ब्लॉग: ‘सीक्रेट सुपरस्टार’ की इनसिया में मुस्लिम लड़कियों को दिखेगा अपना अक़्स

भारत में बीते हफ्ते मुस्लिम लड़कियों से जुड़े दो घटनाक्रम उल्लेखनीय रहे. बॉलीवुड एक्टर आमिर ख़ान की फ़िल्म सीक्रेट सुपरस्टार रिलीज़ हुई है. फ़िल्म की कहानी 14 साल की मुस्लिम लड़की इनसिया की है, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए घर और समाज में जूझती नज़र आती है. इनसिया एक रूढ़िवादी मुस्लिम परिवार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 22, 2017 4:59 PM

भारत में बीते हफ्ते मुस्लिम लड़कियों से जुड़े दो घटनाक्रम उल्लेखनीय रहे.

बॉलीवुड एक्टर आमिर ख़ान की फ़िल्म सीक्रेट सुपरस्टार रिलीज़ हुई है. फ़िल्म की कहानी 14 साल की मुस्लिम लड़की इनसिया की है, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए घर और समाज में जूझती नज़र आती है.

इनसिया एक रूढ़िवादी मुस्लिम परिवार से है और सिंगर बनना चाहती है. लेकिन उनके अब्बा सख़्तमिज़ाज के रूढ़िवादी व्यक्ति हैं, जिन्हें अपनी बेटी का इस रास्ते पर जाना बिलकुल बर्दाश्त नहीं. इनसिया के अम्मी और अब्बा का रिश्ता कई बार हिंसक रूप भी अख्तियार कर लेता है.

जिस दिन ये फ़िल्म रिलीज़ हुई, भारत के दारुल उलूम देवबंद के फतवा देने वाले महकमे ने सोशल मीडिया पर मुस्लिम लड़कियों को लेकर जारी एक फतवे को सही ठहराया.

लड़कियां आज भी पर्दे के पीछे

इस फतवे में कहा गया कि मुस्लिम लड़कियों को ना-मेहरम (वो जिनसे शादी हो सकती है) के सामने नहीं आना चाहिए, ऐसे में मुस्लिम लड़कियों को फ़ेसुबक, ट्विटर, यूट्यूब और वॉट्स ऐप पर अपनी तस्वीरें और मैसेज नहीं डालने चाहिए. यानी मु्स्लिम लड़कियों को सोशल मीडिया पर बिल्कुल भी एक्टिव नहीं रहना है, क्योंकि ये इस्लाम की परंपराओं और नियमों के ख़िलाफ है.

बीते सालों में स्मार्टफोन और इंटरनेट ने भारत जैसे समाज में नए आयामों को खोला है. हर तरह की जानकारी ज्ञान, मनोरंजन, फिल्मी गीत और विज्ञान तक लोगों की बेरोक-टोक पहुंच बढ़ी है.

भारत का मुस्लिम आज भी सबसे रूढ़िवादी और पिछड़े समाज का हिस्सा है. ज़्यादातर इलाकों में लड़कियां आज भी पर्दे के पीछे हैं. ऐसे कई मामले हैं, जहां मुस्लिम लड़कियों को कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढ़ाए जाने से मना किया जाता है. तर्क दिया जाता है कि वहां लड़के भी पढ़ते हैं.

ज़्यादातर मां-बाप अपनी लड़कियों को पढ़ाते हैं ताकि अच्छी जगह शादी की जा सके. अगर मुस्लिम लड़की उच्च शिक्षा हासिल भी कर ले तो आमतौर पर उन्हें काम करने की इजाज़त नहीं मिलती.

मुस्लिम लड़कियों को सपना पूरा करने की इजाज़त नहीं?

मुस्लिम समाज लड़कियों के मामले में बाकियों से बेहतर है. लेकिन ये संख्या काफी कम है. लड़कियों को अपने सपने पूरा करने की इजाज़त नहीं है. समाज लड़कियों को ये हक नहीं दे पाया है कि वो अपने फैसले खुद ले सकें.

लेकिन बीते वक्त में मुस्लिम शिक्षा की तरफ बढ़े हैं. इंटरनेट ने हर शख्स को आज़ाद और व्यक्तिगत रूप से सोचने की ताकत बख्शी है.

जिस तरह विद्वान फतवा देने का हक रखते हैं. वैसे ही लोग इन फतवों को न मानने और आलोचना करने का हक रखते हैं. अभिव्यक्तियों पर लोगों का कंट्रोल खत्म हो रहा है.

आमिर ख़ान की सुपरस्टार इनसिया मुस्लिम समाज की हकीकत है. टीनएजर मुस्लिम लड़कियों को इनसिया की जद्दोजहद में अपना अक्स दिखाई देगा. अगर कोई समाज अपने आप को सामूहिक रूप से नहीं बदलता है तो लोग व्यक्तिगत तौर पर अपना रास्ता खुद बनाते हैं.

सोशल मीडिया ने लोगों की ज़िंदगी में आज़ादी, समानता और प्रतिष्ठा को लेकर नए रास्ते खोले हैं. मां-बाप और विद्वानों को भी वक्त के साथ अपनी सोच बदलने की ज़रूरत है.

उन्हें अपनी सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों को आधुनिकता से जोड़ना होगा ताकि किसी इनसिया को अपने ख़्वाबों और अनूठेपन को सिर्फ इसलिए न दफन करना पड़े कि कुदरत ने उसको लड़की बनाया है.

देखिए सीक्रेट सुपरस्टार फिल्म का रिव्यू

ये हैं असल ज़िंदगी के ‘सीक्रेट सुपरस्टार’

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