असीम एकांत में चले गये मार्खेज
-कानून की पढ़ाई बीच में ही छोड़ कर शुरू की थी पत्रकारिता- ।।बीबीसी हिन्दी।। पूरी दुनिया को साहित्य में जादुई यथार्थवाद से परिचित करानेवाले, नोबेल पुरस्कार से सम्मानित, लातिन अमेरिकी देश कोलंबिया के मशहूर उपन्यासकार गैब्रियल गार्सिया मार्खेज का गुरुवार को 87 साल की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने मेक्सिको सिटी स्थित अपने घर […]
-कानून की पढ़ाई बीच में ही छोड़ कर शुरू की थी पत्रकारिता-
।।बीबीसी हिन्दी।।
पूरी दुनिया को साहित्य में जादुई यथार्थवाद से परिचित करानेवाले, नोबेल पुरस्कार से सम्मानित, लातिन अमेरिकी देश कोलंबिया के मशहूर उपन्यासकार गैब्रियल गार्सिया मार्खेज का गुरुवार को 87 साल की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने मेक्सिको सिटी स्थित अपने घर में आखिरी सांस ली है. वह पिछले 30 सालों से मेक्सिको में ही रह रहे थे. साल 2012 में मार्खेज के छोटे भाई ने बताया था कि उन्हें भूलने की बीमारी हो गयी है. इसके बाद से वह सार्वजनिक तौर पर बहुत कम दिखायी दिये. पिछले महीने उन्हें फेफड़े और पेशाब की नली में संक्र मण के कारण अस्पताल में भरती कराया गया.
आठ अप्रैल को उन्हें अस्पताल से घर ले आया गया था.
स्पेनी भाषा में लिखनेवाले मार्खेज को उनके कालजयी उपन्यास ‘वन हन्ड्रेड इयर्स ऑफ सॉलीट्यूड’ के लिए जाना जाता है. यह वो पुस्तक थी जिसके बारे में ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने लिखा था- ‘‘बुक ऑफ जेनेसिस’ के बाद यह पहली साहित्यिक कृति है, जिसे पूरी इनसानी नस्ल को पढ़ना चाहिए.’’
6 मार्च 1928 को जन्मे मार्खेज के पिता एक फार्मासिस्ट थे. मार्खेज को उनके नाना-नानी ने उत्तरी कोलंबिया के खस्ताहाल शहर अराकाटका में पाला-पोसा था. अपनी सभी कृतियों के लिए वह अपने बचपन के पालन-पोषण को श्रेय देते हैं. उन्हें अपने नाना से राजनीतिक चेतना मिली जो खुद दो गृहयुद्धों में शामिल हो चुके थे और अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले कार्यकर्ता भी थे. अपनी नानी से उन्होंने अंधविश्वासों और स्थानीय कहानियों को जाना-समझा. नानी उन्हें मरे हुए पूर्वजों, भूतों और प्रेतात्माओं की कहानियां सुनाती थीं, जो उनकी नजर में घर में ही नाचते रहते थे. उन्होंने अपनी नानी के कहानी कहने के अंदाज को ही अपने उपन्यासों में इस्तेमाल किया.
मार्खेज ने कॉलेज में कानून की पढ़ाई शुरू की, पर पढ़ाई बीच में ही छोड़ कर उन्होंने पत्रकारिता शुरू कर दी. साल 1954 में वह एक अखबार के काम के सिलिसले में रोम गये और उसके बाद से अधिकतर समय विदेश में ही रहे.पेरिस, वेनेजुएला और मेक्सिको में उनके जीवन का अधिकांश समय बीता. उन्होंने पत्रकार का काम कभी नहीं छोड़ा. यहां तक कि जब उनकी कहानियां बहुत लोकप्रिय हो गयीं और उन्हें काफी पैसे भी मिलने लगे, तब भी वह पत्रकारिता से जुड़े रहे.
पहले उपन्यास से हन्ड्रेड इयर्स.. तक
जाने-माने उपन्यासकार विलियम फॉकनर से प्रभावित मार्खेज ने अपना पहला उपन्यास 23 वर्ष की उम्र में लिखा था. यह उपन्यास साल 1955 में प्रकाशित हुआ. ‘लीफ स्टार्म’ नामक यह उपन्यास और इसके बाद के दो उपन्यास उनके करीबी दोस्तों में काफी पसंद किये गये. हालांकि तब किसी ने सोचा नहीं था कि आने वाले समय में मार्खेज इतने बड़े लेखक हो जायेंगे.
