बिहार: फेल की गई छात्रा पहुंची कोर्ट, हो गई पास

"मुझे ये सफलता मिली क्योंकि मैंने लड़ाई लड़ी. मैं बिहार बोर्ड के दूसरे छात्रों से कहना चाहती हूं कि अगर उन्हें लगता है कि उनके साथ अन्याय हुआ है तो अपने लिए वो लड़ाई लड़ें." ये कहना है दसवीं की छात्रा प्रियंका सिंह का जिन्होंने पुनर्मूल्यांकन के लिए एक लंबी क़ानूनी लड़ाई लड़ी और इंसाफ़ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 22, 2017 7:51 PM

"मुझे ये सफलता मिली क्योंकि मैंने लड़ाई लड़ी. मैं बिहार बोर्ड के दूसरे छात्रों से कहना चाहती हूं कि अगर उन्हें लगता है कि उनके साथ अन्याय हुआ है तो अपने लिए वो लड़ाई लड़ें."

ये कहना है दसवीं की छात्रा प्रियंका सिंह का जिन्होंने पुनर्मूल्यांकन के लिए एक लंबी क़ानूनी लड़ाई लड़ी और इंसाफ़ पाया.

दरअसल पटना हाईकोर्ट के जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह ने बीते 18 अक्तूबर को प्रियंका के पक्ष में फैसला सुनाया और बिहार बोर्ड पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.

प्रियंका के वकील रतन कुमार ने बताया, "कोर्ट ने माना कि प्रियंका और उसके परिवार को मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़ा है जिसके चलते बोर्ड प्रियंका को 5 लाख रुपये जुर्माने के तौर पर अदा करेगा. साथ ही पुनर्मूल्यांकन के नियम में भी आवश्यक बदलाव का आदेश दिया है."

बिहार के सहरसा के डीडी हाई स्कूल सरडीहा की इस छात्रा को दसवीं की परीक्षा में फेल घोषित किया गया था. प्रियंका को संस्कृत में सिर्फ 9 नंबर मिले थे जबकि विज्ञान में महज 49 नंबर. प्रियंका इस परिणाम को चुतौती दी.

प्रियंका बताती हैं, "हम सारे अधिकारी के पास गए किसी ने नहीं सुनी, स्क्रूटनी के लिए आवेदन किया तो उसमे नो चेंज लिखकर आ गया. जिसके बाद पापा को मनाया और हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट में पहली सुनवाई अगस्त में हुई तो सबसे पहले हमने अपनी कॉपियां मांगीं. कॉपी देखी तो मेरे होश उड़ गए, क्योंकि ये तो मेरी हैंड राइटिंग ही नहीं थी."

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क़ानूनी संघर्ष

सिमरी बख्तियारपुर की सिटानाबाद पंचायत के गंगा प्रसाद टोला की रहने वाली प्रियंका ने उसके बाद अपनी हैंड राइटिंग का नमूना कोर्ट में दिया जिसके बाद ये साबित हो गया कि बोर्ड की ओर से पेश की गई कॉपी उनकी नहीं है.

इसके बाद बिहार बोर्ड ने इस मामले में जांच के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित की.

प्रियंका के पिता राजीव सिंह पेश से शिक्षक हैं. वो कहते हैं, "बोर्ड परीक्षा कॉपियों को कोर्ट में पेश करे, इसके लिए हमसे 40 हजार रुपये जमा कराए गए और शर्त भी रखी गई कि अगर हमारा दावा ग़लत होगा तो ये रुपये वापस नहीं होंगे. आप सोचिए हमारे जैसे गरीब परिवार के लिए ये कितना मुश्किल था लेकिन प्रियंका की ज़िद के आगे हमें झुकना पड़ा."

इस पूरे मामले पर हाईकोर्ट का आदेश आ जाने के बाद बिहार बोर्ड बैकफुट पर है. हालांकि बोर्ड इस बात पर अड़ा हुआ है कि कॉपियों की बारकोडिंग के मामले में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है.

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साइंस में 49 से हुए 100 नंबर

बोर्ड ने प्रेस रिलीज जारी करके सफाई दी है. बोर्ड के विधि पदाधिकारी तनुज वर्मा ने बयान में कहा है, "प्रियंका की कॉपी की बारकोडिंग को सहरसा जिले के किसी कर्मी की ओर से प्रियंका सिंह को क्षति पहुंचाने/ व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने के लिए हटा दिया गया और दूसरी छात्रा की बारकोडिंग उस पर लगा दी गई. इस मामले में उचित कार्रवाई का आदेश जिला अधिकारी सहरसा को 4 अक्तूबर को ही दे दिया गया है."

बिहार बोर्ड ने इस मामले मे सहरसा थाने में 5 अक्टूबर को एफ़आईआर भी दर्ज कराई गई है. प्रियंका की कॉपियों के पुनर्मूल्यांकन के बाद अब संस्कृत में उनके नंबर 9 से बढ़कर 61 हो गए हैं. जबकि साइंस में 49 से बढ़कर 100 नंबर.

अब प्रियंका सिंह, रोल कोड 41047, रोल नंबर 1700124 बिहार बोर्ड की दसवीं की फेल छात्रा नहीं, बल्कि 422 नंबर से फ़र्स्ट डिवीजनर हैं.

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