों पर चर्चा करने की जरूरत है.