फ्लेमिंगो पानी में तैरनेवाली ऐसी चिड़ियां है, जो बहुत ही सामाजिक है. ये ज्यादातर झुंड में रहने में विश्वास करती हैं. इनके झुंड में हजार से भी ज्यादा फ्लेमिंगो एक साथ रहती हैं. अमेरिका में फ्लेमिंगो की चार प्रजातियां पायी जाती हैं, जबकि दो प्रजातियां विश्व के ज्यादातर जगहों पर पायी जाती हैं. फ्लेमिंगो एक पैर पर कई घंटों तक खड़ी रह सकती हैं. ये अपना दूसरा पैर अपने पंखों के बीच छिपा लेती हैं. हाल ही में हुए रिसर्च में यह बात सामने आयी कि वे शायद ज्यादा से ज्यादा बॉडी हीट कंजर्व करने के लिए ऐसा करती हैं.
सामाजिक जीवनशैली
फ्लेमिंगो बहुत ही सामाजिक पक्षी है. इन्हें बड़े-बड़े झुंडों में रहना पसंद है. इनके झुंड बना कर रहने से ही ये शिकारियों से बच पाती हैं, साथ ही भोजन सामग्री बचाने और मिल-बांटकर खाने में इन्हें मजा आता है. झुंड में रहने से इन्हें घोंसला बनाने के लिए जगह ढ़ूंढ़ने में भी सहायता मिलती है. हां, प्रजनन क्रिया से पहले झुंड को 15-20 के ग्रुप में बांट लेते हैं, ताकि सभी एक-दूसरे का अच्छे से खयाल रख सकें.
शैवाल खाना है पसंद
फ्लेमिंगो ब्लू-ग्रीन शैवाल खाना पसंद करती है. उनके चोंच इस तरह से बने होते हैं कि वह अपने भोजन से कीचड़ और कंकड़-पत्थर को अलग कर देती है. उनकी खुरदुरी जीभ भी उसे इस काम में बहुत मदद करती है.
खास बातें
प्रारंभ में इजिप्टियन कल्चर में फ्लेमिंगो को भगवान माना जाता था, सूर्य भगवान की तरह उनकी पूजा की जाती थी.
फ्लेमिंगो की छह प्रजातियां होती हैं, जिसमें दो विश्व में हर जगह पायी जाती है.बाकी चार साउथ अमेरिका, मध्यपूर्व अफ्रिका और यूरोप में पायी जाती हैं.
वैसे तो ये तैरने वाली चिड़ियां है लेकिन ये तेज रफ्तार से उड़ने के लिए भी जानी जाती है. यह 35 मील प्रति घंटा की गति से उड़ सकती है.
फ्लेमिंगो साल में एक ही अंडा देती है, लेकिन उसकी देखभाल बहुत अच्छी तरह से करती है.
इनके पंख गुलाबी, लाल या नारंगी इसलिए होते हैं क्योंकि उनके भोजन में कैरोटीनॅायड पिगमेंट होता है.
इसका भोजन झींगा, शैवाल और प्लवक है.
फ्लेमिंगो के पैर पूरे शरीर से अधिक लंबे होते हैं. इनकी लंबाई 30-35 इंच होती है.
फ्लेमिंगो बच्चे की देखभाल 6 साल तक करते हैं.
फ्लेमिंगो सबसे ज्यादा जीने वाली चिड़ियां है, उनकी उम्र 40 वर्ष तक होती है.
फ्लेमिंगो अपना घोंसला कीचड़ में बनाते हैं और वहीं अंडा देती हैं. नर-मादा दोनों मिल कर उसकी देखभाल करते हैं.
ग्लोबल वार्मिग की वजह से अन्य जीवों की तरह फ्लेमिंगो भी प्रभावित हो रही हैं, क्योंकि वे रेनफॉल पर ही निर्भर करती हैं.
प्रस्तुति : प्रीति पाठक