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अमृतसर जेल में जन्मी पाकिस्तानी लड़की अपने देश रवाना

अमृतसर जेल में 2006 में जन्मी हिना गुरुवार को अपने वतन लौट रही हैं. हिना को अपनी मां और मौसी के साथ पाकिस्तान जाने की इजाजत मिल गई है. ये तीनों अब तक अमृतसर जेल में बंद थे. लेकिन गुरुवार को इनकी जेल से रिहाई हो गई है. अमृतसर जेल के अधिकारियों ने तीनों को […]

अमृतसर जेल में 2006 में जन्मी हिना गुरुवार को अपने वतन लौट रही हैं. हिना को अपनी मां और मौसी के साथ पाकिस्तान जाने की इजाजत मिल गई है.

ये तीनों अब तक अमृतसर जेल में बंद थे. लेकिन गुरुवार को इनकी जेल से रिहाई हो गई है. अमृतसर जेल के अधिकारियों ने तीनों को पंजाब पुलिस के सुपुर्द कर दिया है. उनके साथ उनकी वकील नवजोत कौर छब्बा और उनकी मदद करने वाली एनजीओ के लोग भी हैं.

हिना ने इस मौके पर बीबीसी हिंदी से कहा, "मैं नवजोत मौसी को बहुत मिस करूंगी." इतना ही नहीं हिना ने अपनी रिहाई से पहले पंजाबी लोक गीत बोलियां भी गा कर सुनाईं.

फ़ातिमा और मुमताज़ ने इस मौके पर भविष्य की अपनी योजनाओं के बारे में बताया. फ़ातिमा ने कहा कि पाकिस्तान लौटने पर वो अपनी बहन मुमताज़ की जल्द से जल्द शादी करने की तैयारी करेंगी.

दोनों महिलाओं पर लगे चार लाख रुपये ज़ुर्माने की रकम चुकाने के लिए स्थानीय एनजीओ के सामने आने से इनकी रिहाई जल्दी हो पाई. ज़ुर्माना ना चुका पाने की स्थिति में दोनों महिलाओं को दो-दो साल और जेल में बिताने होते.

पाकिस्तानी महिलाओं का केस लड़ रहीं वकील नवजोत कौर छब्बा के मुताबिक रिहाई की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. उनके मुताबिक नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास और अमृतसर जेल के डीजीपी से रिहाई की मंजूरी मिल चुकी है.

भारतीय जेल में पैदा हिना मां संग जाएंगी पाकिस्तान

नवजोत कौर ने बीबीसी से बातचीत में बताया कि गृह मंत्रालय के अधिकारियों का फोन आया था जिससे उन्हें हिना, उनकी मां फ़ातिमा और फ़ातिमा की बहन मुमताज़ की रिहाई की जानकारी मिली थी. उन्होंने ये बताया कि बाटला स्थित एक एनजीओ के प्रमुख नवतेज सिंह ने जुर्माने की रकम चुकाई है.

दरअसल फ़ातिमा और मुमताज़ को आठ मई, 2006 को अटारी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तब गिरफ़्तार किया गया था जब वे सीमा पार से नशीले पदार्थों की तस्करी कर रहीं थीं. इन दोनों को नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटैंस (एनडीपीएस) एक्ट के तहत गिरफ़्तार किया गया था.

नवंबर, 2016 में इनकी साढ़े दस साल की सजा भी पूरी हो गई. अदालत ने फ़ातिमा और मुमताज़ पर दो-दो लाख रूपये ज़ुर्माने का आदेश भी लगाया था, जिसका भुगतान नहीं करने पर क़ैद में दो साल और बिताने होते.

जब फ़ातिमा को गिरफ़्तार किया गया, उस वक्त वो गर्भवती थीं और जेल में बाद में हिना का जन्म हुआ. छाबा कहती हैं, "मैं इस बात से बेहद ख़ुश हूं कि हिना जेल में साढ़े दस साल से ज़्यादा बिताने के बाद अब अपने परिवार से मिल पाएंगी."

स्थानीय एनजीओ की मदद

छब्बा ने बताया कि हिना ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा था जिसमें उनकी रिहाई की प्रक्रिया को जल्दी निपटाने का अनुरोध किया गया था.

छब्बा ने ये भी जानकारी दी कि ज़ुर्माने के चार लाख रुपये सात अप्रैल, 2017 को बैंक में जमा करा दिए गए हैं.

उन्होंने ये भी बताया कि जब हिना और उनकी मां को ये ख़बर मिली तो वो बहुत ख़ुश हुईं, ख़ासकर हिना अपने पिता और भाई बहनों से मिलने को लेकर काफ़ी ख़ुश हैं.

जेल में रहने के दौरान सरकारी स्कूल में पढ़ना शुरू कर दिया था. सरकारी स्कूल में हिना को पढ़ाने वाले शिक्षक सुखजिंदर सिंह के मुताबिक हिना काफ़ी इंटेलिजेंट हैं और पंजाबी, हिंदी और अंग्रेजी में पढ़ना लिखना सीख रही हैं.

हिना जेल स्कूल में अब पांचवीं कक्षा में पहुंच गई थी.

सीमा के दूसरे पार पाकिस्तान में, सैफ़ुलुद्दीन रहमान अपने छह बच्चों के साथ अपनी पत्नी, साली और 11 साल की बेटी का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं.

पाकिस्तान के गुजरांवाला से फ़ोन पर बीबीसी से बातचीत करते हुए रहमान ने बताया कि इतने साल गुजरना काफ़ी मुश्किल रहा है, हालांकि वे इस बात से इनकार करते हैं कि उनकी पत्नी ड्रग्स की तस्करी में लिप्त थीं.

पति के लिए कितना मुश्किल समय

गुजरांवाला में एक मिठाई की दुकान पर काम करने वाले सैफ़ुलुद्दीन ने कहा, "मैं ग़रीब आदमी हूं, मुश्किल गुजारा चलता है ऐसे में ज़ुर्माने की रकम नहीं चुका सकता था. जिन एनजीओ ने मेरी मदद की है, उनका आभारी हूं."

सैफ़ुलुद्दीन रहमान ने बताया कि वे अपनी पत्नी और बेटी को लेने के लिए वाघा सीमा तक जाएंगे और उसके बाद उन्हें लेकर प्रार्थना करने दरगाह तक जाएंगे.

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