इस्लामाबाद : पाकिस्तान की भ्रष्टाचार रोधी अदालत ने पनामा पेपर्स लीक होने से जुड़े, भ्रष्टाचार के दो मामलों में प्रधानमंत्री पद से अयोग्य करार दियेगये नवाज शरीफ के खिलाफगुरुवारको जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया. जवाबदेही अदालत ने शरीफ के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट तब जारी किया, जब वह फ्लैगशिप इन्वेस्टमेंट मामले और अल-अजीजिया स्टील मिल्स एंड हिल मेटल एस्टेब्लिशमेंट मामले में अदालत के समक्ष पेश नहीं हुए.
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शरीफ (67) लंदन में कैंसर का इलाज करा रही अपनी पत्नी कुलसुम के साथ हैं. भ्रष्टाचार के आरोपों में मुकदमा चलाये जाने के बाद से वह अदालत की सुनवाई के लिए पाकिस्तान नहीं लौटे हैं. राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) ने आठ सितंबर को शरीफ, उनके बच्चों और दामाद के खिलाफ तीन मामले दर्ज कियेथे. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने शरीफ के परिवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों में जांच के बाद उन्हें प्रधानमंत्री पद के अयोग्य करार दिया था.
Bailable warrants issued for Nawaz; hearing adjourned until Nov 3 https://t.co/Bv04WhF8hT
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अदालत के एक अधिकारी के अनुसार, शरीफ की बेटी मरियम और दामाद मुहम्मद सफदर अदालत में पेश हुए, लेकिन शरीफ गैरमौजूद रहे. उनके वकील ख्वाजा हारिस ने अदालत से उन्हें पेशी से छूट देने का अनुरोध किया.
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एनएबी के डिप्टी प्रोसिक्यूटर जनरल सरदार मुजफ्फर अब्बासी ने अर्जी का विरोध किया और उन्होंने कहा कि अदालत ने पहले ही शरीफ को 15 दिन की छूट दी थी, जिसकी अवधि 24 अक्तूबर को खत्म हो गयी. उन्होंने शरीफ पर देरी करने की रणनीति अपनाने का आरोप लगाया.
Even weak, 'so-called' democratic government should complete tenure: Maryam https://t.co/tu2DEOoS22
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अदालत ने दलीलें सुनने के बाद याचिका को खारिज कर दिया और अल-अजीजी स्टील और फ्लैगशिप इन्वेस्टमेंट भ्रष्टाचार मामले में उनके खिलाफ जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया. साथ ही अदालत ने एवेनफील्ड रेफरेंस मामले में शरीफ के गारंटर को नोटिस जारी किये.
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सभी तीन मामलों में अदालत ने तीन नवंबर तक सुनवाई स्थगित कर दी. अदालत ने गत सप्ताह शरीफ की गैर मौजूदगी में तीन मामलों में उन पर मुकदमा चलाया. नौ अक्तूबर को सुनवाई के दौरान अदालत ने शरीफ के दो बेटों हुसैन और हसन तथा उनकी बेटी और दामाद पर अलग से मुकदमा चलाने का फैसला लिया था.
Maryam Nawaz questions hasty justice for Nawaz Sharif, family
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साथ ही अदालत ने उसके समक्ष पेश नहीं होने पर हुसैन और हसन को घोषित अपराधी करार देने की प्रक्रिया शुरू करने का भी आदेश दिया. किसी भी अप्रिय स्थिति से निबटने के लिए 400 से ज्यादा सुरक्षाकर्मियों को अदालत परिसर के आसपास तैनात किया गया था.