इस्तीफा प्रकरण : ब्रिटेन में प्रधानमंत्री पद का चेहरा मानी जाने वाली भारतीय मूल की प्रीति पटेल हैं कौन?

ब्रिटेन के मंत्री पद से इस्तीफा देने वाल प्रीति पटेल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में है. प्रीति की चर्चा भारत में इसलिए है, क्योंकि वे भारतीय मूल की हैं. प्रीति को अपने पद से इसलिए इस्तीफा देना पड़ा क्योंकि उन्होंने इजराइल में अपनीछुट्टियों के दौरानयहूदी नेताओं से गाेपनीय मुलाकता की. उनका यह कदम राजनीतिक शुचिता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 9, 2017 4:07 PM

ब्रिटेन के मंत्री पद से इस्तीफा देने वाल प्रीति पटेल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में है. प्रीति की चर्चा भारत में इसलिए है, क्योंकि वे भारतीय मूल की हैं. प्रीति को अपने पद से इसलिए इस्तीफा देना पड़ा क्योंकि उन्होंने इजराइल में अपनीछुट्टियों के दौरानयहूदी नेताओं से गाेपनीय मुलाकता की. उनका यह कदम राजनीतिक शुचिता व मर्यादा की सीमा को लांघने वाला माना गया. 45 वर्षीया प्रीति पटेल के बारे में जानना दिलचस्प है.प्रीतिपटेल 2015में चर्चा मेंतबआयीं जबडैविडकैमरूनने आम चुनाव मेंअपनीशानदारजीतके बादउन्हेंकैबिनेटरूतबादिया. उन्हें रोजगार मंत्री बनाया गया. यह प्रीति पटेल का राजनीतिक कौशल ही था कि ब्रैक्जिट मुद्दे पर डेविड कैमरून के पद छोड़ने के बाद भी उन्होंने अपना राजनीतिक आभामंडल कायम रखा और टैरेसा मे सरकार में वे और ताकतवर मंत्री के रूप में उभरीं. उन्हें कंजरवेटिव पार्टी में भविष्य के प्रधानमंत्री के चेहरे के रूप में देखा जाना लगा, लेकिन अब उनके राजनीतिक भविष्य पर प्रश्च चिह्न लग गया है.

प्रीति पटेल का जन्म उत्तर पश्चिम लंदन में बसे अप्रवासी दंपती के यहां हुआ था, जिनका मूल भारत का गुजरात था. इनके माता-पिता 1970 में इदी अमीन के जमाने में युगांडा छोड़ ब्रिटेन आ गये थे. उनके परिवार के पास जबरदस्त एंटरप्रेन्योरशिप था, जिससे उन्होंने सफल स्टोर्स की एक पूरी चैन इंग्लैंड के दक्षिण पूर्वी हिस्से में स्थापित कर ली. इस कारोबारी माहौल में प्रीति पली-बढ़ी और उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ ऐसेक्स से अर्थशास्त्र की पढ़ाई की. इसके बाद वे 1990 के आसपास कन्जर्वेटिव पार्टी से जुड़ गयीं.

तेज-तर्रार प्रीति लगातार आगे बढ़ती गयीं. कैमरन ने उन्हें इंडियन डायसपोरा का प्रमुख भी बनाया था. उन्हें ज्वेलस ऑफ गुजरात जैसे सम्मान से भी अहमदाबाद में नवाजा गया था. प्रीति एक प्रभावी ब्रिटिश मंत्री के रूप में बेहतर भारत-ब्रिटिश रिश्ते की पक्षधर व पैरोकार थीं. भारतीय के उद्योग जगत से लेकर अन्य क्षेत्रों में प्रभुत्व को देखते हुए वे ब्रिटिश सरकार की एक प्रमुख भारतीय मूल की चेहरा थीं. पर, अफसोस उन्हें एक ऐसे आरोप में पद से इस्तीफा देना पड़ा जिस चूक की उनसे उम्मीद नहीं थी.

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