जीवन की गुणवत्ता में सुधार है वेलनेस

वेलनेस शब्द पर खूब बहस होती है. वेलनेस यानी सेहतमंद होने का आशय सिर्फ बीमारियों से मुक्त होना ही तो नहीं. इसका आशय जीवन की गुणवत्ता में व्यापक सुधार है. वेलनेस से मतलब एक अर्थपूर्ण जीवन जीने से हैं जिसमें चेतना हो. जीवन को यह चेतना और अर्थ शारीरिक के साथ-साथ भावनात्मक, बौद्धिक, अध्यात्मिक, सामाजिक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 16, 2014 12:50 PM

वेलनेस शब्द पर खूब बहस होती है. वेलनेस यानी सेहतमंद होने का आशय सिर्फ बीमारियों से मुक्त होना ही तो नहीं. इसका आशय जीवन की गुणवत्ता में व्यापक सुधार है. वेलनेस से मतलब एक अर्थपूर्ण जीवन जीने से हैं जिसमें चेतना हो. जीवन को यह चेतना और अर्थ शारीरिक के साथ-साथ भावनात्मक, बौद्धिक, अध्यात्मिक, सामाजिक और आस-पास के पूरे वातावरण के स्वस्थ होने से मिलते हैं.

हमारी सेहत एक बैंक खाते की तरह होती है. जो हम इसमें डालते हैं, हमें वही वापस मिलता है. इसलिए शरीर और मस्तिष्क को सेहतमंद रखने के लिए सही चुनाव और निवेश बहुत जरूरी है. मस्तिष्क में जो होता है उसका शारीरिक असर भी होता है. इसका उलटा भी सच है. हमें इसे ऐसे समझ सकते हैं कि शरीर में कुछ रसायनों का स्नव होता है जिनसे शरीर और मस्तिष्क को उत्तेजित करते हैं. इसका असर दो तरह से होता है. नकारात्मक भावनाएं जैसे जिद, लालच, क्रोध, शक आदि से तनाव बढ़ेगा और शरीर को नुकसान होगा. इनके असर को कम करने के लिए सकारात्मक भावनाओं का संचार करना चाहिए. और ध्यान करना चाहिए ताकि शरीर खुद को स्वस्थ करे. दया दिखाना, सहानुभूति रखना, किसी का धन्यवादी होना और हमेशा सकारात्मक सोचना मुफ्त में अच्छी सेहत पाने के तरीके हैं.

इसे पीएआइ यानी पॉजिटिव एक्टिविट इंटरवेंशन कहते हैं. कैलिफोर्निया, रिवरसाइड और ड्यूक यूनिववर्सिटी मेडिकल सेंटर में हुए शोध में पता चला है कि अवसाद के मरीजों के लिए तो पीएआई काफी प्रभावशाली इलाज हो सकता है. अमेरिका की साइंस पत्रिका में 1984 में एक अध्ययन छपा था. यह अध्ययन ऐसे मरीजों पर किया गया जिनकी सर्जरी हुई थी. 23 मरीजों को ऐसे कमरे दिए गये जिनकी खिड़की से प्राकृतिक सौंदर्य नजर आता था. दूसरे 23 मरीजों की खिड़की दीवार के सामने खुलती थी.

कुदरती सौंदर्य देखनेवाले मरीजों को ऑपरेशन के बाद अस्पताल में कम दिन रहना पड़ा. पेन किलर भी कम खानी पड़ीं और नर्सों ने उन्हें कम नेगेटिव कॉमेंट दिये. यानी प्राकृतिक सौंदर्य से सकारात्मक भावनाएं पैदा होती हैं, रुचि जागती है और तनाव कम होता है. चिंता, नफरत, नाराजगी, लालच और निराशा जीवन बरबाद करनेवाली भावनाएं हैं, जबकि प्यार, उम्मीद, भरोसा, चतुराई और विश्वास जैसी भावनाएं जिंदा रखती हैं और दूसरों के जीवन में भी मदद करती हैं. ये स्वास्थ्य और वेलनेस में सहायक होती हैं. एक स्वस्थ व्यक्ति वही है, जो शारीरिक रूप से आराम से हो, दिमागी तौर पर सचेत हो, भावनात्मक रूप से शांत हो और आध्यात्मिक तौर पर जागरूक हो.

Next Article

Exit mobile version