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वो शर्त, जिससे शाहरुख़ बन गए ”किंग ख़ान”!

लेख टंडन… उन्हें आप प्रोफ़ेसर, आम्रपाली, अगर तुम न होते जैसी फ़िल्मों के निर्देशक के तौर पर याद कर सकते हैं. या फिर उस निर्देशक के तौर पर जिसने शाहरुख़ नाम के एक ग़ुमनाम एक्टर को ब्रेक दिया, जिसे दुनिया आज किंग ख़ान के नाम से जानती है. 13 फ़रवरी 1929 में लाहौर में जन्मे […]

लेख टंडन… उन्हें आप प्रोफ़ेसर, आम्रपाली, अगर तुम न होते जैसी फ़िल्मों के निर्देशक के तौर पर याद कर सकते हैं.

या फिर उस निर्देशक के तौर पर जिसने शाहरुख़ नाम के एक ग़ुमनाम एक्टर को ब्रेक दिया, जिसे दुनिया आज किंग ख़ान के नाम से जानती है. 13 फ़रवरी 1929 में लाहौर में जन्मे लेख टंडन का रविवार को निधन हो गया.

राज्य सभा टीवी को दिए एक इंटरव्यू में लेख टंडन ने बताया था, "अस्सी के दशक में मैं दिल्ली में टीवी सीरियल शूट कर रहा था. एक दिन एक जवान लड़का सेट पर किसी को छोड़ने आया. उसके लंबे-लंबे बाल थे. मैंने उसे रोका और पूछा कि मेरे साथ काम करोगे पर बाल काटने होंगे."

"लड़के ने पूछा अगर मैं बाल कटवा लूँ और आपने काम भी नहीं दिया तो? मैंने कहा बाल काटवाओ, काम मिलेगा. वो बाल कटवाकर आया पर मैंने कहा कि इतने से नहीं चलेगा. और काटने पड़ेंगे. वो मान गया और मेरे टीवी सीरियल दिल दरिया में काम करने लगा."

इंटरव्यू में उन्होंने आगे कहा, "शाहरुख़ ने सीरियल में बहुत अच्छा काम किया. मैंने एक और सीरियल में उसका नाम आगे बढ़ाया -फौजी. फौजी टीवी पर पहले टेलीकास्ट हुआ. कुछ साल बाद वो अपने मेहनत के बूते फ़िल्मों तक पहुँच गए."

यानी कुंदन शाह और सईद मिर्ज़ा समेत लेख टंडन उन जौहरियों में से थे, जिन्होंने शाहरुख़ को उस समय तलाशा और तराशा, जब उन्हें कोई नहीं जानता था.

लाहौर में रहने वाले लेख टंडन का परिवार कपूर ख़ानदान से काफ़ी करीब था. लेख टंडन ने यूँ तो सिविल इंजीनियर बनने के लिए इम्तिहान पास कर लिया था लेकिन उनका मन मुंबई आकर फ़िल्में करने का ही था.

इसलिए जानबूझकर उन्होंने प्रवेश परीक्षा का एक पेपर दिया ही नहीं था.

फ़िल्मों में कई पड़ाव

लेख टंडन 60 के दशक से लेकर नई सदी तक फ़िल्मों में कई पड़ावों के गवाह रहे हैं.

60 के दशक में जहां उन्होंने शम्मी कपूर के साथ प्रोफ़ेसर और प्रिंस जैसी कॉमर्शियल हिट फ़िल्में बनाई तो वैजयंतीमाला के साथ आम्रपाली जैसी फ़िल्म पर भी काम किया.

70 के दशक में उन्होंने राजेश खन्ना को ‘अगर तुम न होते’ के ज़रिए उस समय हिट फ़िल्म दी जब राजेश खन्ना का सुपरस्टार वाला दौर ख़त्म हो रहा था.

लेखनी में भी लेख टंडन ख़ूब माहिर थे. वो फ़िल्मों और टीवी की कहानियाँ भी लिखते थे. ‘दुल्हन वही जो पिया मन भाए’ के स्क्रीनप्ले के लिए उन्हें फिल्मफ़ेयर अवॉर्ड भी मिला.

80 के दशक में लेख टंडन ने दर्शकों को फ़रमान, फिर वही तलाश जैसे सीरियल दिए और दूसरा केवल भी जिसमें दोबार शाहरुख़ ने काम किया.

शाहरुख़ और लेख टंडन के बीच गुरु-शिष्य का बेहतरीन रिश्ता बरसों तक बना रहा. शाहरुख़ की कई फ़िल्मों में उन्होंने एक्टिंग भी की जैसे स्वदेश और चेन्नई एक्प्रेस.

मनमुटाव

हालांकि एक इंटरव्यू में बाद में उन्होंने बताया कि दोनों के बीच प्रोफ़ेशनल मनमुटाव हो गया और वो रिश्ता बिगड़ गया. रंग दे बसंती में भी वो आमिर के साथ नज़र आए थे.

फ़िल्मों की बात करें तो यहाँ उनकी फ़िल्म दूसरी दुल्हन का ज़िक्र ज़रूरी है जो एक ऐसे दंपति की कहानी जिनकी औलाद नहीं है और वो एक वेश्या को सरोगेट माँ के लिए इस्तेमाल करते हैं. इसमें शबाना आज़मी ने काम किया था.

लेख टंडन अपनी ज़िंदगी में ज़्यादातर सुर्खियों से दूर ही रहे, लेकिन हिंदी फ़िल्मों के सफ़र में उनका अपना अलग योगदान रहा. …ख़ासकर ऐसे मुद्दों पर जिनपर कम ही बात होती है.

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