प्योंगयांग : चीन के एक वरिष्ठ प्रतिनिधि ने शुक्रवार को उत्तर कोरिया पहुंचकर दोनों देशों के संबंधों में सुधार की कोशिश की. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में चीन की यात्रा के दौरान उत्तर कोरिया पर और प्रतिबंधों का आह्वान किया था ताकि प्योंयांग अपना परमाणु कार्यक्रम खत्म कर दे. इसी के बाद चीन ने उत्तर कोरिया पर लगे प्रतिबंधों को सख्त किया और इस वजह से दोनों देशों के संबंधों में कड़वाहट पैदा हो गयी.
चीन के प्रतिनिधि सोंग ताओ के इस आधिकारिक मिशन का मकसद उत्तर कोरिया के अधिकारियों को चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी की हालिया कांग्रेस के नतीजों से अवगत कराना है. वह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के विशेष प्रतिनिधि के तौर पर उत्तर कोरिया पहुंचे हैं. इस बारे में अभी कुछ स्पष्ट नहीं है कि क्या वह उत्तर कोरियाई शासक किम जोंग उन से मुलाकात करेंगे या नहीं.
इस बीच, उत्तर कोरिया में विशेष दूत भेजने के चीन के फैसले पर व्हाइट हाउस ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उत्तर कोरिया पर अधिक से अधिक दबाव बनाने में चीन के बड़ी भूमिका निभाने का समर्थन करते हैं. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, चीन के विशेष दूत सोंग ताओ उत्तर कोरिया को शी का यह संदेश संभवत: देंगे कि वह अपना परमाणु कार्यक्रम रोकने के लिए वार्ता में शामिल हो. वह उत्तर कोरिया के बारे में ट्रंप के साथ हुई शी की वार्ता की विषय वस्तु के बारे में भी जानकारी देंगे.
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव सारा सैंडर्स ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, राष्ट्रपति निश्चित रूप से इस बात का समर्थन करते हैं कि चीन उत्तर कोरिया पर अधिकतम दबाव बनाने में बड़ी भूमिका निभाये. चीन के दूत ऐसे समय में उत्तर कोरिया की यात्रा कर रहे हैं जब ट्रंप ने कुछ ही दिनों पहले एशिया के पांच देशों की अपनी यात्रा पूरी की है. सारा ने कहा, उत्तर कोरिया में परमाणु निरस्त्रीकरण के सभी प्रयासों और चीन की उसमें भागीदारी का राष्ट्रपति ट्रंप निश्चित रूप से समर्थन करते हैं. ट्रंप ने चीन के निर्णय का ट्विटर पर स्वागत किया. ट्रंप ने एक ट्वीट कर कहा, चीन उत्तर कोरिया में एक दूत और प्रतिनिधिमंडल भेजा है, जो एक बड़ा कदम है. हम देखेंगे कि क्या होता है.