सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने के लिए भारत वीटो की मांग छोड़े : अमेरिका

वाशिंगटन : संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निक्की हेली ने कहा कि सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी सदस्य बनने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि वीटो का इस्तेमाल ना किया जाये. उन्होंने सुरक्षा परिषद के मौजूदा ढांचे में बदलावों के खिलाफ दो विश्व शक्तियों के रूप में रूस और चीन की पहचान की. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 18, 2017 6:11 PM

वाशिंगटन : संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निक्की हेली ने कहा कि सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी सदस्य बनने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि वीटो का इस्तेमाल ना किया जाये. उन्होंने सुरक्षा परिषद के मौजूदा ढांचे में बदलावों के खिलाफ दो विश्व शक्तियों के रूप में रूस और चीन की पहचान की. अमेरिका भारत मैत्री परिषद द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में हेली ने कहा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार वीटो पर निर्भर है. सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में वीटो की क्षमता है. रूस, चीन, ब्रिटेन, अमेरिका और फ्रांस तथा उनमें से कोई भी यह नहीं चाहता. तो, भारत को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाने के लिए महत्वपूर्ण होगा कि वीटो का इस्तेमाल ना किया जाये. इसकामतलब यह हुआ कि यदि भारत को स्थायी सदस्यता मिलती भी है, तो उसके पास किसी प्रस्ताव पर वीटो करने का अधिकार नहीं होगा.

उन्होंने परिषद के अध्यक्ष स्वदेश चटर्जी के एक सवाल के जवाब में कहा कि अमेरिका सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए तैयार है और हमेशा इस पर जवाब देता है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर अमेरिका-भारत सहयोग का प्रचार करने में कांग्रेस की भूमिका पर अहम भाषण भी दिया. हेली ने कहा कि अमेरिकी कांग्रेस या सीनेट की सुरक्षा परिषद में सुधारों में ज्यादा भूमिका नहीं हो सकती. अमेरिकी राजदूत ने कहा कि अमेरिका पहले से ही तैयार है, लेकिन रूस और चीन पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है. सुरक्षा परिषद के ये दो स्थायी सदस्य कोई सुधार होते देखना नहीं चाहते हैं.

पाक पर नजर रखने में अमेरिका की मदद कर सकता है भारत

हेली ने कहा कि भारत, पाकिस्तान पर नजर रखने और यह सुनिश्चित करने में अमेरिका की मदद कर सकता है कि आतंकवादियों को पनाहगाह मुहैया कराने के लिए इस्लामाबाद को जवाबदेह ठहराया जाये. अफगानिस्तान और दक्षिण एशिया में आतंकवाद सेलड़ने के लिए ट्रंप द्वारा हाल ही में घोषित की गयी नयी रणनीति का जिक्र करते हुए हेली ने कहा कि इस रणनीति की अहम बातों में से एक भारत के साथ अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी विकसित करना है. उन्होंने कहा, अफगानिस्तान और दक्षिण एशिया में अमेरिका के हित आतंकवादियों की सुरक्षित पनाहगाहों को खत्म करने में हैं जो हमारे लिए खतरा हैं. साथ ही परमाणु हथियारों को आतंकवादियों की पहुंच से दूर रखना है, इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए हम हमारे राष्ट्रीय, ऊर्जा, अर्थव्यवस्था, कूटनीतिक और सेना के सभी तत्वों का इस्तेमाल करेंगे.

हेली ने कहा, हम भारत के साथ आर्थिक और सुरक्षा साझेदारी बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे. उन्होंने कहा कि ट्रंप ने पाकिस्तान द्वारा आतंकवादियों को समर्थन देने को लेकर कड़ा रुख अपनाया है. हेली ने कहा, पाकिस्तान लंबे समय से अमेरिका का पार्टनर रहा है. हम इसका सम्मान करते हैं और इसे महत्व देते हैं. लेकिन, हम इस सरकार या किसी भी अन्य सरकार की यह बात बर्दाश्त नहीं कर सकते कि वह अमेरिकियों को निशाना बनानेवाले आतंकवादियों को पनाह दें. इस नये रुख के लिए पाकिस्तान और भारत दोनों को संयम बरतने और समझने की जरूरत होगी. उन्होंने कहा कि अमेरिका, अफगानिस्तान में खासतौर से आर्थिक और विकास के क्षेत्र में मदद के लिए भारत की ओर देख रहा है. हेली ने कहा, हमें अफगानिस्तान में वास्तव में भारत की मदद की जरूरत है. वे उस क्षेत्र में अच्छे पड़ोसी और साझेदार हैं. अफगानिस्तान की स्थिरता में भारत का पहले ही अहम योगदान रहा है.

Next Article

Exit mobile version