1965 में उन्हें ‘वन हन्ड्रेड इयर्स ऑफ सॉलीट्यूड’ के पहले अध्याय का ख्याल उस समय आया, जब वह अकापुलो की तरफ कार से जा रहे थे. उन्होंने कार रोकी, वापस घर आये और कमरे में खुद को बंद कर लिया. लिखने के दौरान हर दिन उनके दोस्त होते थे- छह पैकेट सिगरेट. 18 महीने के बाद वह जब किताब पूरी कर उठे तो उन पर 12 हजार डॉलर का कर्ज था. लेकिन मजे की बात यह थी कि उनके हाथ में 1300 पन्नों का वह उपन्यास था, जो अपने समय का सबसे बेहतरीन उपन्यास कहलाने वाला था. यह उपन्यास जब स्पेनी भाषा में प्रकाशित हुआ, तो एक हफ्ते में ही इसकी सारी प्रतियां बिक गयीं और अगले तीस वर्षो में इस उपन्यास की दो करोड़ से अधिक प्रतियां बिकीं और 30 से अधिक भाषाओं में इसका अनुवाद हुआ.
मार्खेज की तारीफ उनके लेखन की जीवंतता को लेकर होती है. उनकी भाषा कल्पनाओं को नयी उड़ान देती है. कुछ लोग मानते हैं कि वह अपने लेखन में जान-बूझ कर कल्पनाओं का, सुपरनैचुरल चीजों का और मिथकीय तरीकों का उपयोग करते थे, ताकि अपने देश में चल रही उथल-पुथल से दूर हो सकें.
वामपंथी राजनीतिक प्रतिबद्धता
मार्खेज खुद कहते थे कि उनका सररियलिज्म लातिन अमेरिका के यथार्थ से आया है. कोलंबिया में बढ़ती हिंसा को देखते हुए मार्खेज की राजनीतिक प्रतिबद्धताएं भी बढ़ीं और इसके बाद रचना हुई ‘द जनरल इन हिज लैबरिंथ’ और ‘ऑटम ऑफ द पैट्रिआर्क’ की. कोलंबिया सरकार के लिए शर्मिदगी पैदा करने वाले एक लेख के बाद मार्खेज को कुछ समय निर्वासन में यूरोप में भी बिताना पड़ा.
मार्खेज ने जब चिली के शरणार्थियों की वापसी के अनुभवों पर एक उपन्यास लिखा, तो चिली सरकार ने उसकी पंद्रह हजार प्रतियां जलवा दीं. वह लगातार अपने वामपंथी रुझान वाले लेखन प्रकाशित करते रहे और आगे चल कर फ्रांस्वा मितरां के दोस्त बने. उनके मित्रों में क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति ़फिदेल कास्त्रो भी थे.
बेमिसाल लोकप्रिय लेखक : वन हन्ड्रेड इयर्स.. के प्रकाशन के बाद मार्खेज पूरी लातिन अमेरिकी जाति की आवाज बन गये. उनसे कोलंबिया सरकार और वामपंथी गुरिल्ला संगठनों जैसे एफएआरसी और इएलएन के बीच बातचीत में मध्यस्थ की भूमिका निभाने का आग्रह किया गया. राजनीतिक विवादों के बाद भी मार्खेज का स्थान साहित्य के शिखर पर रहा. इसकी वजह है, उनका बेहतरीन लेखन. लेखन में अपनी जाति, समाज, इतिहास की पूरी जीवंतता से मौजूदगी.
1986 में आया उनका एक उपन्यास ‘लव इन द टाइम ऑफ कॉलरा’ भी वन हन्ड्रेड इयर्स.. की तरह ही लोकप्रिय हुआ. 1982 में उन्हेंसाहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला. नोबेल कमिटी के अनुसार मार्खेज को मिथकों और इतिहास को मिला कर एक ऐसी दुनिया गढ़ने के लिए नोबेल दिया गया जिस दुनिया में कुछ भी संभव होता है और सब कुछ विश्वास करने लायक है. और इन सभी चीजों को वैसी ही रंगीनियत मिलती है जैसा कि दक्षिण अमेरिका के रंग-बिरंगे कार्निवल होते हैं.
वह इतने मकबूल थे कि मार्खेज के मूल शहर अराकाटका के मेयर ने शहर का नाम उनके उपन्यास के प्रमुख पात्र के नाम पर करने का प्रस्ताव रखा. हालांकि तकनीकी कारणों से ऐसा नहीं हो सका. 2007 में मार्खेज अपनी पत्नी के साथ जब अपने शहर आये, उनके स्वागत के लिए लोग उमड़ पड़े थे. एक लेखक के ऐसे स्वागत की मिसाल शायद ही हो.
(साभार : बीबीसी, इनपुट: एजेंसियां)