संरा महासचिव ने सू की से किया अनुरोध : रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी सुनिश्चित करें
मनीला : संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने मंगलवारको म्यांमार की नेता आंग सान सू की से मुलाकात की और उनसे अनुरोध किया कि वह हजारों मुस्लिम शरणार्थियों की गरिमामय वापसी सुनिश्चित करने के लिए कदम उठायें. दरअसल, ये लोग अपने खिलाफ हिंसा होने पर बांग्लादेश पलायन कर गये हैं. इससे अलग, यहां आसियान शिखर […]
मनीला : संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने मंगलवारको म्यांमार की नेता आंग सान सू की से मुलाकात की और उनसे अनुरोध किया कि वह हजारों मुस्लिम शरणार्थियों की गरिमामय वापसी सुनिश्चित करने के लिए कदम उठायें. दरअसल, ये लोग अपने खिलाफ हिंसा होने पर बांग्लादेश पलायन कर गये हैं.
इससे अलग, यहां आसियान शिखर सम्मेलन से इतर अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने भी सू की से मुलाकात की और राखाइन प्रांत में मानवीय संकट पर चर्चा की. म्यांमार की स्टेट काउसंलर के साथ अपनी बैठक में संरा महासचिव ने विस्थापित मुसलमानों की वापसी की इजाजत देने की जरूरत का जिक्र किया, जो पड़ोसी देश बांग्लादेश भाग गये हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच सोमवार को हुई एक बैठक में भी रोहिंग्या मुद्दा का जिक्र हुआ. संयुक्त राष्ट्र ने एक बयान में कहा है कि महासचिव और स्टेट काउंसलर ने राखाइन प्रांत की स्थिति के बारे में चर्चा की.
महासचिव ने इस बात का जिक्र किया कि मानवीय सहायता, सुरक्षित, गरिमामय और स्वैच्छिक वापसी तथा समुदायों के बीच वास्तविक सुलह सुनिश्चित करने के लिए पुरजोर कोशिशें की जाने की जरूरत है. गौरतलब है कि बड़े पैमाने पर हिंसा के बाद अगस्त से छह लाख से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी म्यांमार के बौद्ध धर्म बहुल राखाइन प्रांत से बांग्लादेश पलायन कर गये हैं. गुतारेस ने आसियान-संरा बैठक में भी रोहिंग्या मुद्दे को उठाया. उन्होंने कहा कि इस लंबी त्रासदी में और क्षेत्र में अस्थिरता के संभावित स्रोत में चिंताजनक वृद्धि हुई है. फिलीपींस के राष्ट्रपति कार्यालय के प्रवक्ता हैरी रोक के मुताबिक आसियान सम्म्मेलन में रोहिंग्या मुद्दा उठा. उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा , म्यांमार ने खासतौर पर कहा कि वह कोफी अन्नान रिपोर्ट पर गौर करने की प्रक्रिया में जुटा हुआ है. संकट के हल के लिए पूर्व संरा प्रमुख अन्नान की रिपोर्ट में शरणार्थियों की नागरिकता के सत्यापन और अधिकार एवं समानता को सुनिश्चित करने की सिलसिलेवार सिफारिश की गयी है.