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वैज्ञानिकों का दावाः र्इसा के 1207 साल पहले 30 अक्टूबर को दर्ज किया गया था सूर्य ग्रहण

लंदनः वैज्ञानिकों ने सबसे पुराने दर्ज सूर्य ग्रहण की तारीख का पता लगाने का दावा किया है. यह सूर्यग्रण ईसा से 1207 साल पहले 30 अक्तूबर को लगा था. यह घटनाक्रम ईसाइयों के धर्मग्रंथ बाइबिल में भी दर्ज है. बाइबिल की इबारत तथा प्राचीन मिस्र के विषय को एक साथ लेकर अनुसंधानकर्ताओं ने मिस्र के […]

लंदनः वैज्ञानिकों ने सबसे पुराने दर्ज सूर्य ग्रहण की तारीख का पता लगाने का दावा किया है. यह सूर्यग्रण ईसा से 1207 साल पहले 30 अक्तूबर को लगा था. यह घटनाक्रम ईसाइयों के धर्मग्रंथ बाइबिल में भी दर्ज है. बाइबिल की इबारत तथा प्राचीन मिस्र के विषय को एक साथ लेकर अनुसंधानकर्ताओं ने मिस्र के फिरऔन खास तौर पर रामेसेस द ग्रेट के शासनकाल का पता लगाया. जोशुआ की एक पुस्तक ओल्ड टेस्टामेंट से बाइबिल की इबारत का पता चला. पुस्तक ने बाइबिल के विद्वानों को शताब्दियों तक परेशान कर के रखा हुआ था.इसमें कहा गया है कि इस्राइल के लोगों का कनान तक नेतृत्व करते हुए जोशुआ ने सूर्य से प्रार्थना की थी. सूरज जिबेओं में ठहर गया और चंद्रमा ऐजालों की घाटी में रुक गया. सूरज और चंद्रमा तब तक रुका रहा, जब तक देश अपने शत्रुओं से प्रतिशोध नहीं ले लिया.

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ब्रिटेन स्थित कैंब्रिज विश्वविद्यालय के कॉलिन हंफ्रीज ने कहा कि अगर ये शब्द वास्तविक अवलोकन का वर्णन है, तो एक बहुत बड़ी खगोलीय घटना होने जा रही थी. हमारे लिए सवाल यह है कि इन शब्दों का असली मतलब क्या है. हंफ्रीज ने कहा कि आधुनिक अंग्रेजी अनुवाद के मुताबिक इन शब्दों का मतलब है कि सूरज और चंद्रमा ने घूमना बंद कर दिया था. आधुनिक अंग्रेजी अनुवाद किंग जेम्स के 1611 के अनुवाद का अनुसरण करता है.

उन्होंने कहा कि मूल हिब्रू शब्दों की तरफ जाने पर हम इस हमने यह निर्धारित किया कि इसका एक वैकल्पिक मतलब यह हो सकता है कि सूरज और चंद्रमा ने वह करना बंद कर दिया, जो आम तौर वह करते हैं. अर्थात उन्होंने चमकना बंद कर दिया. उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में हिब्रू शब्द सूर्यग्रहण की तरफ इशारा कर रहा है, जब चंद्रमा सूरज और धरती के बीच से निकलता है और ऐसा लगता है कि सूरज ने चमकना बंद कर दिया है.

हम्फ्रीज ने बताया कि इसके मतलब को इस बात से बल मिलता है कि हिब्रू में अनुवादित स्टैंड स्टिल शब्द का मूल जड बेबीलोनियाई शब्द से जुड़ा है, जिसका इस्तेमाल ग्रहण को वर्णित करने के लिए प्राचीन खगोलीय विषयों में होता है. अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि स्वतंत्र साक्ष्य है कि इस्राइली ईसापूर्व 1500 से 1050 के बीच कनान में थे. यह बात मिस्र भाषा के एक शिलालेख मर्नेप्ताह स्टेले में है. यह मिस्र के फिरऔन रमेसेस द ग्रेट के बेटे मर्नेप्ताह से संबंधित है.

मिस्र की राजधानी काहिरा के एक संग्रहालय में जो ग्रेनाईट का बडा ब्लाक है, उसके अनुसार यह मार्नेप्ताह के शासनकाल के पांचवे साल में बनाया गया है और इस में कनान की लड़ाई का जिक्र है, जहां उन्होंने इस्राइल के लोगों को हराया था. इससे पहले इतिहासकार इन दोनों विषयों का इस्तेमाल ग्रहण के संभावित तारीखों का पता लगाने के लिए करते थे. इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली, क्योंकि वह पूर्ण सूर्यग्रहण को खोज रहे थे, जिसमें सूरज को चंद्रमा पूरी तरह ढक लेता है.

उन्होंने बताया कि वह वलयाकार ग्रहण पर विचार करने में सफल नहीं रहे, जिसमें चंद्रमा सीधे सूरज के सामने से गुजरता है. इसमें वह सूरज की गोलायी को पूरी तरह ढंकने से काफी दूर रहता है. ऐसा लगता है कि सूरज अग्निवलय बन गया. अनुसंधानकर्ताओं ने ग्रहण के एक नये कोड को विकसित किया. उनकी गणना के अनुसार, उन्होने पाया कि कनान में 1500 से 1050 ईसा पूर्व केवल वलयाकार ग्रहण दिखा था और यह ईसा पूर्व 1207 में 30 अक्तूबर को दोपहर हुआ था.

अगर उनका तर्क स्वीकार कर लिया जाता है, तो यह न केवल सबसे पुराना दर्ज सूर्यग्रहण होगा, बल्कि इससे रामेसेस द ग्रेट और उनके बेटे मर्नेप्ताह के शासनकाल का भी एक साल के भीतर पता लगाने में सफलता मिलेगी.

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