नयी दिल्ली : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने कुछ विश्वविद्यालयों की, सरकार द्वारा अधिकृत एक समिति से पंजीकरण कराये बगैर पशुओं की चीर-फाड़ करने के चलते खिंचाई की है.
आयोग ने वर्ष 2014 में पशुओं की चीर-फाड़ अनियमित करने की घोषणा की थी. बहरहाल शिक्षाविदों एवं कार्यक्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने इसका यह कह कर विरोध किया था कि पशुओं के चीर-फाड़ पर रोक से छात्रों को व्यावहारिक अनुभव में कमी आयेगी और जीवविज्ञान मृत अध्ययन बन जायेगा, जिसके बाद पशुओं पर परीक्षण के नियंत्रण एवं पर्यवेक्षण के प्रयोजनार्थ समिति (सीपीसीएसईए) का गठन किया गया था.
वन एवं पर्यावरण मंत्रालय (एमओईएफ) के अंतर्गत कार्य करने वाली यह समिति एक नियामक संस्था है जो पशु अंत्यपरीक्षण या इस उद्देश्य से पशुओं का प्रजनन कराने वाली संस्था के पंजीकरण की सुविधा प्रदान करती है.
जीवन विज्ञान (लाइफ साइंसेज) एवं जीव विज्ञान (जूलॉजी) में पाठ्यक्रम चलाने वाले विश्वविद्यालयों को पशुओं की चीर-फाड़ की सुविधा प्राप्त होती है और उन्हें समिति के साथ खुद को पंजीकृत कराना आवश्यक होता है ताकि यह सुनिश्चित हो कि नियमों का उल्लंघन नहीं हो रहा है.