दक्षिण भारत के अभिनेता कमल हासन ने एक तमिल पत्रिका में अपने साप्ताहिक लेख में ‘हिंदू आतंकवाद’ का मुद्दा उठाया है.
हासन ने लिखा, "आप ये नहीं कह सकते कि हिंदू आतंकवाद नहीं है. पहले हिंदू कट्टरपंथी बातचीत करते थे, अब वे हिंसा करते हैं."
अपने लेख में कमल हासन ने ये भी कहा है कि अब ‘सत्यमेव जयते’ से लोगों का विश्वास उठ गया है.
उन्होंने लिखा, "सत्य की ही जीत होती थी, लेकिन अब ताक़त की ही जीत होती है ऐसा बन गया है. इससे लोग अमानवीय हो गए हैं."
कमल हासन की इस टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया हुई है.
‘हिंदू आतंकवाद’ के बयान पर शिंदे को अफ़सोस
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक राकेश सिन्हा ने ट्वीट किया, "बयान का समय महत्वपूर्ण है. जब केंद्र सरकार पीएफ़आई (पापुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया) पर कार्रवाई के संकेत दे रही है तब कमल हासन हिंदू आतंकवाद के नकार दिए गए मुद्दे को उठाकर इसे बचाने की कोशिश कर रहे हैं."
सिन्हा ने लिखा, "कमल हासन को हिंदू सभ्यता का अपमान करने, बदनाम करने, अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए लोगों को भड़काने की कोशिश करने के लिए माफ़ी मांगनी चाहिए."
भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने सवाल किया, "कमल हासन अपने एलडीएफ़ के सहयोगियों के लाल आतंक, ज़ाकिर नाइक और पीएफ़आई के बारे में क्या सोचते हैं? क्या वो डीएमके और कांग्रेस के क़रीब आने के लिए हिंदुओं का अपमान कर रहे हैं?"
राजनीतिक विश्लेषक आरके राधाकृष्णनन ने ट्वीट किया, "जब डीएमके बीजेपी से मज़बूती से लड़ने में हिचक रही है, कमल हासन देख रहे हैं कि वो हिंदू आतंकवाद की टिप्पणी से वो जगह भर सकते हैं क्या. मैं इससे प्रभावित हूं."
कांग्रेस से जुड़े शहज़ाद पूनावाला ने लिखा, "आतंकवाद के साथ किसी धर्म का नाम जोड़ना ग़लत है. आतंकवात हिंदू या मुसलमान नहीं होता. सभी आतंकवादियों की विचारधारा नफ़रत ही होती है. ये इस्लामिक स्टेट के लिए भी सच है और संघ के लिए भी."
कमल हासन से पहले फ़िल्म निर्देशक अनुराग कश्यप भी ‘हिंदू चरमपंथ’ का मुद्दा उठा चुके हैं. राजस्थान के जयपुर में ‘पद्मावती’ फिल्म के सेट पर हमले के बाद अनुराग कश्यप ने कहा था कि ‘हिंदू चरमपंथ’ अब मिथक नहीं रहा है.
‘हिंदू आतंकवाद अब मिथक नहीं रहा’
‘हिंदू चरमपंथ’ भारत में एक विवादित मुद्दा रहा है. पिछली यूपीए सरकार के दौरान ‘भगवा चरमपंथ’ या ‘हिंदू चरमपंथ’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया था.
हालांकि केंद्र में 2014 में भाजपा सरकार आने के बाद से ‘हिंदू चरमपंथ’ की अवधारणा को नकारा जा रहा है.
पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने सितंबर 2013 में संसद में ‘हिंदू आतंकवाद’ के मुद्दे पर खेद प्रकट किया था.
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